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चुनावी सीजन में 'जन की बात, चाय पर चर्चा' का सिलसिला जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, दिलचस्प होता जा रहा है। अलग-अलग इलाकों की समस्याएं सामने आ रही हैं, साथ ही अलग इलाके की विशेषताएं भी पता चल रही हैं। जैसे, इस बार चाय पर चर्चा के सिलसिले में आई नेक्स्ट टीम कैंपियरगंज विधान सभा क्षेत्र के सरहरी चौराहे पर पहुंची। इस चौराहे को स्थानीय लोगों ने 'लखनऊ चौराहा' का नाम दे रखा है। विधानसभा के परिसीमन के पूर्व गांव मानीराम विधान सभा क्षेत्र का हिस्सा था। कैंपियरगंज विधान सभा अस्तित्व में आने के बाद यह पूरा इलाका उसमें समाहित हो गया। रोहिन नदी के किनारे, पिपराइच विधान सभा क्षेत्र के बॉर्डर स्थित इस इलाके के लोगों को आज भी पिछड़ेपन का दंश झेलना पड़ रहा है। बाढ़ की चपेट आने से इस एरिया में मुश्किलें बढ़ जाती हैं। क्षेत्र की खराब सड़कें विकास के दावे करने वाले जनप्रतिनिधियों के नाम पर गुस्सा दिलाती हैं।

विधानसभा क्षेत्र: कैंपियरगंज

समय: सुबह नौ बजे

स्थान: सरहरी का 'लखनऊ चौराहा'

आई नेक्स्ट रिपोर्टर चौराहे पर पहुंचता है और वहां जुटी भीड़ को देखते ही मुंह से निकल जाता हैअरे वाह, लगता है कि लखनऊ चौराहे पर बैठकर आप लोग प्रदेश की राजनीति सेट कर देंगे

(यह सुनकर वहां बैठे लोग रिपोर्टर की तरफ देखने लगे)

विनोद चंद यादव: हां बाबू, आवाअब तो चुनाव तक यही चर्चा होती रहेगी। कोई आए-जाए हर आदमी सिर्फ विधायक बनाने की बात कर रहा है। लेकिन भाई साहब, हर सब जीत कर चले जाते हैं। कोई लौटकर क्षेत्र में नहीं आता है।

धमर्ेंद्र उर्फ डब्लू दुबे: (विनोद को रोकते हुए बीच में बोल पड़े) काम नहीं हुआ है। सरकार ने बहुत काम किया है। हर आदमी चाहता है कि उसके घर-घर जाकर नेता काम कराएं। अरे, कोई विधायक बने, सरकार जो पैसा देती है। उसको तो खर्च करना ही होगा।

भवानीदीन सिंह: जाने दीजिए डब्लू बाबू, आप तो दूसरी पार्टी के समर्थक थे। इस दल में कब से आ गए। आप लोग भी भाई, मौका देखकर पाला जरूर बदल लेंगे।

धमर्ेंद्र उर्फ डब्लू दुबे: (बात बर्दाश्त नहीं कर सके और गुस्से में बोले) झूठमूठ की बात मत किया करिए। खाली बदनामी कराते हैं। हम पार्टी तो थोड़े बदले हैं। लेकिन सरकार जो काम कराई है। उसके बारे में बात तो करेंगे ना?

ओम नारायण त्रिपाठी : (दोनों की लोगों की मौज लेते हुए हंस पड़ते हैं) लड़ा सब जने चौराहा पर, नेता बाद में लडि़हैंतोही लोग फरिया ला, केकर सरकार बनी। अरे, केहू कौनों काम के बा। साइकिल लेकर निकल जातदेखा कमर के कुल हड्डी टूट जाई। इ हाल तक इलाका के सड़क क बा।

(चाय पीते हुए चुपचाप सबकी बात सुन रहे ज्ञान प्रकाश से नहीं रहा गया। वह भी बतकही में शामिल हो गए.)

