शैक्षिक सत्र 2017-18 के स्नातक दाखिले में सीट भरने के लिए न्यूनतम अंकों की बाध्यता की कम

सामान्य वर्ग के लिए 30 फीसदी की जगह 20 और OBC के लिए निर्धारित हुई 18 फीसदी अंकों की न्यूनतम बाध्यता

पहली बार स्नातक दाखिले में लागू हुई थी अंकों की बाध्यता, एकेडमिक काउंसिल की बैठक में निर्णय

ALLAHABAD: इलाहाबाद विश्वविद्यालय व उसके संघटक कॉलेजों में आगामी शैक्षिक सत्र 2017-18 में पहली बार स्नातक दाखिले के लिए लागू की गई न्यूनतम अंकों की बाध्यता को कम किया गया है। संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा क्रेट को छोड़कर स्नातक प्रवेश परीक्षा की सभी प्रवेश परीक्षाओं के कट ऑफ प्राप्तांक के आधार पर सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता 30 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी की गई है। इसी तरह ओबीसी श्रेणी के अभ्यर्थियों की अनिवार्यता 27 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी किया गया है। यह व्यवस्था केवल आगामी शैक्षिक सत्र के लिए ही लागू है।

सभी सदस्यों ने किया समर्थन

मंगलवार को विश्वविद्यालय के विधि विभाग के सभागार में कुलपति प्रो। आरएल हांगलू की अध्यक्षता में हुई एकेडमिक काउंसिल की बैठक में ये निर्णय लिया गया। बैठक में संघटक कॉलेजों के प्राचार्यो ने स्पष्ट किया कि सामान्य या ओबीसी श्रेणी में न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता से विश्वविद्यालय के साथ कॉलेजों में स्नातक की सीट आधी से अधिक खाली रह जाएंगी।

सभी प्राचार्य रहे मौजूद

काउंसिल ने न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता को सामान्य और ओबीसी श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए घटाने का निर्णय लिया। हालांकि काउंसिल ने यह स्पष्ट किया है कि एससी और एसटी श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए शून्य फीसदी क्वालिफाइंग पूर्व की भांति जारी रहेगी। यह व्यवस्था दिव्यांग, खेलकूद व कर्मचारी कोटे के अभ्यर्थियों पर लागू नहीं होगी। बैठक में रजिस्ट्रार प्रो। एनके शुक्ला, डीएसडब्लू प्रो। आरकेपी सिंह, सभी संकायों के अध्यक्ष व विभागाध्यक्षों के साथ ही कॉलेजों के प्राचार्य भी मौजूद रहे।

नहीं की गई फीस वृद्धि

एकेडमिक काउंसिल की बैठक में विश्वविद्यालय के कोर्सो में फीस वृद्धि को लेकर मंथन किया गया। सर्वसम्मति से स्पष्ट किया गया कि आगामी शैक्षिक सत्र में किसी भी कोर्स में फीस वृद्धि नहीं होगी।

काउंसिल की बैठक में सर्वसम्मति से स्नातक दाखिले में न्यूनतम अंकों की बाध्यता को कम करने का निर्णय लिया गया है। फीस वृद्धि को लेकर भ्रम फैलाया गया था, इसीलिए स्पष्ट करना चाहता हूं कि आगामी सत्र में कोई फीस वृद्धि नहीं की जाएगी।

प्रो। आरएल हांगलू, कुलपति इलाहाबाद विश्वविद्यालय