तमाम कोशिशों के बाद भी नहीं हो सका समझौता

- आजम की कवायद भी फेल, नहीं माने मुलायम

- अखिलेश गुट ने साधी चुप्पी, अब आयोग पर नजरें

LUCKNOW:

समाजवादी पार्टी में मची कलह खत्म होने के आसार कम होते जा रहे हैं। पिछले तीन दिन से मुलायम के राजधानी में रहने के बावजूद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी। आजम खान समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं द्वारा किए गये सुलह के प्रयास भी फेल होते दिखे। शनिवार को भी आजम सुलह के फॉर्मूले के साथ मुलायम से मिले, लेकिन उन्हें मना पाने में नाकाम रहे। इन हालात में साफ है कि आगामी नौ जनवरी को चुनाव आयोग जाने से पहले यदि सुलह न हुई तो दोनों गुटों को अलग-अलग चुनाव लड़ना पड़ सकता है। इसके संकेत भी शनिवार को मिले जब रामगोपाल यादव ने नई दिल्ली में चुनाव आयोग जाकर एफिडेविट सौंप दिया।

नहीं आए अमर सिंह

शनिवार को मुलायम के घर पर तमाम नेताओं का आना-जाना लगा रहा लेकिन राजधानी में मौजूद होने के बावजूद अमर सिंह नहीं आए। देर शाम अमर सिंह ने दिल्ली का रुख कर लिया। चर्चा है कि अमर सिंह ने इस रार के साथ पार्टी से भी दूरी बनाने का फैसला ले लिया है और अपना इस्तीफा मुलायम को सौंप दिया है। पार्टी सूत्रों की माने तो राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर दोनों गुटों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। अखिलेश गुट अब पीछे हटने को तैयार नहीं है तो मुलायम गुट राष्ट्रीय अध्यक्ष पद वापस लेने से कम पर राजी नहीं हो रहा। दोनों ही गुटों के वफादारों ने नई टीम बनाने की तैयारी भी अंदरखाने शुरू कर दी है ताकि चुनाव मैदान में एक-दूसरे का आमना-सामना किया जा सके। इसके बावजूद पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता वोट बैंक गंवाने के डर से सुलह की गुंजाइश तलाशने में जुटे हैं। दोपहर करीब 3.30 बजे मुलायम के घर से निकले अंबिका चौधरी ने जल्द ही सुलह हो जाने का दावा भी किया हालांकि वे इसका फॉर्मूला नहीं बता सके।

अब आयोग पर टिकी नजरें

इसी बीच यह खबर भी आई कि रामगोपाल यादव ने शनिवार शाम सात बजे चुनाव आयोग में पार्टी विधायकों, सांसदों, पदाधिकारियों व डेलीगेट्स के समर्थन वाला एफिडेविट सौंप दिया। इसके साथ ही मुलायम और शिवपाल के दोबारा रविवार को दिल्ली जाने के संकेत भी मिले। इससे साफ हो गया कि अब दोनों ही पक्ष इस मामले को चुनाव आयोग के सामने ले जाकर निर्णायक फैसला कराने के मूड में हैं। अब देखना यह है कि चुनाव आयोग पार्टी के नाम और सिंबल को लेकर क्या निर्णय लेता है। मुलायम के घर के बाहर मौजूद सपा नेता भी इसे लेकर आशंकित दिख रहे थे। उनका मानना था कि इससे पार्टी को चुनाव में गहरा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इतने लोगों का समर्थन

- 5731 डेलीगेट्स में से 4440 ने दिया शपथ पत्र

- 229 में से 205 विधायक अखिलेश के समर्थन में

- 68 में से 56 एमएलसी ने अखिलेश को माना नेता

- 24 में से 15 सांसदों ने भी दिया एफिडेविट

कहां फंस रहा पेंच

- रामगोपाल के बागी तेवरों से मुलायम गुट बातचीत को तैयार नहीं

- अखिलेश समर्थक राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ने को राजी नहीं

- दूसरा खेमा मुलायम को दोबारा राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर अड़ा

- मुस्लिम वोट बैंक खोने के डर से दोनों गुटों में बेचैनी बढ़ी

- अलग चुनाव लड़ने की सूरत में फिर खेमेबंदी तेज होने की आशंका

- सिंबल फ्रीज होने पर तमाम प्रत्याशी दूसरे दलों का कर सकते हैं रुख