-भाजपा, सपा के बाद अब बसपा चली गांव

-यूपी विधानसभा चुनाव से पहले ग्रामीणों को पक्ष में करने में जुटे राजनीतिक दल

-कार्यकर्ता नहीं पदाधिकारियों को निर्देश, गांव में डाले डेरा, सुनें समस्याएं

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ

शहर में रहने वाले लोग एक ओर जहां बुलेट ट्रेन में चलने का सपना और मेट्रो में बैठने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं गांव के लोग अब भी अपनी जरूरतों को पूरा करने में जूझ रहे हैं। बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी जरूरतें भी अधिकतर गांव में नहीं है। मगर शहरों में विकास करने वाले राजनीतिक दलों को अचानक एक बार फिर गांव की याद सताने लगी है। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल गांव की ओर निकल पड़े हैं। भाजपा, सपा के बाद बसपा ने भी चुनावी तैयारी करते हुए 25 अप्रैल से गांव चलो अभियान शुरू करने जा रही है। बसपा आलाकमान ने सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे गांव में जाकर लोगों की समस्याएं सुनें।

यूपी चुनाव में अहम रोल अदा करेंगे ग्रामीण वोटर

यूपी विधानसभा चुनाव में जीत की रणनीतियां बनना शुरू हो गई है। बीजेपी ने जहां पार्टी के सभी पदाधिकारियों को ग्रामीण इलाकों में जाकर किसान और दलित परिवार के साथ मिलने और उनकी समस्याओं को जानने के साथ एक रात गुजारने का निर्देश दिया है। बीजेपी का यह अभियान धीरे-धीरे रन कर रहा है। वहीं सपा की यूथ ब्रिगेड की टीम लगातार गांव-गांव पहुंच कर पिछले चार सालों में किये गए पार्टी के कार्य और उपलब्धियों को गिनाने में जुटे हैं। 2017 विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा और सपा को जवाब देते हुए बसपा ने भी तैयारी का आगाज गांव से ही किया है। बसपा आलाकमान के निर्देशानुसार 25 अप्रैल से गांव चलो अभियान शुरू होगा। जिसमें पार्टी के पदाधिकारी कार्यकर्ताओं के साथ गांव में डेरा डालेंगे और उनकी जनसमस्याओं को सुनने के साथ निजात दिलाने का प्रयास करेंगे।