- 25 साल से कम उम्र होने की वजह से नामांकन खारिज करने को कहा

- एफिडेविट में दर्शाई है 26 साल उम्र, नहीं दिया कोई आयु प्रमाण पत्र

- अपनी संपत्ति भी छिपा रहे अब्दुल्ला आजम खां, नामांकन में कई खामियां

LUCKNOW :

भारतीय जनता पार्टी ने काबीना मंत्री मोहम्मद आजम खां के पुत्र और रामपुर के स्वार से सपा प्रत्याशी मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खां द्वारा विधानसभा के लिए निर्धारित न्यूनतम आयु पूर्ण न करने पर भी नामांकन करने की शिकायत चुनाव आयोग से की है। मुख्य चुनाव आयुक्त को भेजे पत्र में भाजपा ने कहा कि विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए निर्धारित न्यूनतम आयु 25 वर्ष है, जो अब्दुल्ला पूरी नहीं करते हैं। साथ ही वह अपनी संपत्ति की घोषणा भी नहीं कर रहे हैं इसलिए उनका नामांकन खारिज किया जाए। भाजपा ने आरोप लगाया है कि इस बाबत चुनाव अधिकारी से शिकायत भी की गई थी, लेकिन उन्होंने साक्ष्य न दिये जाने को आधार बनाकर शिकायत खारिज कर दी।

हाईकोर्ट के आदेश का हवाला

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर, प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक तथा एडवोकेट कुलदीप पति त्रिपाठी ने चुनाव आयुक्त को भेजे पत्र में दिये साक्ष्यों में समाचार पत्र में छपी खबर की प्रति, अब्दुल्ला आजम खां के शपथपत्र की प्रति, उत्तरांचल हाईकोर्ट के आदेश की छायाप्रति संलग्न कर कहा कि जन्मतिथि के प्रमाण में हाईस्कूल प्रमाण पत्र ही मान्य होता है और हाईस्कूल पास न होने की दशा में ही अन्य विकल्पों पर विचार किया जा सकता है। सपा प्रत्याशी यदि निर्धारित आयु को पूर्ण नहीं करते तो उनका नामांकन और चुनाव अवैध है। वहीं निर्वाचन अधिकारी का यह कर्तव्य था कि वह शिकायत के बाद हाईस्कूल प्रमाण पत्र देखने के बाद ही निर्णय करते, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। निर्वाचन अधिकारी द्वारा अन्य कमियों को भी नजरअंदाज किया गया जिसमें प्रारूप 26 के पहले पृष्ठ पर राजनैतिक दल का नाम समाजवादी लिखा होना, कुल आय का कॉलम खाली रखा जाना, उच्चतम डिग्री में वर्ष तथा स्थान का न लिखा जाना, यह सारे कृत्य रिटर्निग अफसर की निष्पक्षता पर संदेह व्यक्त करते है। इसे संज्ञान में लेते हुए रिटर्निग अफसर के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए।

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फिर की मुख्य सचिव, डीजीपी को हटाने की मांग

वहीं दूसरी ओर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने निष्पक्ष चुनाव के लिए मुख्य सचिव और डीजीपी को हटाने की मांग की है। उन्होंने आयोग को अवगत कराया कि इस बाबत भाजपा अपना निवेदन पत्र कई बार चुनाव आयोग को सौंप चुकी है इसके बावजूद दोनों अधिकारी अपने पदों पर बने हुए है। मुख्य सचिव राहुल भटनागर और डीजीपी जावीद अहमद निर्वाचन कार्य से जुडे़ अधिकारियों, कर्मचारियों और पुलिस विभाग के अधिकारियों पर दबाव बनाकर निष्पक्ष चुनाव की प्रक्रिया बाधित कर रहे हैं।