उत्तर प्रदेश के खेल निदेशक 59 वर्षीय शैलेश कुमार सिंह अगले महीने रिटायर होने वाले थे. वो सैफ़ई महोत्सव में हिस्सा लेने जा रहे थे कि जब रास्ते में उनकी पत्नी का फ़ोन आया. उनकी पत्नी ने फ़ोन पर बताया कि घर पर एक सरकारी कागज़ आय़ा है जिसके मुताबिक उन्हें निलंबित कर दिया गया है.

शैलेश इस खबर मिलने के बाद वापस घर की ओर रवाना हो गए.

शैलेश कुमार सिंह के अनुसार उन पर आरोप ये है कि स्विमिंग पूल के लिए शासन की ओर से पैसा तो आ गया था लेकिन उसे सैफ़ई भेजने में विलंब हुआ. सरकार के अनुसार शैलेश कुमार सिंह ने काम में कथित तौर पर लापरवाही बरती.

रिपोर्टों के अनुसार इस महोत्सव में ओलंपिक में पदक जीतने वाले भारतीय खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाना था.

विभाग से वाकिफ़ नहीं

यादव परिवार के गाँव सैफ़ई में होने वाले महोत्सव में बड़ी संख्या में फ़िल्मी सितारे और बड़े नाम हिस्सा लेते हैं.

बीबीसी से बात करते हुए शैलेश कुमार सिंह ने बताया उन्हें आधिकारिक तौर पर अभी कोई फ़ोन नहीं आया.

शैलेश के मुताबिक, “जो एजेंसी स्विमिंग पूल का निर्माण कार्य कर रही थी, उसने धन का संशोधित आकलन भेजा था. उसे शासन को भेजने में कथित तौर पर विलंब हुआ है जिसके कारण ये सरकारी कार्रवाई हुई.”

स्विमिंग पूल के लिए पैसा लेट,तो आईएएस नपे

बीबीसी से फ़ोन पर बातचीत के दौरान वो इलाहाबाद अपनी मां को देखने आए हुए थे.

शैलेश कुमार सिंह ने बताया कि वो विभाग में मुश्किल से पांच, छह महीने पहले ही आए थे और इस विभाग से बहुत वाकिफ़ नहीं थे.

बेहत चिंतित शैलेश ने बताया, “परिवार में चिंता है और वो दुखी हैं क्योंकि मेरा करियर बहुत अच्छा है. लेकिन जब आप नौकरी करते हैं तो आप गलतियां करते हैं औऱ जब आप गलती करते हैं तो सज़ा भी मिलती है.”

1978 बैच के पीसीएस और 1998 बैच के आईएएस अधिकारी शैलेश कुमार सिंह ने कहा कि वापस लखनऊ जाकर फ़ाइल देखकर ही बता पाएंगे कि क्या हुआ और अगर देरी हुई तो क्यों हुई.

उधर उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने इस बात से इनकार किया कि ये जल्दबाज़ी में लिया गया फ़ैसला था.

उन्होंने कहा, “ये एक प्रशासनिक व्यवस्था है. कई बार तो उन लोगों के खिलाफ़ भी कार्रवाई होती है जो रिटायर हो चुके होते हैं. काम में लापरवाही हुई. कई तरह की अनियमितताएं हैं. इसलिए उन्हें निलंबित किया गया.”

इससे पहले अखिलेश यादव की आईएएस अफ़सर दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन को लेकर काफ़ी आलोचना हुई थी. औऱ आखिरकार सरकार को नागपाल को दोबारा बहाल करना पड़ा था.

लेकिन शैलेश कुमार सिंह ने अपने मामले को नागपाल मामले से अलग बताया.

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