- मोदी-शाह के अलावा सुनील बंसल ने निभाई गेमचेंजर की भूमिका

- सोशल मीडिया को बनाया बूथ लेवल तक पहुंच का हथियार

- पर्दे के पीछे से सक्रिय कई नेताओं ने दिखाई जीत की राह

LUCKNOW :भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव में बाजी मार ली। बीजेपी की इस जीत का पूरा श्रेय भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी को जाता हो, लेकिन हकीकत यह है कि पर्दे के पीछे से भी कई नेताओं ने ऐसी भूमिका निभाई जिससे चुनावी बिसात पर विपक्षी दलों के मोहरे पिटते चले गये। पार्टी के आयोजनों से लेकर सोशल मीडिया पर प्रचार की ऐसी मुहिम छेड़ी गयी जिसका माकूल जवाब देने में विपक्षी दलों के पसीने छूट गये। चुनाव के बाद बीजेपी के सुनील बंसल 'बिग बॉस' भी भूमिका में उभर कर सामने आए तो ओम माथुर, स्वतंत्र देव सिंह, केशव प्रसाद मौर्य और विजय बहादुर पाठक सरीखे चेहरों का बीजेपी में कद बढ़ता चला गया।

बूथ लेवल कार्यकर्ता सम्मेलन से शुरुआत

बीजेपी ने करीब साल भर पहले बूथ लेवल कार्यकर्ता सम्मेलन करने शुरू किए तो विपक्षी दलों ने इसे नजरअंदाज करने की सबसे बड़ी भूल की। पब्लिक की नब्ज टटोलने के लिए बीजेपी ने परिवर्तन यात्रा का दौर शुरु किया तो बाकी दलों से उससे सीख लेने के बजाय यात्रा पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। वहीं भाजपा का रथ आगे बढ़ता रहा और पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति का पहला चरण पूरा कर लिया। इसके बाद मौका आया सोशल मीडिया पर जंग का, बीजेपी ने यहां भी बसपा और सपा पर जोरदार हमले किए और दोनों ही दलों को सोशल मीडिया पर इसका जवाब देने के लिए नये सिरे से टीम बनानी पड़ गयी। सोशल मीडिया पर पार्टी को दमदार तरीके से पेश करने का श्रेय सुनील बंसल को ही जाता है। यूपी बीजेपी कार्यालय के फ‌र्स्ट फ्लोर से चुपचाप तरीके से वे आईपैड, टीवी और फोन के जरिए न केवल भाजपा के नेताओं, बल्कि सांसदों को भी दिशा निर्देश देते रहे। इसके बाद कुछ लोग उन्हें मिनी अमित शाह के नाम से भी पुकारने लगे।

कार्यालय से सीधा संपर्क

पूरे प्रदेश में हर बूथ पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं से सीधे पार्टी मुख्यालय संपर्क कर चुनावी समीकरणों की थाह लेता रहा। रोजाना शाम को पूरे प्रदेश में हुई चुनावी तैयारियों की गतिविधियों की रिपोर्ट नई दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय को भेजी जाती रही। पूरे प्रदेश से जातिगत आंकड़ों के साथ हर क्षेत्र से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी भी जुटाकर उसका ब्योरा पार्टी के थिंक टैंक तक पहुंचाया जा रहा था। यही वजह रही कि भाजपा ने टिकट बांटने से ज्यादा वक्त अपना होमवर्क करने में गुजारा जो उसकी जीत की सबसे बड़ी वजह बनकर सामने आया। यह टीम कई बड़े नेताओं के हाल की भी रिपोर्ट भेजती रही जिनका परंपरागत सीट से चुनाव जीत पाना मुश्किल लग रहा था। इसी वजह से कई बड़े चेहरों को दूसरी सीटों से चुनाव लड़ाने की रणनीति बनाई जा सकी।

सोशल मीडिया मैनेजमेंट के गुरु

चुनाव के दौरान सुनील बंसल समेत कई वरिष्ठ नेता सोशल मीडिया टीम को सीधे निर्देश देते रहे। बीजेपी ऑफिस के अलावा 11 लोगों की एक टीम अलग से अपने काम को अंजाम देती रही। इस टीम को पूरे चुनाव अभियान के दौरान गुप्त रखा था। इस टीम के पास बीजेपी के सोशल मीडिया के सभी आधिकारिक हैंडल थे। यह टीम अपने हर काम की प्लानिंग और हर दिन की रिपोर्ट इनसे शेयर करती थी। स्मार्टफोन और व्हाट्सएप के द्वारा बंसल इस टीम से 24 घंटे जुड़े रहे। इस सोशल मीडिया की टीम में काम करने वाले लगभग सभी लोग प्रोफेशनल पत्रकार या सोशल मीडिया एक्सपर्ट हैं। 25 से 35 साल की इस युवा टीम के सभी लोग पहले दिल्ली के विभिन्न चैनलों और अखबार में काम कर रहे थे। जिन्हें कई मानकों पर खराब उतरने के बाद चुन चुन कर यहां लाया गया था। इस टीम में ग्रॉफिक डिजाइनर, वीडियो एडिटर से लेकर कटेंट राइटर्स और रिसर्चर्स की टीम थी। करीब 6 महीने पहले तक बीजेपी के फेसबुक और ट्विटर पेज के लाइक की पहुंच कई गुना बढ़ गई। फेसबुक पर बीजेपी के ऑफिसियल पेज के लाइक 20 लाख से अधिक हैं वह 6 माह पहले सिर्फ 2 लाख हुआ करते थे। इसकी बदौलत यह टीम एक एक पोस्ट को 20 लाख लोगों तक पहुंचाती थी। यही नहीं पार्टी की नीतियों को व्हाट्सएप के जरिए एक साथ लाखों लोगों को पहुंचाया गया।

