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आई नेक्स्ट की जन की बात चाय पर चर्चा का सिलसिला बुधवार को सहजनवां के बरगहां गांव पहुंचा। यहां के लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। विकास की बात तो कोसों दूर यहां तो पांच साल बीत गए, अब तक उन्होंने अपने विधायक की शक्ल तक नहीं देखी। लोगों का कहना है इस बार वोट उन्हीं को मिलेगा जो सिर्फ बातें नहीं काम करेगा और इलाके के आसपास की जरूरतों को पूरा करेगा।

आई नेक्स्ट रिपोर्टर : क्या भाई लोग, इस बार चुनाव का क्या सीन बन रहा है?

इमरान : इस बार भइया वोट तो उसी को करना है, जो डेवलपमेंट पर जोर दे, स्टूडेंट्स के दर्द को समझे, लोगों की जरूरतों को पूरा करे।

हरिकेश बहादुर सिंह : सही कहा, क्योंकि हमारा वोट लेने के लिए नेता इलेक्शन के वक्त तो पहुंच जाते हैं, लेकिन इलेक्शन के बाद उन्होंने क्या वादा किया था, यह सब भूल जाते हैं। यहां तक कि

(तभी बीच में बात काटते हुए दुर्गेश बोल पड़े)

दुर्गेश श्रीवास्तव : वादे की बात करते हो, यहां तो विधायक जी कौन हैं, मुझे मालूम नहीं। उनकी शक्ल तो पूरे पांच साल में एक दिन भी नहीं दिखी।

(लोगों की बात गौर से सुन रहे राकेश से रहा नहीं गया और वह भी बहस में शामिल हो गए.)

राकेश तिवारी : किस मुंह से शक्ल दिखाएंगे। यह गांव ऐसा है कि बरसात के दिनों में यहां चलना-फिरना दूभर हो जाता है। कई बार लोग ने इसकी कंप्लेन भी की है, लेकिन आज भी प्रॉब्लम जस की तस है। बरसात के दिनों में यहां स्वीमिंग पूल बन जाता है, लेकिन लाख शिकायतों के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि सुनता ही नहीं है।

रिंकू : अरे भाई, सुनेंगे ही क्यों? उन्हें वोट चाहिए था, सो उन्हें मिल गया। इसके बाद प्रॉब्लम बनी रहती है तो बनी रहे।

राकेश तिवारी : यह एरिया हाईवे से सटा हुआ है, यहां रोजाना एक्सीडेंट होते रहते हैं, लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान इस ओर नहीं गया है। करीब आधा दर्जन एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन भी इसी राह पर पड़ते हैं, लेकिन स्कूल के आसपास कहीं पर भी स्पीड ब्रेकर या स्पीड कॉशन बोर्ड नहीं है। जबकि इसके लिए कई बार जनप्रतिनिधियों से गुहार भी लगाई गई है, लेकिन सिर्फ आश्वासन के सिवा उन्हें कुछ देना भी तो नहीं आता है।

आरबी सिंह : सही कहा। यहां पर स्पीड ब्रेकर या स्पीड कंट्रोल कॉशन की सख्त जरूरत है, लेकिन जनप्रतिनिधि यहां पहुंचे तब न।

तभी सबके बीच में बैठी पिंकी पांडेय के दिल की बात भी जुबां पर आ गई।

पिंकी पांडेय : यहां महिलाओं के लिए भी तो काफी समस्याएं हैं। ऑटो रिक्शा जो चलते हैं, वह ऐसे सवारी भरकर ले जाते हैं कि कभी भी वह पलट सकता है और कोई हादसा हो सकता है। वहीं फीमेल सिक्योरिटी के लिए भी कुछ नहीं है।

एसके राय : सही कहा मैडम, यहां पर एक पुलिस चौकी होनी चाहिए थी, लेकिन जब जिम्मेदार समस्या पूछने आएं तब न कोई व्यथा बताए। यहां तो पांच साल से उनका इंतजार ही हो रहा है।

सच्चिदानंद : अरे भाई लोकल में किसी पार्टी का विधायक है और प्रदेश में किसी और की सरकार है, ऐसे में भला कहां कोई सुनता है।

विनीत राय : क्या बात करते हैं। सरकार से कोई मतलब नहीं होता। जनप्रतिनिधि चाह लें तो एरिया की दशा बदल जाए, लेकिन इसके लिए उनको थोड़ा जनता के बीच आना होगा।

हरिकेश बहादुर : अरे सरकारों को लड़ाई से फुर्सत मिले तब न जनता के बीच आएंगी, उन्हें तो सिर्फ अपनी रोटी सेकनी है। बस किसी तरह से वोट मिल जाए, इसके लिए मिन्नतें फरयाद करते हैं, जब वोट मिल जाता है, तो सबकुछ भूल कर खुद की जेबें भरने में जुट जाते हैं।

राकेश तिवारी : सरकार भी तो रोजगार के लिए कुछ खास काम नहीं कर रही है। काफी दिन से टीचिंग की वैकेंसी फंसी हुई है। लोगों को जॉब ढूंढने के लिए बाहर जाना पड़ता है। गीडा इतना बड़ा इंडस्ट्रियल इलाका है, अगर इसे ही प्रॉपर वे में डेवलप किया जाए, तो यही बाहरी कंपनियां आएंगी और रोजगार के चांस बढ़ेंगे।

डॉ। अरुण कुमार पांडेय : सही कहा भाई। यहां कई इंजीनियरिंग कॉलेज हैं और यहां आईटी पार्क बनना भी प्रस्तावित है। अगर सरकार उसी पर जोर डाले तो यह एरिया नोएडा की तरह की डेवलप हो जाएगा और आसपास के इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को जॉब ढूंढने के लिए दर-दर भटकना भी नहीं पड़ेगा।

इमरान : भाई इस इलाके में पोस्ट ऑफिस और बैंक भी नहीं है, अगर यह भी बन जाए, तो आसपास के रहने वाले लोगों और स्टूडेंट्स को भी काफी फायदा मिलेगा।

पिंकी पांडेय : एक बस स्टॉप की भी यहां सख्त जरूरत है। खलीलाबाद सहजनवां और गोरखपुर से स्टूडेंट्स यहां पढ़ने के लिए आते हैं, बस स्टॉप हो जाएगा, तो उन्हें घर जाने के लिए सड़क पर बसों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

सरकारें आती हैं, जाती हैं। यहां पर तो रोज चाय पीने के साथ लोग घंटों बैठकर चर्चा करते रहते हैं। मैं तो पिछले दो साल से यहां चाय बेच रहा हूं। अब मुझे इससे क्या मतलब है कि कौन सी सरकार बनेगी। बस यहां की समस्याओं से निजात मिल जाए और लोग रोज मेरे स्टॉल पर चाय पीने के लिए यूं ही आते रहें। बस इतनी ही इच्छा है।

- प्रेम कुमार, टी वेंडर