28 लाख निर्धारित थी खर्च सीमा, 13 लाख भी नहीं पहुंचे

12.48 लाख रुपए खर्च कर नंबर वन रहे बसपा प्रत्याशी मनोज पांडेय

10.83 लाख खर्च कर बसपा के ही दीपक पटेल रहे दूसरे नंबर पर

10.72 लाख खर्च कर तीसरे नंबर पर रहे सपा के हाजी परवेज अहमद टंकी

ALLAHABAD: पिछले चुनावों तक अंधाधुंध पैसा खर्च करने वाले प्रत्याशियों ने इस विधानसभा चुनाव में गजब का मैनेजमेंट दिखाया। उन्होंने चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा का पचास फीसदी भी व्यय नहीं किया। अब ये आंकड़ेबाजी का खेल है या हकीकत यह तो चुनाव आयोग जाने, लेकिन प्रत्याशियों के हिसाब ने अधिकारियों को चौंका जरूर दिया है। चुनाव खर्च रजिस्टर के अनुसार सबसे आगे फाफामऊ से बसपा प्रत्याशी मनोज पांडेय रहे। उन्होंने इस चुनाव में 12.48 लाख रुपए खर्च किया है।

28 लाख के पास भी नहीं फटके

इस चुनाव में आयोग ने खर्च की अधिकतम सीमा 28 लाख रुपए निर्धारित की थी। इसके मुकाबले प्रत्याशी पचास फीसदी भी खर्च नहीं कर सके हैं। मनोज पांडेय के बाद दूसरे नंबर पर करछना से बसपा प्रत्याशी दीपक पटेल रहे। उन्होंने 10.83 लाख रुपए में चुनाव लड़ा है। तीसरे नंबर पर सपा से शहर दक्षिणी प्रत्याशी हाजी परवेज अहमद टंकी 10.72 लाख के साथ तीसरे नंबर पर रहे। मेजा से भाजपा की नीलम करवरिया ने भी दस लाख रुपए से अधिक खर्च किया है। इसके अलावा बाकी सभी प्रत्याशी दस लाख रुपए से नीचे रहे। हालांकि, प्रतापपुर से निर्दलीय प्रत्याशी संतोष यादव आर्मी ने 11.67 लाख रुपए व्यय किया है। अन्य में भाजपा के सिद्धार्थ नाथ सिंह, प्रवीण पटेल आदि भी दस लाख रुपए के नीचे ही रहे हैं।

कैश नही तो खर्च क्या करेंगे

चुनाव में नोट बंदी का प्रभाव साफ तौर पर दिखा है। अधिकतर प्रत्याशियों ने चंदा लेकर चुनाव लड़ने का दावा किया है। उनका कहना है कि बैंकों से अधिकतम 24 हजार रुपए प्रति सप्ताह मिल रहे हैं, ऐसे में अधिक खर्च करना उनके बस में नहीं था। यही कारण रहा कि इस चुनाव में सड़कों पर बैनर, पोस्टर और होर्डिग नजर नहीं आए। यही नहीं प्रत्याशी कैशलेस खर्च से बचते नजर आए। उन्होंने चेक और आरटीजीएस के जरिए काफी कम भुगतान किया है। कुल मिलाकर यह चुनाव महंगाई के जमाने में सस्ते का बेहतरीन उदाहरण बन चुका है, जबकि पिछले चुनावों में अंधाधुंध खर्च पर रोक लगाने के लिए आयोग को खासी मशक्कत करनी पड़ती थी।