हाल आगरा का

पिछले एसेंबली इलेक्शन में अपने प्रतिद्वंद्वियों का धूल चटाकर सूबे की सत्ता में काबिज होने वाली बीएसपी के खाते में आगरा की छह सीट शामिल थीं। बाद में जनमोर्चा से जीत हासिल करने वाले धर्मपाल के भी बीएसपी में शामिल होने से यह आंकड़ा सात पहुंच गया था। नए परिसीमन के साथ इन सातों सीट को बरकरार रखने का चैलेंज भी इस बार उसके सामने था। हालांकि नौ में से छह सीट पर वह फिर जीत दर्ज करने में कामयाब रही। लेकिन, इसके लिए उसे दो विधायक की हार का भी मलाल होगा। फतेहपुर सीकरी में बाबूलाल और राजकुमार चाहर की लड़ाई में सूरजपाल के भाग्य से छींका टूट गया। वहीं बाह में मधुसूदन शर्मा की किस्मत में लोगों की नाराजगी ने हार लिख दी। नतीजतन एसपी के राजा अरिदमन सिंह के सिर जीत का सेहरा बंधा। कैंट से विधायक रह चुके जुल्फिकार अली भुट्टो भी नए परिसीमन के तहत आगरा साउथ पर बीजेपी से मात खा बैठे। नॉर्थ में भी बीएसपी के राजेश अग्रवाल बीजेपी के जगन प्रसाद गर्ग की जीत के चौके की काट निकालने में नाकाम रहे। आगरा रूरल और एत्मादपुर में बीएसपी ने जीत दर्ज की, मगर फतेहाबाद में एसपी के राजेंद्र प्रसाद से बड़ी मुश्किल से छोटेलाल वर्मा अपनी जीत बचा सके। खेरागढ़ में भी रानी प्रक्षालिका सिंह से कांटे की टक्कर में भगवान सिंह कुशवाहा जीते।

जयंत, राहुल और अखिलेश फैक्टर

आगरा में कांग्रेस और आरएलडी के गठजोड़ ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। पहली बार बीएसपी और बीजेपी के वोट बैंक में कांग्रेस ने सेंध लगाई। साउथ और नॉर्थ में तीसरे कैंडीडेट के रूप में प्रभावशाली मौजूदगी दर्ज कराई। कहीं न कहीं यह वोटिंग परसेंटेज में हुए इजाफे का फायदा उसे मिला। कांग्रेस और आरएलडी गठजोड़ के दो यूथ फेस राहुल गांधी और जयंत चौधरी ने वोटर्स को अपनी ओर खींचा। आगरा ही नहीं, मथुरा में भी पोलिंग बूथ पर उमड़े लोगों के रूझान का अंदाजा यहां से आरएलडी की तीन और कांग्रेस की एक सीट से लगाया जा सकता है। जयंत फैक्टर ने यहां खूब काम किया। आरएलडी और कांग्रेस ने मथुरा की चार सीट अपने खाते में जोड़ी। यहां से बीएसएपी महज एक सीट ही अपने खाते में जोड़ सकी। फिरोजाबाद, एटा और मैनपुरी से आए नतीजों में अखिलेश यादव की मेहनत का रंग साफ देखा जा सकता है। फिरोजाबाद की पांच सीट में से तीन शिकोहाबाद, सिरसागंज और जसराना पर सपा ने परचम लहराया। वहीं बीजेपी को फिरोजाबाद और बीएसपी टूंडला की सीट पर ही संतोष करना पड़ा। एटा की सात सीट में से छह सीट सपा ने अपने नाम की। अमापुर सीट पर बीएसपी को जीत मिल सकी। मैनपुरी में सपा ने किसी दूसरे के लिए एक भी सीट नहीं छोड़ी।