निश्चित होता है मानदेय

यूपी बोर्ड कॉपियों के मूल्यांकन कार्य में हजारों परीक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। इनका हर कॉपी चेक करने पर एक निश्चित मानदेय निर्धारित होता है। मूल्यांकन खत्म होने के बाद इन्हें निर्धारित प्रपत्र पर मानदेय के लिए बिल देना होता है। खास बात यह है कि डिप्टी कंट्रोलर को मिले कई बिलों में ही गड़बड़ी है।

इसका तो नहीं है खेल

कॉपियों के मूल्यांकन का काम तकरीबन समाप्ति की ओर है। कई सेंटर्स से कॉपियों को बोर्ड ऑफिस भेजा जा रहा है। बची-खुची कॉपियों का मूल्यांकन कार्य भी एक-दो दिन में कंप्लीट होने की संभावना है। ऐसे में परीक्षकों ने भी मानदेय के लिए बिल सबमिट करना शुरू कर दिया है। इसके लिए निर्धारित प्रपत्र को पावना पत्र कहते हैं। क्रॉस चेक करने पर इन्हीं पावना पत्रों में गलतियां पाई गई हैं। वैसे डिप्टी कंट्रोलर इस गड़बड़ी की एक और वजह भी बताते हैं। उनके मुताबिक ज्यादा पारिश्रमिक के लिए जानबुझकर भी ऐसी गलतियां की जा सकती हैं। हो सकता है कि इन मामलों में भी ऐसा ही हुआ हो।

 

कैसे मान लें

जानकार कहते हैं ये वही परीक्षक  हैं जिन्होंने बोर्ड की सैकड़ों कॉपियां चेक की हैं। न जाने कितने स्टूडेंट्स का भविष्य तय किया है। इस तरह की लापरवाही उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करती है। ऐसी लापरवाही बरतने वालों से जिम्मेदारी की उम्मीद कैसे की जाए? ये कैसे तय होगा कि इन्होंने कॉपियों का मूल्यांकन ठीक तरह से किया होगा?

सामने आई थी हकीकत

मूल्यांकन कार्य में गड़बड़ी की शिकायत पहले भी मिली है। रैंडम चेकिंग के दौरान ये लापरवाही सामने आ चुकी है। बोर्ड ऑफिसर्स की ओर से कॉपियों की रैंडम चेकिंग के आदेश दिए गए थे। इस दौरान परीक्षकों की चेक हुई कॉपियों में शिकायत मिली थी। इसकी शिकायत डिप्टी कंट्रोलर से की गई थी। वैसे डीआईओएस का कहना था कि इसकी शिकायत अभी उनके पास नहीं पहुंची है। मूल्यांकन कार्य पूरी तरह से खत्म होने के बाद रिपोर्ट सबमिट होगी।

Report by- Anurag Shukla