-पायलेट प्रोजेक्ट के तहत एमडीडीए ने शुरू किया वर्क

-आधा किमी के एरिया में अंडरग्राउंड इलेक्ट्रिक वायरिंग

reena.dandriyal@inext.co.in

DEHRADUN : राजधानी में पायलेट प्रोजेक्ट के तहत इलेक्ट्रिक वायरिंग अंडरग्राउंड की जा रही हैं। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) घंटाघर से एस्लेहॉल तक अंडरग्राउंड वायरिंग कर रहा है। तकरीबन आधा किमी की दूरी में करोड़ों रुपए की लागत से इस प्रोजेक्ट पर वर्क किया जा रहा है। यूपीसीएल के सुपरविजन में अंडरग्राउंड इलेक्ट्रिक वायरिंग का वर्क हो रहा है। दून के अलावा मसूरी के माल रोड में भी एक किमी के एरिया में अंडरग्राउंड वायरिंग की जा रही है।

पांच करोड़ की लागत

फिलहाल एक्सपेरिमेंट के तौर पर दून में केवल आधे किमी एरिया में पांच करोड़ रुपए की लागत से अंडरग्राउंड वायरिंग की जा रही है, जबकि मसूरी में माल रोड पर एक किमी एरिया में नौ करोड़ रुपए का खर्चा आएगा। अंडरग्राउंड वायरिंग की टेक्नीक थोड़ी महंगी जरूर है। अधिकारियों के अनुसार यदि यह प्रोजेक्ट सक्सेसफुली वर्क करता है, तो इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। एमडीडीए अधिकारियों के अनुसार यदि यूपीसीएल इस प्रोजेक्ट को सिटी में धीरे-धीरे आगे बढ़ाता है, तो यूपीसीएल के लिए यह काफी फायदेमंद साबित होगा।

दून की खूबसूरती में लगेंगे चार चांद

सड़कों पर जगह-जगह लगे इलेक्ट्रिक पोल, वायर्स के झुंड दून की खूबसूरती को बदरंग करते हैं, लेकिन घंटाघर एरिया में इलेक्ट्रिक वायरिंग अंडरग्राउंड होने से वहां की खूबसूरती बढ़ सकेगी। सिटी के कई एरियाज में सड़कों के बीच में ही इलेक्ट्रिक पोल लगे हुए हैं, जिस कारण हर समय दुर्घटनाओं का रिस्क बना रहता है। धीरे-धीरे यदि पूरी सिटी में ही इस प्रोजेक्ट को अमल में लाया जाता है, तो इससे इलेक्ट्रिक वायरिंग व पोल्स से होने वाली दुर्घटनाओं का रिस्क कम हो सकेगा।

-------------------

आंधी-तूफान में नहीं होगा नुकसान

आंधी, तूफान और तेज बारिश में अक्सर वायर, पोल टूट जाते हैं। इससे जान-माल का नुकसान बना रहता है। ऐसे में यदि अंडरग्राउंड वायरिंग हो तो ये रिस्क फैक्टर भी कम होगा। साथ ही यूपीसीएल को मेंटेनेंस पर कम खर्च करना पड़ेगा। इसके अलावा अंडरग्राउंड वायरिंग होने से लोग बिजली चोरी भी नहीं कर सकेंगे।

-----------------------

अभी सचिवालय में है यह व्यवस्था

यूपीसीएल के एसडीओ, परेड ग्राउंड चंद्रमोहन के अनुसार यह काफी अच्छा प्रोजेक्ट है। यूपीसीएल के सुपरविजन में ही इस प्रोजेक्ट पर वर्क हो रहा है। इससे कई सारे फायदे हैं जैसे- आंधी-तूफान आने पर फीडर बंद नहीं करना होगा। बिजली चोरी नहीं हो सकेगी, मेंटेनेस का खर्चा कम होगा आदी। उनके अनुसार सचिवालय में भी अंडरग्राउंड इलेक्ट्रिक वायरिंग है।

--------

इस प्रोजेक्ट पर तकरीबन पांच करोड़ रुपए खर्च होंगे। फिलहाल एक्सपेरिमेंट के तौर पर इस प्रोजेक्ट पर वर्क किया जा रहा है। इलेक्ट्रिक वायरिंग अंडरग्राउंड होने से सिटी की खूबसूरती बढ़ेगी।

-वंशीधर तिवारी, एमडीडीए सचिव