- बेमौसम बारिश की वजह से फसलें हो चुकी बर्बाद, हरी सब्जियों की कीमतों में सबसे ज्यादा उछाल

- चकरपुर मंडी न जाकर किसान मुनाफे के लिए सीधे शहर की मंडियों में बेच रहे सब्जियां

- महंगाई देखकर ग्राहकों ने बनाई दूरी तो मुनाफाखोर सड़ी-गली सब्जियों को रंगकर मार्केट में रहे खपा

- फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने जनता की सेहत को ध्यान में रखकर सस्ती सब्जियों को लेकर किया सतर्क

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KANPUR : सिविल लाइंस निवासी सुषमा पाठक ने फूलबाग सब्जी मंडी से आधा किलो परवल पैक करवाया। दुकानदार की तरफ उन्होंने भ्0 रुपए का नोट बढ़ाया तो उसने बोला- बहनजी फ्0 रुपए और दीजिए। सुनकर सुषमा चौंक पड़ी। पूछने पर मालूम हुआ कि परवल क्म्0 रुपए किलो है। यह तो सिर्फ एक सब्जी का भाव है बाकी अन्य सब्जियां में भी महंगाई का सेंसेक्स उछाल मार रहा है। सुषमा अकेली नहीं जिन्हें सब्जियों की कीमत सुनकर जोर का झटका लगा। सब्जी मंडी में खड़े अन्य खरीददारों का चेहरा भी यही गवाही दे रहा था कि वाकई सब्जियां बहुत महंगी हैं ऐसे में क्या खरीदे। दूसरी तरफ फूड सेफ्टी अफसरों ने सस्ती सब्जियों से दूरी बनाए रखने की सलाह कानपुराइट्स के लिए जारी की है। क्योंकि महंगाई की वजह से कम सब्जियां खरीदने वाले ग्राहकों को लुभाने के लिए सब्जी वाले सड़ी सब्जियों का रंग कर बड़े पैमाने पर खपा रहे हैं।

हरी सब्जियों पर सबसे ज्यादा

महंगाई का असर सबसे ज्यादा हरी सब्जियों पर हुआ है। लास्ट सीजन ख्0-ख्भ् रुपए किलो वाली तरोई इस वक्त क्ख्0 रुपए किलो बिक रही है। कुछ यही हाल परवल, करेला और भिंडी का है। ज्यादातर हरी सब्जियां आसपास के इलाकों से ही शहर की बाजार में सप्लाई होती है। मगर, बारिश के कारण खेती बर्बाद होने से हरी सब्जियों की आवक बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई है। आढ़ती राजेश मिश्रा ने बताया कि बेमौसम बारिश की आशंका की वजह से भी किसान सबसे ज्यादा डरे हुए हैं।

चकरपुर मंडी नहीं पहुंच रही सब्जियां

आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब सब्जियों में महंगाई की वजह खोजनी शुरू की। तो पता लगा कि हरी सब्जियां चकरपुर मंडी पहुंच ही नहीं रही हैं। मंडी सचिव संतोष यादव के अनुसार ऊंचे दामों पर बिकने वाली हरी सब्जियां लिमिटेड स्टॉक में हमें मिल पा रही हैं। शहर के आसपास के इलाकों में इनकी पैदावार भी कम है। इसलिए किसान मुनाफे के चक्कर में मंडी न आकर सीधे रामादेवी, रावतपुर, बंबा रोड गुमटी, सीसामऊ की मंडियों में सब्जियां बेच रहे हैं। इसीलिए परवल, तरोई, लौकी, गोभी आदि सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं।

बारिश ने की फसल बरबाद

बेमौसम बारिश की वजह से खेतों में गेंहू, दाल, सरसों की तैयार फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। चन्द्रशेखर आजाद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ। अनिरुद्ध दुबे ने आने वाले दिनों में भी मौसम में कुछ इसी तरह बदलाव की संभावना जताई है। उन्होंने बताया कि मार्च से जून के बीच में और जुलाई की पहली बारिश में बोई जाने वाली फसलों पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। क्योंकि जिस तरह मौसम में बदलाव आ रहे हैं। उस हिसाब से आने वाले सीजन में सब्जियों के अलावा दाल, चावल, तेल समेत खाने-पीने की अन्य चीजों के दाम भी बढ़ेंगे।

सस्ती सब्जियों से जरा बचकर

अगर आपको भी किसी दुकान में महंगी सब्जियां बेहद कम कीमत पर मिले तो सतर्क रहिएगा। सस्ते के चक्कर में बाजार में सड़ी-गली सब्जियों को रंगकर चमकाने के बाद ग्राहकों को बेचा जा रहा है। फूड सेफ्टी एंड ड्रग अथॉरिटी विभाग के अफसरों को इसकी सूचना मिली है। विभाग के प्रभारी एसएच आबिदी ने बताया कि मार्केट में दो तरह की सब्जियां बिक रही हैं। एक महंगी और दूसरी सस्ती। सस्ती सब्जियों की आड़ में दुकानदार सड़ा गला माल भी रंग कर ग्राहकों को तुलनात्मक रूप से कम कीमत पर बेच रहे हैं। अच्छी क्वालिटी का परवल क्म्0 रुपए किलो मिल रहा है। मगर, घटिया क्वालिटी का परवल 70-80 रुपए तक में बेचा जा रहा है। इसलिए खरीददारी से पहले ग्राहक अच्छी तरह जांच-परख लें।

