- गठबंधन के ऐलान के बाद राहुल और अखिलेश की संयुक्त प्रेसवार्ता

- राहुल का मोदी पर निशाना, क्रोध और नफरत के खिलाफ बताया गठबंधन

- मायावती पर नरम दिखे राहुल, बसपा को बीजेपी से बेहतर दिया करार

LUCKNOW:

विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस के गठबंधन के बाद रविवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी एक साथ नजर आए तो सूबे में नये चुनावी समीकरण बनने के संकेत मिले। दोनों ने गठबंधन को दलों के साथ दिलों का भी संगम बताया तो राहुल ने मायावती की तारीफ कर लोगों को चौंका दिया। दोनों ने माना कि अभी गठबंधन में कई पेंच बाकी हैं जिसे आपसी बातचीत से सुलझा लिया जाएगा। राहुल गांधी ने कहा कि यह गठबंधन भाजपा और आरएसएस के क्रोध और झूठ की राजनीति का जवाब है। बीजेपी बदले की बात करती है तो हम युवा बदलाव की बात करते है। बोले कि यूपी के डीएनए में क्रोध या गुस्सा नहीं है।

मायावती की करता हूं इज्जत

रविवार को गोमतीनगर के पांच सितारा होटल में आयोजित संयुक्त प्रेस वार्ता में राहुल गांधी ने कहा कि वे इस गठबंधन से काफी खुश हैं। गठबंधन में मायावती को शामिल करने को लेकर पूछे गये सवाल पर बोले कि मैं उनका और कांशीराम का काफी सम्मान करता हूं। उन्होंने कुछ गलतियां जरूर की हैं लेकिन मायावती और बीजेपी में काफी फर्क है। बीजेपी की विचारधारा से देश का खतरा है लेकिन मायावती की नहीं। उनके इस बयान के सियासी मायने तलाशे जाने लगे है। बोले कि राजनीति नीयत से होती है और बीजेपी की नीयत साफ नहीं है। '27 साल, यूपी बेहाल' नारा वापस लेने पर बोले कि मैंने कुछ दिन पहले लखनऊ में ही कहा था कि अखिलेश अच्छा लड़का है लेकिन उसे काम नहीं करने दिया जा रहा। हम युवा सोच के साथ काम करना चाहते हैं ताकि यूपी के युवाओं को एक ऑप्शन दिया जा सके। हमारी विचारधारा अलग हो सकती है लेकिन हम एक दूसरे की अच्छाईयों को देखते हुए साथ चुनाव लड़ेंगे। अखिलेश की नीयत साफ है और वह यूपी को बदलना चाहते हैं। कांग्रेस उन्हें शक्ति देने का कम करेगी।

मैं और राहुल साइकिल के पहिए

वहीं अखिलेश ने कहा कि मैं और राहुल साइकिल के पहिए हैं। साइकिल को जब हाथ का साथ मिलेगा तो सोचिए कितनी रफ्तार से विकास होगा। यह प्रेम और सद्भावना का गठबंधन है। यूपी की जनता ने मन बना लिया है कि किसे वोट देना है। जिन्होंने लोगों को लाइन में खड़ा किया, तकलीफें दी, अब जनता दोबारा लाइन में खड़े होकर उन्हें जवाब देगी। यह केवल यूपी ही नहीं देश की राजनीति को भी रास्ता दिखाएगा। मायावती पर बोले कि वे ज्यादा जगह मांगती हैं। उनका तो चुनाव चिन्ह भी हाथी है। सपा सरकार ने सबसे ज्यादा सरकारी नौकरियां दी। इसमें कोई शक नहीं कि हम लोग तीन सौ से ज्यादा सीटें जीतेंगे। अब तो बीजेपी का घोषणा पत्र भी देख लिया। हमने अपना घोषणा पत्र दिल से बनाया है और उन्होंने दिमाग से। बीजेपी के घोषणा पत्र में कैराना में पलायन की जांच को टास्क फोर्स बनाए जाने को लेकर पूछे गये सवाल पर कहा कि टास्क फोर्स बनी तो सबसे पहले बीजेपी वालों को ही पकड़ेगी।

अभी से क्यों बताएं स्ट्रेटजी

राहुल और अखिलेश ने चुनाव प्रचार अभियान की स्ट्रेटजी बताने से साफ इंकार कर दिया। इससे माना जा रहा है कि दोनों दल चुनाव प्रचार के दौरान कई चौंकाने वाली कवायद कर सकते है। वहीं मुलायम, सोनिया, प्रियंका और डिंपल यादव के चुनाव प्रचार में शामिल होने पर राहुल ने कहा कि जो हमारी विचारधारा को मानते हैं, वे इसमें शामिल होंगे। प्रियंका मेरी बहन है और हमेशा मेरी मदद करती है। चुनाव प्रचार करने का निर्णय उन्हें खुद लेना है। वहीं अखिलेश ने कहा कि डिंपल सांसद भी हैं, वे भी खुद प्रचार करने का निर्णय लेने को सक्षम हैं। वहीं अमेठी और रायबरेली की सीटों पर विवाद के बाबत बोले कि इसे आपसी बातचीत से सुलझा लिया जाएगा। गौरतलब है कि प्रेस कांफ्रेंस के दौरान राहुल को कागज पर लिखकर दिया गया था कि रायबरेली की सीटों का मामला सुलझाने को कोई पॉलिसी बनानी होगी। वहीं 2019 में राहुल गांधी को बतौर पीएम स्वीकार करने पर अखिलेश बोले कि अभी इस बाबत कोई बातचीत या फैसला नहीं हुआ है।