ज्ञान प्रकाश: अरे सबका टिकट तो डिक्लेयर हो जाए। तब न जवाब दिया जाएगा। चौराहे पर हल्ला करने से क्या होगा। हम लोग बहस कर लेते हैं। फिर बाद में किसी के प्रभाव में आकर बिना सोचे-समझे वोट दे दिया जाता है। अरे, कोई जाति देख रहा है तो कोई अपना निजी संबंध, जन-समस्या से क्या लेना देना हैं। जैसा काम जनता कर रही। वैसा ही काम नेता लोग करने लगे हैं।

अनिल यादव (ज्ञान प्रकाश की बात का जवाब देते हुए): जाति-पाति से देश चलेगा। देखिए, जब तक भ्रष्टाचार है। तब तक देश में कहीं विकास नहीं हो पाएगा। कोई सांसद.विधायक हो जाए। वह सिर्फ अपना भला करेगा। देखिए धीरे-धीरे भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा। केंद्र सरकार ने ऐसा कदम उठाया है कि सब भ्रष्टाचारी खत्म हो जाएंगे।

विनोद चंद यादव: अरे तो करेंगे। इन लोगों को यही मुद्दा मिलता है। सारा मामला छोड़कर कह देंगे कि बिरादरी निभाईए। चुनाव के बाद चिल्लाएंगे। कोई काम नहीं हो रहा है। बाबूआप बताइए। कोई गंवार रह गया है। सब स्मार्ट हैं आज।

दीप चंद (विनोद की बात पर सहमति जताते हुए): भैयाआप की बात बिल्कुल सही है। पिछली बार विधायक चुना गया था। लेकिन देख लीजिए। पूरे इलाके में सबसे बड़ी समस्या क्या है। जा करके बुढ़ेली वालों से पूछिएपानी बरसने के बाद बंधे पर चलने में क्या हालत होती है। न तो सांसद ध्यान दिए, न ही विधायक जीऊ लोग चाहते तो बंधवा पिच हो जाता।

ज्ञान प्रकाश: बंधा भर काहे, देखिए कोई सड़क सही है? नेता लोग भी इसी रास्ते पर आते जाते हैं। चुनाव में आप कुछ कहेंगे तो वह भी मना नहीं करेंगे। वह भी बोलेंगे कि चुनाव जितवा दीजिए। हम लोग सड़क जरूर बनवा देंगे।

भवानीदीन सिंह: इनका कहना सही है। हम लोग 25-30 साल से सबको वोट दे रहे हैं। अरे .किसी तरह से मछरिहा पुल बन गया। पहले कुछ सड़क बन गया था। वहीं फायदा मिला। इहांबार्डर पर गांव है। कौन आएगा आप लोगों की बात सुनने। नेता लोगों के एजेंट लोग हैं। वह लोग भी चुनाव के बाद गायब हो जाते हैं। सड़क, बिजली-पानी के बारे में कौन सोच रहा है।

विनोद चंद यादव: तहसील 15 किलोमीटर दूर, जिला मुख्यालय 29 किमी पर .अपना साधन न हो तो रात में आना मुश्किल होता है। पहले हम लोग मानीराम में थे तो ठीक था। इस पार आने वाले विधायक लोग खास ख्याल रखते थे। अब जिधर ज्यादा आबादी है। उधर ही नेता लोग अपना प्रभाव दिखाते हैं। भाई .क्षेत्र बदलने से बड़ी दुर्गति हुई है। चलिए इस बार .कुछ न कुछ ऐसा किया जाए जिससे क्षेत्र की हालत बदल जाए।

टी-प्वाइंट

जब से चुनाव नजदीक आया है। तब से दिनभर दुकान पर लोगों का जमावड़ा लग रहा है। कई बार ऐसा भी होता है कि लोग आपस में झगड़ा कर लेते हैं। गांव में चाय की दुकान नहीं चलती थी। आठ साल पहले यहां दुकान खोली थी। पांच-छह साल से इस चौराहे का नाम 'लखनऊ चौराहा' हो गया है। बात करने वाले लोगों का फोन आ जाता है तो लोग कहते हैं कि लखनऊ चौराहा पर बैठे हैं। कभी-कभी बहस में ऐसा लगता है कि वाकई विधान सभा में जुबानी जंग चल रही है। इसी बहाने हमारी चाय भी बिक जाती है।

-अंगद गुप्ता, चाय विक्रेता