--राजधानी की सबसे पुरानी लाइब्रेरी है यूनियन क्लब लाइब्रेरी

--40 हजार बुक्स हैं लाइब्रेरी में

--550 मेंबर्स हैं वर्तमान में

--50 रुपए है जेनरल मेंबरशिप फी

--05 हजार रुपए है लाइफटाइम मेंबरशिप फी

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RANCHI (26 न्ह्वद्द) राजधानी के प्लाजा सिनेमा हॉल के बगल में स्थित यूनियन क्लब लाइब्रेरी राजधानी की सबसे पुरानी लाइब्रेरी है। इस लाइब्रेरी की स्थापना 27 नवंबर 1864 को हुई थी। उस समय यह सिर्फ यूनियन लाइब्रेरी थी और बाद में क्लब इसमें जुड़ गया। इस लाइब्रेरी का आकार तब और बढ़ गया जब प्लाजा सिनेमा हॉल के पास केदार राय से जमीन लेकर इसके भव्य भवन का निर्माण किया गया। तब से यह ज्ञान का प्रसार कर रही है। यूनियन क्लब एंड लाइब्रेरी में समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता रहता है।

बांग्ला किताबों का वृहद संग्रह

यूनियन क्लब की लाइब्रेरी में बांग्ला किताबों का वृहद संग्रह है। यहां लगभग 40,000 किताबें हैं जिनमें अधिकतर बांग्ला हैं। वहीं कई किताबें अंग्रेजी की भी हैं। यूनियन क्लब एंड लाइब्रेरी के सेक्रेटरी एसपी मुखर्जी ने बताया कि इस लाइब्रेरी में दुर्लभ पांडुलिपियां भी हैं जो और कहीं नहीं मिलेगी। यहां गोल्डेन बुक ऑफ रवींद्रनाथ टैगोर है जिसमें रवींद्रनाथ टैगोर के हस्ताक्षर हैं। इसके अलावा यहां बंकिमचंद्र, शरतचंद्र, रवींद्रनाथ और स्वामी विवेकानंद की पूरी सीरिज उपलब्ध है। यहां ब्रिटिश पीरियड के गजट भी हैं।

550 मेंबर्स हैं लाइब्रेरी के

यूनियन लाइब्रेरी के उपाध्यक्ष कुणाल बासु ने बताया कि इस लाइब्रेरी के 550 के आसपास सदस्य हैं। यहां दो तरह के सदस्य बनाये जाते हैं। इनमें एक आजीवन सदस्य होते हैं जिसकी फीस 5,000 रुपये है। वहीं एक जेनरल मेंबर होते हैं जिनसे 50 रुपये की मासिक फीस ली जाती है। सदस्य बनने के समय उनसे चार महीने की फीस यानि 200 रुपये लिये जाते हैं। इस लाइब्रेरी में पीएचडी कर रहे रिसर्चर के साथ सामान्य लोग भी आते हैं। यहां के रीडिंग रुम में कोई भी मैग्जीन और अखबार पढ़ सकता है। इसके लिए लाइब्रेरी का सदस्य होना अनिवार्य नहीं है। यहां बांग्ला की कक्षाएं भी चलती हैं जहां लोगों को बांग्ला सिखायी जाती है।

बांग्ला और अंग्रेजी साहित्य

लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन उदयन चक्रवर्ती ने बताया कि यहां प्रचुर मात्रा में बांग्ला साहित्य उपलब्ध है। यहां समरेश बोस, शरतचंद्र जैसे नामी लेखकों के अलावा हिन्दू माइंड जैसी धार्मिक पुस्तकें भी उपलब्ध हैं। यहां इंस्टीटयूट ऑफ कल्चर हेरिटेज की दि कल्चरल हेरिटेज ऑफ इंडिया भी उपलब्ध है। लाइब्रेरी समर सीजन में शाम छह बजे से रात नौ बजे तक खुलती है वहीं विंटर में शाम साढ़े पांच बजे से साढ़े आठ बजे तक खुलती है। यहां के रीडिंग रुम में लगभग सभी अखबार और पत्र-पत्रिकाएं आती हैं।

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वर्जन- यूनियन लाइब्रेरी की स्थापना वर्ष 1864 में हुई थी। यहां बांग्ला की किताबों के अलावा अंग्रेजी की किताबें भी हैं। इसके अलावा यहां समय-समय पर कल्चरल कार्यक्रम होते रहते हैं।

एसपी मुखर्जी, सचिव, यूनियन क्लब एंड लाइब्रेरी

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लाइब्रेरी में अधिकतर बांग्ला साहित्य है। यहां शरतचंद्र, बंकिम, श्री अरविंद के अलावा अंग्रेजी की किताबें भी हैं। यहां के रीडिंग रुम में लगभग हर न्यूजपेपर और पत्रिकाएं आती हैं।

उदयन चक्रवर्ती, लाइब्रेरियन, यूनियन क्लब एंड लाइब्रेरी

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लाइब्रेरी में शोधार्थियों के अलावा बांग्ला और अंग्रेजी साहित्य में रुचि रखनेवाले लोग आते हैं। यहां के रीडिंग रुम में कोई भी आकर न्यूजपेपर और मैग्जीन पढ़ सकता है। इसके लिए उसका सदस्य होना जरुरी नहीं।

कुणाल बासु, उपाध्यक्ष, यूनियन क्लब एंड लाइब्रेरी

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इस लाइब्रेरी में मैं बीते 25 वर्षो से आ रहा हूं। बांग्ला साहित्य यहां उपलब्ध है और यहां पत्र-पत्रिकाएं भी बहुत आती हैं। इसलिए मैं यहीं आकर इन्हें पढ़ता हूं।

अजीत कुमार चटर्जी