ना अच्छे दिन आए और ना ही पंद्रह लाख

प्रेस कांफ्रेंस के बाद हजरतगंज चौराहे पर स्थित गांधी प्रतिमा से चौक तक राहुल और अखिलेश ने रोड शो निकाला। चौक में राहुल गांधी ने जनसभा में पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने पूरे देश के गरीबों को लाइन में खड़ा कर दिया। पहले इसे काले धन के खिलाफ लड़ाई बताया तो बाद में नकली नोटों के खिलाफ। इसके बाद कहने लगे कि यह कैशलेस व्यवस्था को लागू करने को किया था। असलियत यह है कि कैशलेस व्यवस्था में दस फीसद रकम उन पचास परिवारों के पास जाएगी जिनके पास वास्तव में काला धन है। काला धन देश के गरीबों के पास नहीं, विजय माल्या, ललित मोदी जैसे लोगों के पास है। वहीं अखिलेश यादव ने कहा कि साइकिल को चलाने के लिए हाथ की जरूरत होती है। अब हम मिलकर प्रदेश में सरकार बनाने जा रहे हैं।

थीम सांग भी किया लांच

इस अवसर पर दोनों पार्टियों ने गठबंधन का थीम सांग भी लांच किया जिसके बोल 'यूपी की अब तो बात अलग है, इसकी तो अब धाक अलग है' से सजाए गये है। वहीं मंच पर लगे बैकड्रॉप में सपा और कांग्रेस के झंडे में अखिलेश और राहुल की तस्वीर लगी थी। राहुल ने गठबंधन को प्रगति, समृद्धि और शांति कायम रखने का प्रयास बताया तो अखिलेश ने इसे जनता का गठबंधन करार दिया।

पुरानी दोस्ती ने बनाया नया चुनावी रिश्ता

- अखिलेश और राहुल ने एक-दूसरे को पुराना दोस्त बताया

- कई सवालों पर एक-दूसरे का करते रहे बचाव

- 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर नहीं खोले पत्ते

LUCKNOW:

सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन को पुख्ता शक्ल देने को रविवार को राहुल गांधी और अखिलेश मीडिया के सामने आकर आपस में गले मिले तो फोटो जर्नलिस्ट के कैमरे के फ्लैश ताबड़तोड़ चमकने लगे। देश की राजनीति की दिशा को तय करने वाले यूपी की सियासत में इस नये गठजोड़ से उभरने वाले नये राजनीतिक समीकरणों का आकलन भी शुरू हो गया। प्रेस कांफ्रेंस शुरु होते ही राहुल ने कहा कि उनके अखिलेश से व्यक्तिगत पुराने रिश्ते हैं जो अब और गहरे होंगे। वहीं अखिलेश बोले कि हम और राहुल लोकसभा में साथ रहे हैं, कई कार्यक्रमों में मिलने का मौका मिला। मुझे इस बात की खुशी है कि अब हम साथ मिलकर काम करने जा रहे हैं। आगे भी मौका मिला तो यह दोस्ती देश की राजनीति की दिशा तय कर देगी।

मेरी और अखिलेश की दोस्ती अलग

सियासी गुणा-भाग से इतर जाते हुए राहुल गांधी ने अखिलेश के समर्थन में खुलकर बोला। कहा कि मेरी और अखिलेश की दोस्ती अलग है, जिस तरह संगम में गंगा-यमुना आपस में मिल जाती हैं, उसी तरह हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे। वर्ष क्99म् में बसपा के साथ गठबंधन के बाद कांग्रेस की दुर्गति की याद दिलाने पर कहा कि इतिहास को भूल जाइए, उस समय गठबंधन गलत था लेकिन आज सही है। मैने गरीबों, किसानों की मदद की बात कही तो अखिलेश ने उसका समर्थन किया। दोनों ने पत्रकारों के तीखे सवालों पर एक-दूसरे का बखूबी बचाव भी किया। शीला दीक्षित को सीएम फेस बनाने के सवाल पर राहुल अटके तो अखिलेश ने उनका बचाव करते हुए कहा कि शीला दीक्षित से उनका कन्नौज का पुराना रिश्ता है। आगामी लोकसभा चुनाव में नेतृत्व की बात उठी तो अखिलेश ने कहा कि इसे आने वाले समय में तय किया जाएगा, हम अभी से क्यों इससे पर्दा उठा दे। वहीं अखिलेश सरकार के कामकाज को लेकर पूछे गये सवाल पर राहुल बोले कि ऐसी कोई सरकार नहीं जिसमें कोई कमी न हो। आज कोई यह नहीं कह सकता कि अखिलेश ने यूपी में काम नहीं किया। वहीं राम मंदिर निर्माण को लेकर पूछे गये सवाल पर बोले कि यह मामला अदालत में है, इसलिए मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। बीजेपी हर चुनाव से पहले यह मामला उठाती रहती है।

मैं और राहुल साइकिल के पहिए हैं। साइकिल को जब हाथ का साथ मिलेगा तो सोचिए कितनी रफ्तार से विकास होगा। यह प्रेम और सद्भावना का गठबंधन है।

अखिलेश यादव

मैं मायावती और कांशीराम का काफी सम्मान करता हूं। उन्होंने कुछ गलतियां जरूर की हैं लेकिन मायावती और बीजेपी में काफी फर्क है। बीजेपी की विचारधारा से देश का खतरा है लेकिन मायावती की नहीं।

राहुल गांधी