i next reporter

शाहपुर सब स्टेशन के सामने लोग बैठे चाय की चुस्की ले रहे हैं। तभी स्कूली बच्चों का हुजूम गुजरता है। बच्चे नारा लगा रहे हैं, 'अंकल जी वोट देने जरूर जाइएगा, मतदान से ही हमारा लोकतंत्र मजबूत होगा.' जैसे ही बच्चे आगे निकले दुकान पर बैठे लोगों के बीच चुनावी चर्चा शुरू हो गई। वहां मौजूद आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब लोगों से इस बार के चुनावी मुद्दे की बात की तो लोग एक सुर में बोले, 'मुद्दतें बीत गई, पर मुद्दे आज भी वही हैं'

स्थान: शाहपुर सब स्टेशन के सामने

समय: सवा दो बजे

विधानसभा क्षेत्र: गोरखपुर शहर विधान सभा

रिपोर्टर: फिर से चुनाव आ गया है। इस बार किसके सिर पर सेहरा बंध रहा है।

विक्रांत मिश्रा: भाई, विकास की बात करने वाला चाहिए। झूठे वादे करने वाले नेता एक साल के लिए अच्छा लगता है पांच साल के लिए नहीं।

त्रिभुवन उपाध्याय- हां भाई, सही कह रहे हैं। शहर की समस्या को दूर करने वाला जो नेता संघर्ष करता है। उसी को हम लोग चुनें।

(यह सब सुनते हुए संतोष से रहा नहीं गया। वह बीच में बोल पड़े.)

संतोष कुमार उपाध्याय: तो चुनिए ना भाई70 साल से तो वही हो रहा है, लेकिन मिलता क्या है। विकास के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है। मुद्दतें बीत गई हैं, पर मुद्दे आज भी जस के तस हैं।

(इस पर जवाब आया रमेंद्र की तरफ से)

रमेंद्र यादव: कौन खानापूर्ति करता है। यह दूसरी बात है कि वादा करने वाला नेता वोट लेने के बाद शहर को भूल जाता है। इसमें हम लोग क्या कर सकते हैं।

विक्रांत मिश्रा: तो ऐसे भूलने वाले लोगों को अब पब्लिक भी भूल जाएगी और भूल ही रही है। कई दिग्गज को पब्लिक नकार भी रही है। अब तो बहुत की बदल गया है, जो नेता कभी लाव-लश्कर लेकर घूमते थे, जनता से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।

(विक्रांत ने रद्दा चढ़ाया)

नवीन प्रसाद सिन्हा: हमारे देश के पीएम आज देश में भले ही मंच से भाषण देते हुए दिखें लेकिन दिखते तो हैं।

(बातों का दायरा शहर की सीमाओं को लांघता हुआ देश-प्रदेश की बढ़ने लगा)

रामशरण मिश्रा: तो प्रदेश के सीएम गायब रहते हैं क्या? ऐसा नहीं है, इस समय के जो भी बड़े नेता हैं वह पब्लिक के बीच में बने हुए हैं। गायब नहीं रहते हैं।

(लगा कि रामशरण को इशारों में किया कटाक्ष अखर गया)

मंतालाल यादव: कुछ भी हो लेकिन पहले की जितनी भी सरकारें आई, सभी ने सत्ता में आते ही अपना रुख और घोषणा पत्र भुल जाते हैं।

विक्रांत मिश्रा: तो जो पार्टी अपने घोषणा पत्र याद रखती है, उसे कौन सा लोग पसंद कर लेते हैं। पिछले पांच चुनाव से घोषणा पत्र को याद रखने वाली पार्टी को सत्ता से दूर ही है।

मंतालाल यादव: गोरखपुर की जनता हमेशा सत्ता के विपरीत रही है और विकास की नई राह चुनी है। ऐसा नहीं होता तो बीते चुनाव में यहां से सपा की एक सीट नहीं निकलती।

(बात फिर चुनावी वादों और इरादों की तरफ घूम गई )

संतोष कुमार गुप्ता: तो क्या जो पार्टी सत्ता में रहेगी, उसके विधायक गोरखपुर में कम होंगे क्या?

(संतोष ने बात का मंतव्य समझने की कोशिश की)

इशारों में कही गई इस गंभीर बात को समझते ही अचानक हर शख्स हंसने लगता है। सभी एक स्वर से कहते हैं हो सकता है, इस बार भी यह बात सही हो जाए।

टी-स्टाल

वादे पूरे होते देखा है और अधूरे वादों के लिए नेता और पब्लिक के बीच संघर्ष भी देखा है। गोरखपुर की जनता विकास के नाम पर वोट देना शुरू कर चुकी है। इसलिए अब शहर बदल रहा है। यह कहा जा सकता है कि विकास हो रहा है। 1995 में मैंने जब यहां दुकान खोली थी तब यह सड़क सिंगल थी। लेकिन अब डबल हो चुकी है। आनेवाले दिनों में फोरलेन होने के भी आसार हैं। ऐसा हुआ तो लगेगा कि शहर में अब सही दिशा में जा रहा है।

-प्रेमचंद बर्नवाल

(चाय दुकान के मालिक)