करते थे लाइव अपडेट

इस टीम ने मोदी सहित सभी बड़ी रैलियों का लाइव अपडेट फेसबुक और ट्विटर पर किया। एक आंकड़े के मुताबिक एक रैली में यह टीम औसतन 100 से ज्यादा ट्वीट करती थी। इसके अलावा इस टीम ने इस दौरान 6 महीने में करीब 10500 फेसबुक पोस्ट बीजेपी के ऑफीशियल हैंडल से डाला है। हर पोस्ट की रीच लाखों में होती थी। ऐसा ही काम सपा और कांग्रेस की टीमें कर रही थी लेकिन सुनील बंसल की युवा और तेज तर्रार टीम के सामने वे टिक नहीं पाए।

जीत का सेहरा इनके सिर पर

ओम माथुर : भाजपा में संगठन को मजबूत बनाने के साथ बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन कराने की पूरी जिम्मेदारी संभाली। टिकट बंटवारे में भी अहम भूमिका निभाते हुए असंतुष्टों को खुद मनाते भी रहे। चुनाव के दौरान तमाम जगहों पर जाकर प्रचार भी किया। पीएम की रैलियों में सारे इंतजाम अपनी देख-रेख में कराए।

सुनील बंसल : विपक्षियों के हौसले पस्त करने को सोशल मीडिया टीम को मैनेज करने के साथ हर चुनावी गतिविधि पर बारीक नजर रखते रहे। युवाओं को साथ में जोड़ते हुए पर्दे के पीछे से गेमचेंजर की भूमिका का निर्वाह किया। बंसल को भले ही कार्यकर्ता सीधे न जानते हो लेकिन उनसे मिलने के बाद वह उनका मुरीद हाजाता है।

केशव मौर्य : भाजपा के फायरब्रांड नेता केशव मौर्य ने जिस तरह कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया, उसने पार्टी को बड़ा मुकाम हासिल कराने में मदद की। मोदी और शाह के 'यस मैन' बने केशव हर छोटे-बड़े आयोजन का जायजा खुद लेते थे। पीएम मोदी की रैलियों में उनका खासा दखल रहता था जिसकी वजह से वह बेहद लोकप्रिय साबित होती चली गयी।

स्वतंत्र देव सिंह : नेताओं के चुनाव प्रचार से लेकर उनके भाषण आदि को भी स्वतंत्र देव सिंह पर्दे के पीछे रहकर अंजाम देते रहे। यही वजह रही कि भाजपा ने सभी जिलों में तगड़ा चुनाव प्रचार किया। वरिष्ठ नेताओं के इशारे पर संगठन को मजबूत करने और असंतुष्टों को मनाने का काम भी उन्होंने बखूबी किया। यही वजह है कि सरकार में उन्हें कोई बड़ा पद मिलने की संभावना जताई जा रही है।

विजय बहादुर पाठक : हर विधानसभा क्षेत्र में पाठक को चुनाव सहायक बनाया गया था जिसका दायित्व उन्होंने बखूबी निभाया। बुंदेलखंड और कानपुर क्षेत्र के प्रभारी पाठक ने दोनों ही क्षेत्रों में भाजपा को बड़ी जीत दिलाने में मदद की है। उनका एक कदम लखनऊ में आयोजित नेताओं की प्रेस कांफ्रेस में रहता था तो दूसरा तुरंत बड़े नेताओं की जनसभा और रैलियों में।

हरिश्चंद्र श्रीवास्तव : पार्टी के हर मूवमेंट से लेकर विज्ञापन जारी करने तक का दायित्व हरिश्चंद्र श्रीवास्तव के पास था। सुबह से लेकर रात तक पार्टी के काम में जुटे रहने वाले हरिश्चंद्र टीवी डिबेट में भी पार्टी का पक्ष मजबूती से रखते रहे। पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए उन्होंने अपने अनुभव का इस्तेमाल किया और मीडिया की मदद ली।

तरुण कात त्रिपाठी : नुक्कड़ नाटक जैसे लोकलुभावन तरीकों से प्रचार करने का जिम्मा बीजेपी कार्यालय के तरुण कांत त्रिपाठी को मिला तो उन्होंने छात्रसंघ के अपने अनुभव के जरिए इसे बखूबी निभाया। करीब पचास युवाओं की टीम दिन-रात इसके आयोजन में जुटी रही। ये युवा कई दिनों तक अपने घर की चौखट भी नहीं लांघ सके।

आलोक अवस्थी : खासतौर पर दिल्ली मुख्यालय से लखनऊ भेजे गये आलोक अवस्थी ने मीडिया मैनेजमेंट की कमान संभाली और पार्टी के बड़े नेताओं की प्रेस कांफ्रेंस कराने के साथ उसे मीडिया पर प्रचार-प्रसार कराते रहे। अटल के करीबी माने जाने आलोक को यह जिम्मेदारी खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सौंपी थी।