'प्राकृतिक कीटाणुनाशक' गौनायल
वर्तमान में केंद्र सरकार घरेलू संसाधनों के इस्तेमाल पर जोर दे रही है. ऐसे में कल बीजेपी के केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कहा है कि अब मंत्रालय में हानिकारक केमिकल से सफाई न की जाये. इसकी जगह पर गौमूत्र से बने 'प्राकृतिक कीटाणुनाशक' गौनायल का प्रयोग होना चाहिये. इतना ही नहीं महिला और बाल कल्याण विकास मंत्री मेनका गांधी ने इस संबंध में पत्र भी लिख डाला है. इसके तहत सभी मंत्रालयों में इसके इस्तेमाल का प्रस्ताव रखा है. उन्होंने लिखा कि गौनालय अब सभी केंद्रीय भंडार में आराम से उपलब्ध है. इस प्रोडक्ट को बाजार में होली काउ फाउंडेशन नाम की एनजीओ द्वारा लाया गया है. सबसे खासब बात यह है कि  यह पर्यावरण हितैषी है, क्योंकि इसमें फिनायल की तरह सिंथेटिक का इस्तेमाल नहीं किया गया है.

पूरी तरह से वैज्ञानिक ढंग से बना
वहीं गौनायल बनाने वाले एनजीओ होली काउ फाउंडेशन की प्रमुख अनुराधा मोदी ने इसे पूरी तरह से वैज्ञानिक ढंग से बना बताया. उन्होंने कहा कि कई महीनों तक देश भर की गौशालाओं को देखने के बाद गौनायल का निर्माण किया गया है. इसके अलावा आईआईटी, दिल्ली के एक प्रोफेसर ने भी कहा कि गौमूत्र से बने उत्पाद के फायदे ज्यादा हैं और इसका साइड इफेक्ट नहीं होता.बता दें कि फिनायल ही सभी सरकारी ऑफिसों में फ्लोर और टॉयलेट आदि साफ करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है. गौरतलब है कि मेनका गांधी का यह आदेश कोई पहला नहीं है. इनसे पहले आयुष मंत्री श्रीपद नाइक भी कुछ इसी तरह की अपील कर चुके हैं. उन्होंने कई आर्युवेदिक ड्रग्स कंपनियों को यह साबित करने को कहा था. उन्होंने दावा किया था कि कि उनके वहां बनी दवा का निर्माण 'पंचगव्य' से हुआ है. पंचगव्य में गाय के मूत्र और गोबर सहित पांच तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है.


'प्राकृतिक कीटाणुनाशक' गौनायल
वर्तमान में केंद्र सरकार घरेलू संसाधनों के इस्तेमाल पर जोर दे रही है. ऐसे में कल बीजेपी के केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कहा है कि अब मंत्रालय में हानिकारक केमिकल से सफाई न की जाये. इसकी जगह पर गौमूत्र से बने 'प्राकृतिक कीटाणुनाशक' गौनायल का प्रयोग होना चाहिये. इतना ही नहीं महिला और बाल कल्याण विकास मंत्री मेनका गांधी ने इस संबंध में पत्र भी लिख डाला है. इसके तहत सभी मंत्रालयों में इसके इस्तेमाल का प्रस्ताव रखा है. उन्होंने लिखा कि गौनालय अब सभी केंद्रीय भंडार में आराम से उपलब्ध है. इस प्रोडक्ट को बाजार में होली काउ फाउंडेशन नाम की एनजीओ द्वारा लाया गया है. सबसे खासब बात यह है कि  यह पर्यावरण हितैषी है, क्योंकि इसमें फिनायल की तरह सिंथेटिक का इस्तेमाल नहीं किया गया है.

 

पूरी तरह से वैज्ञानिक ढंग से बना
वहीं गौनायल बनाने वाले एनजीओ होली काउ फाउंडेशन की प्रमुख अनुराधा मोदी ने इसे पूरी तरह से वैज्ञानिक ढंग से बना बताया. उन्होंने कहा कि कई महीनों तक देश भर की गौशालाओं को देखने के बाद गौनायल का निर्माण किया गया है. इसके अलावा आईआईटी, दिल्ली के एक प्रोफेसर ने भी कहा कि गौमूत्र से बने उत्पाद के फायदे ज्यादा हैं और इसका साइड इफेक्ट नहीं होता.बता दें कि फिनायल ही सभी सरकारी ऑफिसों में फ्लोर और टॉयलेट आदि साफ करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है. गौरतलब है कि मेनका गांधी का यह आदेश कोई पहला नहीं है. इनसे पहले आयुष मंत्री श्रीपद नाइक भी कुछ इसी तरह की अपील कर चुके हैं. उन्होंने कई आर्युवेदिक ड्रग्स कंपनियों को यह साबित करने को कहा था. उन्होंने दावा किया था कि कि उनके वहां बनी दवा का निर्माण 'पंचगव्य' से हुआ है. पंचगव्य में गाय के मूत्र और गोबर सहित पांच तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है.

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