- कैंट सर्किल में नहीं मिल पा रहीं 18 सौ लाइसेंसी बंदूकें

- पूर्व आईजी, डीएम सहित के नाम रजिस्टर में दर्ज

GORAKHPUR: विधान सभा चुनाव के पहले शत प्रतिशत असलहों को जमा कराए जाने में बड़ी खामी उजागर हुई है। जिला प्रशासन के पास मौजूद रिकार्ड में दर्ज असलहे मौके पर नहीं मिल रहे हैं। असलहों की तलाश में लगी पुलिस ने यूआईडी में हुई फीडिंग में लापरवाही का हवाला देते हुए रिपोर्ट तैयार कर प्रशासन को भेज दिया है। विभिन्न विभागों में चार साल से अधिक का ब्यौरा न होने से अधिकारी भी पुलिस की मदद नहीं कर पा रहे।

ओनर का नाम ठीक लेकिन पता जीकेपी

जिले में करीब 21 हजार लाइसेंसी असलहे हैं। चुनाव के पहले इनको जमा कराने के लिए सख्त आदेश जारी किए गए हैं। असलहों को सहेजने के लिए थानों की पुलिस तेजी से लगी है। लेकिन पुलिस का सिरदर्द लापता असलहों ने बढ़ा दिया है। जिला प्रशासन की ओर से जारी लिस्ट में असलहों के ओनर का नाम तो ठीक से दर्ज है। लेकिन पते के रूप में उनकी फीडिंग जीकेपी कर दी गई है। कैंट, कोतवाली, राजघाट, पिपराइच सहित कई थाना क्षेत्रों में अड्रेस जीकेपी दर्ज होने से पुलिस हलकान हो गई है।

कैंट एरिया में लापता 18 सौ बंदूकें

शहर के महत्वपूर्ण कैंट इलाके में करीब 36 सौ असलहा लेने वालों की फेहरिस्त है। लेकिन चुनाव आचार संहिता के अनुपालन में पुलिस सभी को तलाश नहीं पा रही है। तकरीबन 18 सौ लाइसेंसधारियों का पता नहीं चल पा रहा है। पुलिस उनकी तलाश में दर-दर भटक रही है। पुलिस का कहना है कि किराए के मकान, जिले में तैनाती के दौरान असलहा लेने वाले लोग दूसरी जगहों पर शिफ्ट कर गए हैं। पूर्व आईजी, डीएम सहित कई अफसरों के नाम से कैंट थाना क्षेत्र के पते पर असलहा लिया गया था। अधिकारियों के शहर छोड़ने के बाद भी सरकारी अभिलेखों में असलहे कैंट एरिया के नाम-पते पर शो कर रहे हैं।

ऑनलाइन फीडिंग में गड़बड़ी

पुलिस का कहना है कि कुछ दिन पहले बायोमीट्रिक सिस्टम से असलहों का ब्यौरा ऑनलाइन फीड कराया गया है। इस दौरान सभी असलहाधारियों को बुलाकर फिंगर प्रिंट लिए गए हैं। सवाल खड़ा होता है कि जब बायोमीट्रिक सिस्टम से फीडिंग कराई जा चुकी है तो यह गड़बड़ी सामने क्यों आ रही है। पूर्व डीएम कालिका प्रसाद के नाम से तीन लाइसेंस हैं। एक पूर्व आईजी, सुरक्षा आयुक्त सहित कई अधिकारियों ने नाम से असलहे जारी हैं। लेकिन उनका ठिकाना बदल चुका है। एयरफोर्स और रेलवे में तैनात रहे अधिकारियों ने गोरखपुर के पते पर लाइसेंस जारी कराया था। उनका कोई रिकार्ड मौजूद न होने से पुलिस परेशान है।

वर्जन

तमाम लोगों के नाम-पते का वेरीफिकेशन नहीं हो पा रहा है। यहां के पते से लाइसेंस जारी कराने वाले कई लोगों ने निवास स्थान बदल दिया है। ऐसे में उनके असलहों की तलाश टेढ़ी खीर बन गई है। एक सूची तैयार करके जिला प्रशासन को भेज दिया गया है। कुछ पते स्पष्ट दर्ज होने की जगह सिर्फ जीकेपी लिख दिया गया है।

- अभय कुमार मिश्र, सीओ कैंट