सैम्पल भेजे गए जांच को

दो दिन पहले ही फूड सेफ्टी अफसरों सूचना मिली थी कि कई दुकानदार सड़ी सब्जियों को रंग कर कम दामों में खपा रहे हैं। इस पर विभागीय टीम ने सब्जी की दुकानों पर बड़े पैमाने पर छापेमारी की थी। जांच-पड़ताल में शिमला मिर्च, भिंडी, तरोई, परवल आदि सब्जियों का नमूना भरा गया। सभी नमूनों को जांच के लिए लखनऊ भिजवाया गया है। अफसरों के अनुसार प्रथम दृष्टया सब्जियों को चमकाने के लिए घातक कैमिकल और रंगों का इस्तेमाल होने का शक है। जांच रिपोर्ट आने के बाद दोष साबित होने पर दुकानदारों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

सब्जियों के रेट -

सब्जी रेट

परवल क्म्0

करेला क्म्0

तरोई क्ख्0-क्ब्0

भिंडी 80-क्00

सेम 80

बैंगन 80

कटहल ब्0-म्0

मटर ब्0-भ्0

लौकी ब्0-भ्0

कद्दू ब्0-म्0

सोया-मेथी फ्0-ब्0

(नोट : कीमतें बंबा रोड व फूलबाग सब्जी मंडी की हैं। फ्राईडे की कीमतें रुपए प्रति किलो के हिसाब से.)

जिम्मेदारों का वर्जन

ø सस्ती सब्जियों को रंग कर कुछ दुकानदार ग्राहकों को बेच रहे हैं इसी क्रम में सब्जी की दुकानों पर छापा मारकर पड़ताल करवाई जा रही है।

- आशुतोष अग्निहोत्री, सिटी मजिस्ट्रेट

ø सब्जियों की बढ़ी हुई कीमतों पर हमारा कंट्रोल इसलिए नहीं है। क्योंकि किसान हमारे पास न आकर सीधे शहर की बाजारों में सब्जियां बेच रहे हैं। दूसरा बारिश की वजह से भी प्राइस शूटअप हुए हैं। हमें भी बहुत ही लिमिटेड स्टॉक मिल पा रहा है।

- संतोष यादव, मंडी सचिव

ø बाजार में सड़ी-गली सब्जियों को रंगकर बेचे जाने की गोपनीय सूचना मिली है। उसे हर दिन चेक करवाया जा रहा है। लोगों से अपील है कि सब्जियां खरीदते वक्त सावधानी बरतें। सस्ते के चक्कर में धोखा मत खाएं।

- एसएच आबिदी, अभिहित अधिकारी, एफडीए

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पब्लिक वर्जन

ø आजकल बगैर किसी मौसम के बारिश हो जा रही है। जिससे सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। ऊपर से सर्विस टैक्स भी क्ब् परसेंट कर दिया गया है। जिससे बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है।

- अब्दुल हन्नान

ø सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। टमाटर फ्0 रुपए किलो बिकने लगा है। किचन का पूरा बजट ही बिगड़ गया है।

- संजय साहू

ø बरसात के कारण न केवल फसल बर्बाद हुई है। बल्कि, सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं। खराब मौसम के कारण ही सब्जी वाले मनमाने दामों में सब्जी बेच रहे हैं।

- मनीष कश्यप

ø सब्जियों की बढ़ती कीमतों ने परेशान कर रखा है। मौसम की मार के कारण सब्जी विक्रेताओं ने भी दाम बढ़ा रखे हैं। इससे आम पब्लिक को काफी परेशानी हो रही है। मौसम ने अगर करवट बदली तो सब्जियां और महंगी हो सकती हैं।

- अवधेश सिंह यादव

ø बेमौसम बारिश का सब्जी वाले फायदा उठा रहे हैं और दो गुनी कीमत पर सब्जियां बेचकर पब्लिक की जेब काट रहे हैं।

- विकास वर्मा

जरा ध्यान दीजिए

क्। सब्जियों अगर ज्यादा चमकती हुई दिखें तो सावधान हो जाएं।

ख्। चमकती हुई सब्जी को लेने से परहेज करें और अगर लेने का विचार बना रहे हैं तो फिर पानी में धोकर जरूर देख लें। अगर कलर छूटे तो मत लें।

फ्। दागी हरी सब्जी से बचें।

ब्। केमिकल और कलर यूज करके चमकाई जाने वाली सब्जियों में स्मेल आती है। बैगन, भिन्डी, करेला, तरोई, लौकी जैसी सब्जियों के खराब होने पर केमिकल से ताजा बनाया जाता है।

भ्। हरी सब्जियों खासकर पालक, बथुआ, सोया मेथी आदि फ्रिज में रखने पर काली हो जाएं तो फिर उसका यूज न करें।

अनिरूद्ध दुबे, कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक