- गंगा की अविरलता, निर्मलता और सुंदरता पर बोलीं केंद्रीय मंत्री उमा भारती

- तीन चरणों में बनाई गई है कार्ययोजना, डेढ़ साल में पूरा होगा पहला चरण

ALLAHABAD: गंगा समस्या का समाधान संभव है। पिछले ख्9 सालों में गंगा सफाई अभियान सफल क्यों नहीं हुआ? इसमें क्या कमियां रहीं। इसका अध्ययन किया गया है। इसके बाद तीन चरणों में कार्ययोजना का निर्माण किया गया है। गंगा संरक्षण के लिए गठित सचिवों के समूह की रिपोर्ट व जन परामर्श के बाद तीन समूह, सात लक्ष्य और ख्क् सूत्रों वाली गंगा संरक्षण योजना का निर्धारण किया गया है। रविवार को सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान केंद्रीय मंत्री जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार उमा भारती ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता, निर्मलता और सुंदरता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने हैं।

क्भ् मार्च के बाद होगी कार्रवाई

उन्होंने कहा कि गंगा की निर्मलता को सुनिश्चित करने के लिए पांच राज्यों में स्थित औद्योगिक इकाइयों से बात हो चुकी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सभी प्रदूषणकारी इकाइयों को फ्क् मार्च ख्0क्भ् तक गुणवत्ता मानिटरिंग यंत्र लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं। केंद्रीय जल आयोग के नेतृत्व में ब्क् टीमों के माध्यम से गंगा-यमुना तट पर स्थित शहरों में खुले नालों एवं सीवेज शोधन संयंत्रों की तात्कालिक स्थित का निरीक्षण किया गया है। इन तकनीकों के निर्धारण हेतु तीन विशेषज्ञों की समिति गठित की गई है।

दिसंबर में आएगी कमेटी की रिपोर्ट

गंगा में पानी की मात्रा निर्धारण के लिए पर्यावरण एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों एवं सात आईआईटी कंसोर्शियम के संयोजक की सदस्यता कमेटी बनाई गई है। जिसकी रिपोर्ट दिसंबर में आनी संभावित है। हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में सिचाई क्षमता प्रभावित न हो इसके लिए मंत्रालय एबाईबीपी विभाग ने आधुनिक तकनीकों पर बेस्ड गंगा बेसिन में पायलट प्रोजेक्ट लेने का कार्य प्रारंभ कर दिया है। इसकी रिपोर्ट क्भ् दिन में आ जाएगी।

अकेले वाराणसी नहीं, इलाहाबाद का भी विकास होगा

नदी तटों की सुरक्षा सौंदर्यीकरण एवं जन सुविधाओं विकास के लिए विभिन्न स्थानों पर रिवर फ्रंड डेवलपमेंट के लिए डीपीआर निर्माण का कार्य प्रारंभ किया जा रहा है। हरिद्वार, दिल्ली, मथुरा, वृंदावन एवं अन्य स्थानों पर पीपीपी पर आधारित घाट निर्माण पर अतिशीघ्र निर्णय लिया जाएगा। इसके लिए गंगा टास्क फोर्स का गठन किया गया है। डाल्फिन, मछलियों, घडि़यालों व कछुओं के संरक्षण के लिए तीन अन्य कार्यक्रम सीआईएफआरआई एवं अन्य संस्थाओं के लिए स्वीकृत किए गए हैं।

प्रयाग में हुआ गंदगी का संगम

उमा भारती ने कहा कि प्रयाग में नदियों का नहीं बल्कि गंदगी का संगम हो गया है। गंगा की सफाई व देखरेख के लिए आर्मी की पांच बटालियन काम करेंगी। गंगा संरक्षण पर पीएमओ का पूरा सहयोग मिल रहा है। प्रयाग में गंगा-यमुना सूख चुकी हैं। यहां नाले का पानी बह रहा है और आगे बेतवा व चंबल का पानी बहता है। हमने राज्य सरकारों से नदियों की जमीन की जानकारी मांगी है। मछलियों व पक्षियों के मरने की बात पर उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच कराई जा रही है, रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।