-यूपी बोर्ड के 2016 के संशोधित होने को भेजे गये अंकपत्रों के लिए करना पड़ रहा है इंतजार

-क्यूआर कोड युक्त मार्कशीट पाने के लिए परीक्षार्थी कार्यालय की लगा रहे दौड़

VARANASI

यूपी बोर्ड फर्जीवाड़ा रोकने के लिए सन् 2016 से ही क्यूआर कोड युक्त मार्कशीट जारी कर रहा है। नई व्यवस्था में अब संशोधित मार्कशीट दिल्ली स्थित एजेंसी से जारी किए जा रहे हैं। लेकिन बड़ी परेशानी यह है कि एजेंसी को संशोधित मार्कशीट जारी करने में एक से डेढ़ महीने का समय लग जा रहा है। वर्तमान में दसवीं व बारहवीं के पांच सौ मार्कशीट एजेंसी में फंसे हुए हैं। ऐसे में अंकपत्र प्राप्त करने के लिए स्टूडेंट्स क्षेत्रीय कार्यालय की दौड़ लगा रहे हैं। आसपास के 15 जिले क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी से जुड़े हैं।

इसलिए हो रहा लेट

अंकपत्र, प्रमाणपत्र व संशोधन सहित अन्य कार्यो के लिए इन जिलों से परीक्षार्थी व इंटर कॉलेज के प्रतिनिधि आए दिन क्षेत्रीय कार्यालय आते रहते हैं। लेकिन इस कार्यालय से संशोधन हो जाने के बावजूद परीक्षार्थियों का अंकपत्र एक-एक माह तक फंस जा रहा है। बोर्ड के कर्मचारियों का कहना है कि वर्ष 2015 तक के अंकपत्र संशोधित किये जाने के बाद परीक्षार्थियों को तीन दिनों के भीतर जारी कर दिए जा रहे हैं। कारण पुराने अंकपत्रों में क्यूआर कोड नहीं हैं। जबकि वर्ष 2015 के बाद की परीक्षा के अंकपत्र के लिए एजेंसी पर निर्भर रहना पड़ता है। संशोधित कर अंकपत्र एजेंसी को भेजे जा चुके हैं। एजेंसी से जल्द आने की उम्मीद है। वहीं यह भी बताया गया कि इस समय 2018 की परीक्षा का रिजल्ट बनाने का काम चल रहा है। इसके चलते संशोधित अंकपत्र जारी करने में देरी हो रही है। बोर्ड ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट (वर्ष 2018 परीक्षा) का अंकपत्र जारी कर दिया है। क्षेत्रीय कार्यालय से डीआईओएस को अंकपत्र भेजा जा रहा है। लेकिन वर्ष 2016 व 2017 के संशोधित अंकपत्रों के लिए परीक्षार्थियों को इंतजार करना पड़ रहा है।