स्थान - किदवईनगर मार्बल मार्केट

विधानसभा - किदवईनगर

विधायक - अजय कपूर

खास बात - ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र

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-किदवई नगर विधानसभा क्षेत्र के मार्बल मार्केट में लगी आई नेक्स्ट चाय पर चर्चा की महफिल

- लोग बोले, सरकार किसी की बने लेकिन पूर्ण बहुमत की हो, जिससे विकास का पहिया चलता रहे

KANPUR : वादे भी होंगे और इरादे भी होंगे, चुनाव के मौके पर नेता आपके दरवाजे भी होंगे। अपने काम की गिनती कराएंगे और आगे भी सेवा करने के लिए हाजिर रहने का वादा भी कर जाएंगे। इन सबके बदले वे मांगेंगे आपका वोट जो सबसे कीमती होता है। लोकतंत्र में पब्लिक का यही सबसे बड़ा अस्त्र है। अगर गलती करके अपने मुताबिक सरकार नहीं चुनी तो पांच साल सिर्फ पछताने के अलावा कुछ नहीं होगा। वोट देने के पहले उम्मीदवार को खूब परखिए कहीं वह समाजसेवा का चोला पहन कर आपका वोट हथियाने तो नहीं आया है।

जो काम करेगा, वोट वोट लेगा

यह बातें हम नहीं कह रहे बल्कि यह पब्लिक की ही आवाज है। आई नेक्स्ट के 'चाय पे चर्चा' के काफिले ने ट्यूजडे को किदवईनगर के मार्बल मार्केट में पड़ाव डाला। यहां श्रीकांत की चाय की दुकान पर सजी महफिल में गरमा-गर्म चाय के साथ गरम-गरम बहस भी चल रही थी। जितेन्द्र त्रिवेदी तो बस एक ही बात कह रहे थे कि वोट उसी को दिया जाए जो विकास के मुद्दे को लेकर चले। फिर चाहे वह सपा हो या कांग्रेस अथवा भाजपा। शैलेन्द्र दीक्षित की आवाज आई कि भई हमारा विधायक तो खूब काम कराता है। सरकार भले किसी की आए लेकिन हमारा वोट उसी को ही जाएगा।

आंख मूंदकर वोट नहीं करेंगे

अरे वो तो ठीक है, लेकिन प्रदेश की सरकार के बारे में भी सोचो? यह कहते हुए संजय जैन बोले अगर सपा-कांग्रेस मिल कर लड़ेगी तो तय है कि फिर अखिलेश की सरकार बनेगी। उनकी बात को काटते हुए विजय गुप्ता बोले, आंख मूंदकर किसी को वोट नहीं करेंगे। इस बार कई मुद्दे हैं जिनको समझ कर ही पब्लिक ईवीएम का बटन दबाएगी। हिमांशु पाल बोल पड़े कि सबसे बड़ा मुद्दा विकास और नोटबंदी का ही रहेगा।

इस बार चुनाव सस्ता होगा

इस बात का जवाब दिया सोनू कुष्मांडा ने। कहा कि नोटबंदी का एक सबसे बड़ा असर यह जरूर होगा कि इस बार चुनाव सस्ता होगा। नोटबंदी अच्छा कदम है लेकिन बैंक कर्मियों ने जिस तरह से घपलेबाजी की है उससे आम पब्लिक को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा है। इसका असर विधानसभा चुनाव में जरूर दिखेगा। सिद्धार्थ मालपानी बोले कि नोटबंदी की क्या कहें, इस वक्त व्यापार बुरी तरह से चौपट पड़ा है। हालात सुधरने में एक साल का समय तो लग ही जाएगा। इस पर गोपाल शुक्ला ने कहा कि नोटबंदी का असर सिर्फ निचले व मध्यम वर्ग के लोगों पर ही पड़ा। किसी नेता और अधिकारी पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा। अजय शुक्ला ने उनकी हां में हां मिलाते हुए कहा कि नेताओं और अधिकारियों ने बैंक से मिलीभगत कर अपना नम्बर दो का सारा पैसा बदलवा लिया।

कानून-व्यवस्था ही सबसे बड़ा मुद्दा

कोई कुछ बोलता इसके पहले राजकुमार सिंह बोल पड़े कि और भी कई मुद्दे हैं, जो चुनाव को प्रभावित करेंगे। कानून-व्यवस्था भी एक बड़ा मुद्दा है। हरीकृष्ण बाजपेई इस सवाल पर बोल पड़े कि गुण्डों को शिवपाल यादव ने ही सपा में भर्ती कर रखा था। अखिलेश की सोच अच्छी है और वह विकास कराने में लगे रहे। सही कह रहे होअजय शुक्ला बोले सपा में झगड़ा भी इसी बात को लेकर हुआ। अखिलेश गुंडों को पार्टी में नहीं रखना चाहते हैं।

साइकिल और कमल में टक्कर

इसी बीच गोपाल शुक्ला ने कहाकि भाई सरकार जो भी बने बहुमत की हो। अगर चार दलों की खिचड़ी सरकार बनी तो तय है कि विकास का पहिया फिर थमने की स्थिति में आ जाएगा। जितेन्द्र बोले देखो भाई इस बार मुकाबला तो सीधे बीजेपी और सपा के बीच में ही होगा। बीजेपी का इस चुनाव में कोई चेहरा नहीं है, इसका सीधा मतलब है कि वह मोदी के नाम पर मैदान में है।

फिर सारा कुनबा एक हो जाएगा

बीएसपी का क्या होगा? विजय गुप्ता ने सवाल कर दिया। तब एक नहीं कई लोग एक साथ बोल पड़े कि बीएसपी इस बार हाथी पर सैर करने निकल जाएगी। उनका इस बार दांव नहीं चल पाएगा। हिमांशु ने सवाल दागा कि सपा में कलह का क्या असर रहेगा? जवाब देते हुए वीरेन्द्र गुप्ता ने कहा कि यह झगड़ा तो पब्लिक को दिखाने के लिए है। चुनाव होने दो फिर सारा कुनबा एक हो जाएगा। बात को खत्म करने के लिए संजय जैन बोल पड़े कि भई यह तो चर्चा है और इसका कोई अंत नहीं होगा। अब तो देखना है कि सरकार किसकी बनती है?

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