पूर्व चुनावों में ग्रामीण इलाकों का voting percentage शहरों पर रहा है भारी

पढ़े-लिखे नही डालते वोट, किसान लगता है booth पर लाइनन में

ALLAHABAD: इतनी अजीब बात है। किसान पोलिंग बूथ पर लाइन लगाकर वोट डालता है और पढ़े-लिखे मतदान के दिन घर बैठकर टीवी पर चुनावी नजारा लेते हैं। यह हम नही कह रहे बल्कि पिछले चुनावों में यही होता आया है। आंकड़े इसका जीता-जागता गवाह हैं। जब वोटिंग परसेंटेज आने के बाद ग्रामीण इलाके शहरी विधानसभाओं से मीलों आगे निकल गए। यह एक बार नही बल्कि कई चुनावों में हो चुका है, जिसको लेकर जिला प्रशासन भी हलाकान है। हालांकि, आयोग ने शहरी वोटर्स को जागरुक करने के निर्देश दिए हैं।

पिछले चुनाव में खराब रहे हालात

वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में काफी कोशिशों के बावजूद शहरी विधानसभाओं का पोलिंग परसेंटेज ग्रामीण इलाकों से आगे नही निकल सका। यहां तक कि आयोग के आदेश पर जिला प्रशासन ने मॉडल पोलिंग बूथ समेत तमाम सुविधाएं मुहैया कराई थीं। इसके बाद भी पब्लिक का प्रॉपर रिस्पांस न मिलने से इलेक्शन कमीशन की कोशिशों पर पानी फिर गया। यही हालात पिछले विधानसभा चुनाव में रहे। जब तमाम तरीके से वोटर्स को जागरूक करने के बावजूद शहरी वोटर घर से नही निकले। इस बार भी सबसे ज्यादा हालात शहर उत्तरी के खराब रहे। यहां पर चालीस फीसदी वोट पड़े। हालांकि, इस चुनाव में शहर पश्चिमी में 51 फीसदी और उत्तरी में 45 फीसदी वोट पड़े थे। खुद जिला प्रशासन का मानना है कि शहरी विधानसभाओं के गिरते वोटिंग परसेंटेज से पूरे जिले की टोटल वोटिंग खराब होती है। जिसके चलते चुनाव आयोग की नाराजगी का शिकार होना पड़ता है।

2007 व 2009 में टूटा था रिकार्ड

पिछले लोकसभा चुनाव में तो तीनों शहरी विधानसभाओं ने अपने पिछले सभी रिकार्ड तोड़ दिए थे। इस चुनाव में शहर उत्तरी में महज 24.94, पश्चिमी में 28.29 और दक्षिणी में 27.84 फीसदी वोट ही पड़े थे। इसी तरह 2007 विधानसभा चुनाव में भी उत्तरी में 24, दक्षिणी में 34 और पश्चिमी में 34 फीसदी वोट पड़े थे। इस चुनाव में जिले की कुल 11 विधानसभाओं में कुल 42.86 परसेंट वोट ही पड़े थे। इस चुनाव में सर्वाधिक वोट बारा में 53.56 फीसदी पड़े थे।

इनको घर से निकालना बड़ी चुनौती

माना जाता है कि शहर उत्तरी विधानसभा सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे लोगों की है। ब्राम्हण और कायस्थ बाहुल्य वोट वाली इस विधानसभा में तकरीबन साढ़े चार लाख वोटर्स हैं। लेकिन, वोटिंग परसेंटेज अधिकतम 41 फीसदी पहुंचा है। प्रशासन का भी मानना है कि इस विधानसभा के लोगों को पोलिंग बूथ तक पहुंचाना टेढ़ा काम है। इस बार आयोग के निर्देश पर खासतौर से इस विधानसभा में मतदाता जागरुकता अभियान चलाने को कहा है। जिसका परिणाम 23 फरवरी को मतदान के बाद सामने आना बाकी है।

इलाहाबाद जिले की ग्रामीण विधानसभाओं का वोटिंग परसेंटेज अच्छा है लेकिन शहरी इलाकों में लोग वोट देने घर से नही निकलते। मेरी अपील है कि इस चुनाव में अधिक से अधिक संख्या में वोट देकर पुराने इतिहास को लोग बदल डालें।

-आंद्रा वामसी,

सीडीओ व प्रभारी मतदाता जागरुकता

शहर-देहात में अंतर

शहर पश्चिमी 44.05

उत्तरी 41.04

दक्षिणी 43.26

सोरांव 57.07

करछना 57.69

बारा 57.81

(यह आंकड़ा प्रतिशत में लोकसभा चुनाव 2014 का है)