- कहीं जोन में तैनात हैं डीजी तो कहीं डीआईजी कैडर पोस्ट पर एडीजी रैंक के अफसर कर रहे काम

- प्रदेश भर में पुलिस के दर्जन भर अहम पदों पर पोस्टिंग में घालमेल

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LUCKNOW : किसी थाने में इंस्पेक्टर के पद पर एसपी की या चौकी इंचार्ज के पद पर सर्किल ऑफिसर की तैनाती हो जाए तो इस पर आप क्या कहेंगे? आपका जवाब जरूर यही होगा कि ऐसा हो ही नहीं सकता। लेकिन, यूपी पुलिस में इन दिनों कुछ ऐसा ही चल रहा है। कहीं जोन में डीजी रैंक का अफसर तैनात है तो किसी जिले में दो-दो आईजी काम कर रहे हैं। तीन जिलों के पुलिस कप्तानों का काम डीआईजी रैंक के अफसर देख रहे हैं। पुलिस विभाग में तैनाती में चल रहे इस घालमेल पर डीजीपी मुख्यालय के अफसर कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं।

पोस्टिंग में रैंक को नहीं तवज्जो

प्रदेश के सभी जोन आईजी कैडर की हैं लेकिन, प्रदेश सरकार ने कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिये एडीजी स्तर के अधिकारी तैनात किये हुए हैं। यहां तक तो ठीक था लेकिन, वाराणसी में एडीजी जोन के पद पर तैनात किये गए विश्वजीत महापात्रा का प्रमोशन बीती एक दिसंबर को डीजी पद पर हो गया। लेकिन, दो महीने बीतने के बावजूद वे वाराणसी जोन में ही तैनात हैं। इसी तरह डीआईजी रैंक की मिर्जापुर रेंज में एडीजी रैंक के प्रेमप्रकाश तैनात हैं। अजब-गजब पोस्टिंग का नमूना देखना हो तो मुरादाबाद पर नजर डालना मुनासिब होगा। यहां पर एसएसपी के पद पर डीआईजी रैंक के अफसर प्रीतिंदर सिंह अब तक पोस्ट हैं। साथ ही मुरादाबाद रेंज में भी डीआईजी रैंक के अफसर तैनात हैं। जबकि, फैजाबाद में डीआईजी रैंक के पद पर आईजी रैंक के अफसर विजय प्रकाश बने हुए हैं।

चरमरा रहा पुलिस का ढांचा

इसी तरह गोरखपुर जोन में खुद के बनाये नियमों का ही पालन नहीं हो रहा। यानि कि गोरखपुर जोन में अब तक एडीजी रैंक के अफसर को तैनात नहीं किया जा सका। यहां पर सपा सरकार के कार्यकाल से ही आईजी मोहित अग्रवाल पोस्ट हैं। जिन्हें बरकरार रखा गया है। हैरानी की बात है कि गोरखपुर रेंज में भी आईजी रैंक के अफसर नीलाब्जा चौधरी तैनात हैं। पदों पर अलग रैंक के अफसरों की पोस्टिंग पर सिलसिला यहीं नहीं थमता। दो जिलों में एसएसपी के पद पर डीआईजी रैंक के अफसर तैनात किये गए हैं। जहां गौतमबुद्धनगर में डीआईजी लव कुमार तैनात हैं वहीं, बदायूं में डीआईजी चंद्र प्रकाश द्वित्तीय एसएसपी पद पर कार्यरत हैं। पोस्टिंग में इस घालमेल से पुलिस का ढांचा चरमरा रहा है। आलम यह है कि अधिकारियों को भी अब समझ नहीं आ रहा कि वे प्रमोट होने के बाद भी रैंक से नीचे के पद पर क्यों बने हुए हैं? वहीं, डीजीपी मुख्यालय में तैनात अफसर इस पर कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं।

विसंगतियां दूर होनी चाहिये

यूपी पुलिस के पूर्व डीजीपी एके जैन कहते हैं पुलिस विभाग डिसिप्लिन के लिये जाना जाता है। विभाग में पोस्टिंग को लेकर ऐसी विसंगतियां समझ से परे हैं। उम्मीद की जा रही थी कि पूर्ववर्ती डीजीपी सुलखान सिंह के वक्त ही इन्हें दूर किया जाना था लेकिन, उनके रिटायरमेंट के बाद नये डीजीपी पर यह जिम्मेदारी है। हालांकि, उनकी ज्वाइनिंग में देरी के चलते यह अब तक नहीं हो सका है। अब यह विसंगतियां अगली ट्रांसफर लिस्ट में जरूर दूर होनी चाहिये।