- इमारत से सटे गांव में बैरियर लगने से नो एंट्री

- आज भी कुवारे हैं सैकड़ों युवा और बुजुर्ग

आगरा। ताजमहल की सुरक्षा इन गांव के लिए अभिशाप बन चुकी है। विकास को मोहताज आधा दर्जन से अधिक गांव में अब सामाजिक ताना-बाना भी लगभग खत्म सा हो गया है। ताजमहल से चंद कदम के फासले पर बसे इन गांवों के नौजवानों की शादी तय नहीं हो पा रहीं। इस इंतजार में ये बुढ़ापे की दहलीज तक भी पहुंच जाते हैं, लेकिन इस पर न तो प्रदेश शासन का ध्यान है और ना ही जिला प्रशासन इस पर कोई गौर फरमा रहा है।

1995 से लगी स्थायी पाबंदी

बात हो रही है ताजमहल से 500 मीटर से लेकर 1500 मीटर तक के दायरे में बसे गांव की। दरअसल, पूर्वी गेट किनारे बसे इन गांवों के बाहर सुरक्षा के लिहाज से एक बैरियर लगा दिया गया है। 1995 से पहले पूर्वी गेट पर सिर्फ एक बल्ली और पत्थर के सहारे बैरियर लगा था। इसे तभी लगाया जाता था, जब सिटी या ताजमहल में कोई वीवीआईपी आता, लेकिन वर्ष 1995 से पूरी तरह इस पाबंदी को लागू कर दिया गया। अब ग्रामीणों के लिए डेली रूटीन का रास्ता बदल दिया है।

बीत रही शादी की उम्र

इसका असर ये हुआ है कि लगभग आधा दर्जन से अधिक गांवों में जाने के लिए 20 किमी का रास्ता तय करना पड़ता है। इसी कारण यहां नौजवानों की उम्र सिर्फ शादी के इंतजार में बीत रही है। गांव के सैकड़ों युवा अभी तक कुंवारे बैठे हुए हैं। कोई भी अपनी बेटी को ब्याहने के लिए इन गांवों में नहीं पहुंचता। यहां तक कि इस शर्त पर भी बेटी ब्याहने को तैयार नहीं होते कि उन्हें बदले में दहेज दिया जाएगा।