24 घंटे में रिकवर हो जाता है ब्लड

लोग ब्लड डोनेट करने से भले ही कतराते हों मगर हकीकत में एक यूनिट ब्लड डोनेट करने के 24 घंटे में ही उतना ब्लड बनकर तैयार हो जाता है। इसकी थिकनेस बनाए रखने के लिए थ्री मंथ्स का टाइम दिया जाता है। ब्लड डोनेशन से बॉडी में फ्रेश ब्लड बनता रहता है, जिससे क्लॉटिंग के चांसेस काफी कम हो जाते है। साथ ही हार्ट को स्मूथ वर्किंग करने में काफी हेल्प होती है इसलिए ब्लड डोनेट करने से डरना नहीं चाहिए।

चार जिंदगियां होंगी सेफ

एक यूनिट ब्लड चार लोगों को नई जिंदगी दे सकता है क्योंकि एक यूनिट ब्लड को पैक्ड रेड सेल्स, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रसिपिटेट में डिवाइड करके प्रिजर्व किया जाता है। जो अलग-अलग बीमारी में जिंदगियां बचाती है। रेड सेल्स का यूज एनीमिया, एक्सीडेंटल केसेज आदि में मरीज के लिए किसी अमृ७त से कम नहीं होता है तो प्लाज्मा ब्लीडिंग डिसआर्डर और बर्निंग के केसेज में यूज कर मौत के मुंह में जा रही जिंदगी को बचा लेती है। इसी तरह प्लेटलेट्स बर्निंग, डेंगू के साथ-साथ वायरल में भी लाइफ सेविंग होती है। क्रायोप्रेसिपिटेट का यूज हीमोफीलिया के मरीजों में किया जाता है।