- रुकेगा कांबिनेशन वाली दवाओं का यूज

- ड्रग रजिस्टेंस रोकने की दिशा में केजीएमयू ने बढ़ाया कदम

- जल्द जारी होंगी गाइडलाइंस

LUCKNOW: ड्रग रजिस्टेंस रोकने के लिए किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में यूनीफार्म एंटीबायोटिक पॉलिसी बनाई जा रही है। जिसे सभी डॉक्टर्स को फालो करना होगा ताकि मरीजों को ड्रग रजिस्टेंस की समस्या से बचाया जा सके। इसके लिए हॉस्पिटल इंफेक्शन कमेटी का गठन किया गया है जो जल्द ही इस मामले में निर्णय लेगी और इसके लिए गाइडलाइंस जारी की जाएंगी।

कल्चर के आधार दी जाए दवा

एंटीबायोटिक का अधाधुंध यूज पूरे विश्व के लिए खतरा बनता जा रहा है। डब्ल्यूएचओ की एक स्टडी के अनुसार अगर ऐसे ही अनावश्यक रूप से एंटीबायोटिक का यूज होता रहा तो 2040 तक वर्तमान में मौजूद एंटीबायोटिक दवाएं असर करना बंद कर देंगी। लखनऊ में भी यही हाल है। वर्तमान वीसी प्रो। रविकांत ने लोगों को इस खतरे से बचाने के लिए यूनीफार्म एंटीबायोटिक पॉलिसी बनाने के निर्देश दिए हैं तो ताकि इनका अधाधुंध प्रयोग रोका जा सके। केजीएमयू के डॉक्टर्स के अनुसार कई बार डॉक्टर मरीज को छोटी बीमारियों भी हाई लेवल एंटीबायोटिक दे देते हैं जिससे उनमें रजिस्टेंस पैदा होता है और अगली बार गंभीर बीमारी होने पर दवाएं असर नहीं करती हैं। वीसी ने इसके लिए इंफेक्शन कंट्रोल कमेटी बनाई थी। इसमें माइक्रोबायोलॉजी के डॉक्टर्स के अलावा विभिन्न विभागों के एचओडी भी हैं। अब हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट का एचओडी प्रो। यूबी मिश्रा को बनाया गया है। जल्द ही उनकी अध्यक्षता में बैठक करके इसे लागू किया जाएगा।

कल्चर की जांच के बाद दी जाएगी दवा

मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ। विजय कुमार ने बताया कि एंटीबायोटिक दवाओं के अधाधुंध यूज को रोकने के लिए कल्चर रिपोर्ट के आधार पर ही दी जाएगी। इसके लिए हर प्रकार के इंफेक्शन के लिए बलगम कल्चर, ब्लड कल्चर, यूरीन कल्चर, स्क्रेपिंग व अन्य कल्चर जांच कराना अनिवार्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बहुत सी कांबिनेशन पर दवाएं दी जाती हैं जिनमें एक दवा ही काम की होती है और दूसरी दवा का बीमारी में कोई काम नहीं होता। ऐसी दवाओं का हर हाल में यूज रोका जाएगा। कमेटी तय करेगी कि कौन सी दवाएं काम की हैं और कौन सी व्यवहारिक नहीं है। यह पॉलिसी बनाने के बाद उसे पूरे हॉस्पिटल में लागू किया जाएगा। ताकि किसी बीमारी के लिए सभी डॉक्टर एक लेवल की ही दवाएं लिखें।

हो सकेगी एंटीबायोटिक पर स्टडी

डिप्टी मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ। वेद प्रकाश ने बताया कि एंटीबायोटिक पॉलिसी लागू होने पर उस पर स्टडी की जा सकेगी। इससे पता चल सकेगा कि कौन सी दवाएं यूज की हैं और कौन सी नहीं। कौन सी दवाओं का रिजर्व के तौर पर रखा और और मरीजों को छोटी बीमारियों के लिए स्पेसिफिक दवाएं ही दी जाएं। दवाओं की कमी और बढ़ती बीमारियों के चलते यह बहुत जरूरी हो गया है। अब एवीडेंस बेस्ड स्टडी से केजीएमयू के बाहर के लोगों को भी फायदा मिलेगा।

एंटीबायोटिक दवाओं का अनावश्यक प्रयोग रोकने के लिए पॉलिसी बनाई जा रही है। जल्द ही बैठक करके इसके लिए गाइडलाइंस जारी की जाएंगी।

डॉ। विजय कुमार, एमएस, केजीएमयू