i next reporter

हाथों में चाय की गिलास और चेहरे पर भाव गंभीर। दिमाग में चल रहा है कि सामने वाले के तर्क को कैसे काट दूं कि पानी भी न मांगे। जो बात को बात से नहीं काट पा रहे हैं वो हाथों को लहराकर, आंखों को नचाकर माहौल ऐसा बना रहे हैं कि सामने वाला दब ही जा रहा है। भइया अखिलेश अरे मोदिए जी त बहिन जी काहें कमनेशनल छोडि़ए अ लोकलवा में कउन झंडा गाड़ेगामामला सियासी है और माहौल गरम। आप भी चाय की चुस्कियों के साथ एंज्वॉय कीजिए चाय की चर्चा की दूसरी कड़ी

स्थान- टीपी नगर, स्थित दीपक मद्धेशिया चाय स्टाल

समय- दोपहर साढ़े तीन बजे

विधानसभा क्षेत्र: गोरखपुर ग्रामीण

जमावड़ा लगा हुआ है। बातों के जोश में हाथ में लिए चाय ठंडी हो जा रही है। तभी आई नेक्स्ट रिपोर्टर का सवाल उठता है और लोगों का रुख हमारी तरफहमने पूछा था, बड़ा गड्मगड्ड हो गया है इस बार। किसका माहौल बनेगा कुछ पता ही नहीं चल रहा है

इस पर वहां मौजूद विशाल साहनी बोल उठे

नरेंद्र मोदी के कार्यो से हम लोग खुश है। वह देश और जनता के लिए अच्छा कार्य कर रहे हैं। ऐसे में हम लोग उनके साथ हैं।

(अभी वह बोल ही रहे कि सामने से एक शख्स निकले )

कृष्ण कुमार साहनी- मोदी जी तो अच्छा कर ही रहे हैं, लेकिन अखिलेश यादव ने जो कार्य किया है। उसे कैसे भुल सकते हैं। यह दूसरी बात है कि वह अपने ही परिवार को संतुष्ट नहीं कर पाए।

सन्नू चौधरी (बीच में बात को रोकते हुए)- फिर भी मोदी ने जो नोट बंदी करके देश के लिए एक नई विकास की राह खोल दी है। हालांकि कुछ दिन जनता को प्रॉब्लम हो रही है, लेकिन यह बहुत अधिक दिन तक नहीं रहेगी।

(तभी अचानक चर्चा में नया मोड़ आता है। विशाल साहनी जोश में आते हुए)

विशाल साहनी: अरे मोदी संभलिहैं देश अउर, अखिलेश संभलिए प्रदेश। जिलवा में का होई ई बतावा?

विपिन मद्धेशिया: हां भाई, सभी के लिए विधायक विकासवादी सोच वाला होना चाहिए। नेता पब्लिक के लिए उपलब्ध हो और जनता की प्रॉब्लम को सुने। ऐसा विधायक चाहिए।

सन्नू चौधरी: लोकल विकास की बात तो हर बार होती है और कुछ हद तक होता ही है, लेकिन प्रदेश सरकार के सामने बेरोजगारी की चुनौतियां बहुत हद तक नाकाम रही है। नाकामी का असर प्रदेश के विकास पर पड़ रहा है।

----------

टी-प्वॉइंट

एक अरसा हो गया दुकान पर बैठते हुए। यह एक ऐसी जगह है, जहां हर क्लास, हर सोसायटी के लोग आते हैं। जहां तक चुनाव की बात है तो विकास की छवि लेकर आज तक शहर में जो भी आता है, यहां की जनता उसे स्वीकार करता है। अब एक बार शहर को बदलाव के बारे में सोचने की जरूरत है, इसलिए यह सोचने वाले नेता के साथ रहने का मन बनाया गया है।

-दीपक मद्धेशिया

(चाय के दुकान के मालिक, यह दुकान 1985 से चल रही है)