चाय की चुस्कियों के बीच चुनावी चकल्लस में जुटे इलाहाबादी

कौन बनेगा सीएम, किसकी होगी सरकार, दे रहे अपनी-अपनी राय

ALLAHABAD: यूपी में विधानसभा चुनाव 2017 की सरगर्मी रंग पकड़ने लगी है। राजनीतिक पार्टियां चुनावी गुणा गणित में मशगूल हैं तो पब्लिक चुनावी चकल्लस में व्यस्त है। किसकी बनेगी सरकार, कौन होगा मुख्यमंत्री इस बात को लेकर चाय की चुस्कियों के बीच हर नुक्कड़ व चौराहे पर बहस छिड़ी हुई है। चर्चा में सपा का परिवारिक दंगल प्रमुख रूप से लोगों की जुबान पर है। वहीं भाजपा और कांग्रेस द्वारा अभी तक प्रत्याशियों की घोषणा न किए जाने पर भी अगल-अलग तरह के तर्क पब्लिक के बीच से आ रहे हैं। बसपा सुप्रीमो द्वारा प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर देने के बाद प्रत्याशियों के रसूख व प्रतिभा का मूल्यांकन भी किया जा रहा है। बुधवार को आईनेक्स्ट टीम ने एजी आफिस के निकट स्थित सैनिक चाय की दुकान छिड़ी चुनावी चकल्लस का हिस्सा बनी। आप भी पढि़ए चाय पर चुनावी चर्चा के की कहानी।

सपा के लिए एकजुटता जरूरी

ठंड के बीच चल रही शीत लहर से का प्रभाव कम करने के लिए लोग चाय की दुकान पर जमा थे। चाय की चुस्कियों का दौर चल रहा था। इसी बीच मुकेश सिंह ने सपा में चल रहे पारिवारिक दंगल पर चर्चा छेड़ दी। कहा कि भइया ई सपा का पारिवारिक दंगल कहीं पार्टी का अमंगल न कर दे। अगर यूपी में सपा को दुबारा सत्ता में आना है तो परिवार को एकजुट होना पड़ेगा। ई बात अलग है कि अखिलेश ने सीएम के तौर पर प्रदेश में कई अच्छे काम किए हैं और पार्टी के कई बड़े नेता उनके साथ हैं, लेकिन पार्टी टूटी तो सपा का अमंगल होना तय है। इस बात पर मंगल तिवारी तपाक से बोल पड़े कि अखिलेश ने भले ही काफी अच्छे काम किए हो, लेकिन उनकी पार्टी के ही कई नेताओं ने सपा की छवि धूमिल की है। जनता सब जानती है वह इन बातों को भूलेगी नहीं। इन्हीं नेताओं के कारण पार्टी का जनाधार गिरा है। मेरे ख्याल से तो पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह को खुद ही सेवानिवृत्ति स्वीकार कर लेनी चाहिए। क्योंकि अब उनका अस्तित्व धीरे धीरे पार्टी में समाप्त हो रहा है।

हमका तो विकास से मतलब

इन दोनों के बीच में कूदे प्रमोद कुमार सिंह ने दो टूक कहा कि भइया सरकार चाहे जो बनावे हमका तो विकास से मतलब है। ई नेतन के सबसे बड़ी कमी यही है कि इस कुर्सी पावत ही जनता को भूलकर आपन विकास करै लगत हैं। इनका तो चुनाव के टाइम पर ही जनता की याद आवत है। लेकिन पब्लिक सब समझती है। अबकी तो उसी पार्टी का वोट मिली जो जनता के हित व विकास की बात करी। अखिलेश यादव भले कुछ विकास किहिन हैं, लेकिन सपा राज में गुंडागर्दी व अराजकता व अपराध की घटनाओं की बाढ़ हमेशा रही है और अखिलेश भी एह पर लगाम नहीं लगाय सके हैं।

अबकी हिंया भी मोदी-मोदी

इसी बीच विज्ञान श्रीवास्तव बोल पड़े। बोले भइया अबकी तो भाजपा ही मैदान मारेगी। प्रधानमंत्री मोदी इसकी वजह बनेंगे। ढाई साल के कार्यकाल में उन्होंने जो कर दिया वह देश के इतिहास में इससे पहिले कउनौ प्रधानमंत्री नहीं कर सका। देश का दीमक की तरह चाट रहे भ्रष्टाचार का मिटावै की खातिर नोटबंदी की ऐसी चोट दिहिन कि बड़े-बड़े चित्त हो गए। पइसा के दम पर चुनाव लड़ै वाले अबकी पानी भरत नजर अइहैं। नेतवन तो नोटबंदी का लेकर बखेड़ा कई दिहिन लेकिन जनता की मदद से प्रधानमंत्री अपने ई अभियान में सफल रहे हैं। स्वच्छता, विकास और ऊ का कहत हैं डिजिटल इंडिया वाली उनकी सोच विधानसभा चुनाव में भी जनता के सिर चढ़कर बोलेगी।

चाय की हल्की चुस्की लेते हुए अतुल पाण्डेय ने विज्ञान श्रीवास्तव की बात को बीच में काटा। कहा नोटबंदी तो ठीक रही, लेकिन ई फैसला जल्दबाजी वाला रहा। अगर नई नोट लावै का रहा तो पहिले व्यवस्था तो ठीक कर लेते। दो महीना तक पब्लिक का कचूमर निकाल दिए। लोग सब काम धाम छोड़ के बस पइसा के पीछे ही भागते रहे। नोटबंदी के दम पर भाजपा विधानसभा चुनाव जीत लेई ई कहना तो आसान है लेकिन हकीकत तो चुनाव के बाद ही पता चली। अब तक चुनावी चर्चा अंतिम दौर पर पहुंच चुकी थी और एक-एक करके सब अपने गंतव्य की ओर चल पड़े।

टी इवेंट

अखिलेश काम तो अच्छा किहिन हैं पर इनके राज में भी अपराध व गुण्डागर्दी पर लगाम नहीं लगी

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सपा का परिवारिक दंगल चुनाव में पार्टी का अमंगल न कर दे इसलिए पार्टी को एकजुट होना पड़ेगा

बसपा ने तो अपनी चाल चल दी है अब भाजपा व कांग्रेस भी अपने पत्ते खोलें तो जंग निर्णायक मोड़ पर पहुंचेगी