स्कूल वाहन संचालक स्कूलों में रजिस्ट्रेशन ना कराकर बचाते हैं कई तरह से पैसा

ALLAHABAD: खर्च बचाने के लिए स्कूल वाहन संचालकों ने मानकों को ताक पर रख दिया है। स्कूल की बस हो या टाटा मैजिक इनके संचालक स्कूल तक बच्चों को पहुंचाने के नाम पर कमाई के लिए मानक पूरे नहीं कर रहे हैं। वहीं अभिभावक चंद रूपये बचाने के लिए इन खतरनाक वाहनों में बच्चों को भेजकर उनकी जान जोखिम में डाल रहे है। इसकी बड़ी वजह यह है कि वाहन संचालक स्कूलों में वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं कराते। क्योंकि रजिस्ट्रेशन कराने पर उन्हें स्कूली वाहनों का एक बार टैक्स, वाहन के रंग में परिवर्तन, परमिट चार्ज, फिटनेस आदि का खर्च उठाना पड़ता है।

रजिस्ट्रेशन से अधिक सड़कों पर वाहन

स्कूलों में लगी ज्यादातर बसे खटारा हो चुकी हैं। आरटीओ में 1400 स्कूली वाहनों का रजिस्ट्रेशन है। विभागीय कर्मचारियों की मानें तो गली-मोहल्लों में रोजाना इससे कई गुना अधिक वाहन बच्चों को स्कूल लेकर जाते हैं। बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के ही ये वाहन दौड़ रहे हैं, जो अक्सर दुर्घटना का सबब बन जाते हैं। एआरटीओ प्रवर्तन रविकांत शुक्ला ने बताया कि वाहन की कीमत का सात फीसदी टैक्स बचाने के नाम पर इस तरह का काम किया जाता है।

फिटनेस फीस

400

रुपए, तीन पहिया व चार पहिया हस्तचालित

700

रुपए तीन पहिया व चार पहिया स्वचालित

600

रुपए मध्यम व भारी वाहन हस्तचालित

1000

रुपए मध्यम व भारी वाहन स्वचालित

फैक्ट फाइल

- आरटीओ में 1400 स्कूली वाहनों का रजिस्ट्रेशन

- छह माह में सात सौ स्कूली वाहनों की हो चुकी है चेकिंग

- आरटीओ की ओर से अस्सी वाहनों का किया गया है चालान

- ढाई सौ स्कूल बसों व टाटा मैजिक को बिना फिटनेस प्रमाणपत्र के चिन्हित किया गया है। जिन्हें नोटिस पहले ही भेजा जा चुका है।

आरआई के माध्यम से समय समय पर स्कूली वाहनों की फिटनेस करायी जाती है। इस साल अप्रैल माह तक स्कूलों के बाहर अभियान चलाकर ढाई सौ स्कूली वाहनों के संचालकों को फिटनेस सर्टिफिकेट न होने पर नोटिस दी गई है।

रविकांत शुक्ला

एआरटीओ प्रवर्तन