ऐसी है जानकारी

2014-15 की अपनी सालाना रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने ये बात कही है कि हालांकि मानसून की प्रगति से सूखे की शुरुआती आशंका कुछ दूर जरूर हुई है, लेकिन इसकी प्रगति और वितरण को लेकर अनिश्चितता से वृद्धि व मुद्रास्फीति दोनों के परिदृश्य को लेकर जोखिम बना हुआ है। इसके अलावा रिपोर्ट में आगे ये भी कहा गया है कि मानसून के कमजोर होने से पैदा होने वाली स्थिति से निपटने के लिए एक व्यापक व पहले से ही तैयार खाद्य प्रबंधन रणनीति की बेहद सख्त जरूरत है। इसकी जरूरत को किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

 

सकल वृद्धि अनुमान है ऐसा

इसको लेकर ये भी कहा गया है कि वित्त वर्ष 2015-16 के शुरुआती चार महीनों में वास्तविक गतिविधियों के संकेतक रिजर्व बैंक की इस साल की 7.6 प्रतिशत सकल वृद्धि के अनुमान के अनुरूप ही है। यह 2014-15 के 7.2 प्रतिशत से ज्यादा है। मानसून की संभावना और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत समेत शुरुआती परिस्थिति के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने इस साल के अप्रैल महीने में मुद्रास्फीति के अगले साल जनवरी तक 6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। इसको लेकर केंद्रीय बैंक का कहना है कि अब तक मुद्रास्फीति के नतीजे इन अनुमानों को ध्यान में रखकर ही हैं।

 

रिपोर्ट में ये भी है खास

इसके अलावा रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अर्थव्यवस्था के वृद्धि परिदृश्य में धीरे-धीरे सुधार भी हो रहा है। रिजर्व बैंक की ओर से बताया गया है कि सरकार ने राजकोषीय मजबूती का जो संकल्प लिया है, उससे 2015-16 के दौरान सकल राजकोषीय घाटे को 3.9 प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य को हासिल करने के प्रयासों में मदद मिलेगी। रिपोर्ट के अनुसार धन प्रेषण ने वैश्विक वृद्धि में आई नरमी की चुनौती का बहुत अच्छे से सामना किया है और इसे भुगतान संतुलन बनाए रखने में अपना समर्थन जारी रखना चाहिए।

 

पूंजी प्रवाह परिदृश्य है अनिश्चित

रिजर्व बैंक की ओर से कहा गया है कि पूंजी प्रवाह परिदृश्य बेहद अनिश्चित है। बताया गया है कि अमेरिकी मौद्रिक नीति के इस साल के अंत तक ब्याज दर वृद्धि के साथ इसे सामान्य बनाने की दिशा में कदम उठाये जाने की उम्मीद है। इससे सामान्य आयात व ब्याज समेत कर्ज लौटाने की जरूरत को आसानी से पूरा किया जा सकेगा।

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