कई सौ साल पुराने महल के बाहर इन दोनों इमारतों में अब शांति है। ख़तरनाक जानवर अब नहीं रहते। पिंजरे बरसों से सूने पड़े हैं। महल के भीतर शांति नदारद है क्योंकि दो तरफ़ से 'चिंघाड़' जारी हैं।

election special : अमेठी के महल में ताल ठोंकती 'रानियां'
(अमेठी का भूपति पैलेस)

भूपति महल के वारिस और पूर्व 'महाराज' संजय सिंह की दो रानियों ने एक दूसरे के ख़िलाफ़ ताल ठोक ली है। मामला सिर्फ़ जायदाद तक सीमित नहीं है। 'प्रजा की वफ़ादारी', राजनीति के अलावा 'असल बीवी' होने का हक़ भी साख पर है।

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव चल रहे हैं और 27 फ़रवरी को अमेठी की सीट के लिए मतदान होना है। भूपति भवन से रोज़ सुबह दो प्रत्याशी अपने-अपने प्रचार के लिए निकलते हैं।

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(अमेठी के महाराजा संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह)

'रानी' गरिमा सिंह, बेटे अनंत विक्रम और दो बेटियों के साथ भाजपा के झंडे तले।

'रानी' अमिता सिंह कांग्रेस के झंडे वाली ब्लैक एसयूवी में निकलती हैं, पति 'महाराज' संजय सिंह के साथ।

अमेठी के एक ग्राम प्रधान के घर पर हीरे-जवाहरातों से लैस गरिमा सिंह से मुलाक़ात होती है। वे जिधर देख भर लेती हैं, जनता या महिलाएं भावुक हो जाती हैं।

"हमार परसवा पकड्यो बहनी", सुन कर समझ में आया कि अवधी भाषा का भी ज्ञान रखतीं हैं गरिमा जिन्हें ''20 साल पहले तलाक़ देने का दावा संजय सिंह का है।''

गरिमा सिंह इसे दरकिनार कर बोलीं, "मेरा घर भूपति भवन है। उस घर से एक ही प्रत्याशी है, मैं। मेरे पति संजय सिंह ही हैं। मैं चुनाव में मोदी जी की सभी स्कीमें लोगों तक पहुंचा रहीं हूँ।"

गरिमा के अगल-बगल उनकी दो बेटियां हैं जो इस बात पर 'नज़र रखतीं हैं' कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक ये बात पहुंचे कि 'उनकी माँ को न्याय भी चाहिए।"

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(अमेठी के महाराजा संजय सिंह की दूसरी पत्नी अमिता सिंह)

इस सब से कई किलोमीटर दूर, कुछ घंटे बाद, अपने चुनाव कार्यालय में अमिता सिंह दाखिल होती हैं। हम तीन वर्ष बाद मिले हैं तो पहला सवाल यही कि, "हाउ हैव यू बीन? बीन सो लॉन्ग।"

इतने में सामने खड़े व्यक्ति को 'रानी' से नसीहत मिलती है, "यही खड़ा रहियो तौ प्रचार पर कौन जाइ?" लगता है अमिता सिंह भी अवधी सीख चुकीं हैं। कांग्रेस की तरफ से कई दफ़ा विधायक रह चुकीं अमिता पिछली हार से आहत भी हैं।

2012 के विधान सभा चुनाव में उन्हें समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार गायत्री प्रजापति ने हराया था। अखिलेश यादव की मौजूदा सरकार में मंत्री गायत्री प्रजापति और विवादों का भरपूर साथ रहा है। दोनों 'रानियों' को टक्कर देने वो फिर से मैदान में हैं।

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(गायत्री प्रजापति, मुलायम के पांव छूते हुए)

कुछ रोज़ पहले अखिलेश ख़ुद प्रचार के लिए अमेठी आए थे। लेकिन बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे प्रजापति को उन्होंने अपने साथ मंच पर नहीं बैठाया था। इन तीनों को चुनौती देने के लिए मायवती ने बसपा से राम जी मौर्य को टिकट दिया है।

लेकिन सुर्खियां 'दोनों रानी' बटोर रही हैं। अमिता सिंह को लगता है कि महल की राजनीति पर बात करना निरर्थक है। मुद्दे दूसरे हैं।

उन्होंने कहा, "आप इस क्षेत्र की जनता से जाकर बात कीजिए, जो हमेशा मुझमें भरोसा जताती रही है। भूपति भवन में मैं और मेरे पति संजय सिंह रहते है। मैं ही वहां की उम्मीदवार हूँ। परिवार में दो उम्मीदवार जैसी कोई बात है ही नहीं।"

अमिता के मुताबिक़ 'गरिमा को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए था। लेकिन मेरी लड़ाई अमेठी में विकास लाने की है जो पिछले पांच सालों में नहीं हुआ।"

दोनों 'रानियां' अपने को संजय सिंह की 'आधिकारिक' पत्नी बता रही हैं। दरअसल संजय का कहना रहा है कि बरसों पहले सीतापुर की एक अदालत में उनका और गरिमा सिंह का तलाक़ हो गया था।

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(संजय सिंह और गरिमा सिंह के बेटे अनंत विक्रम सिंह)

जबकि गरिमा सिंह और उनके बेटे अनंत विक्रम सिंह का दावा है, ''पति/पिता संजय सिंह ने ये तलाक़ क़ानूनी तरीके से लिया ही नहीं था। इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है।''

इस सबके बीच गरिमा सिंह और संजय सिंह के बेटे अनंत विक्रम सिंह की अपने पिता से भूपति भवन महल पर कब्ज़े को लेकर 2014 से एक कानूनी लड़ाई भी जारी है।

लेकिन पारिवारिक लड़ाई अब सड़कों, चौराहों, गांवों और बस अड्डों पर चर्चा में है। ज़ाहिर है, आम जनता की राय बँटी भी है और बेबाक भी।

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(अमेठी के रजित राम सिंह गरिमा सिंह को अपनी महारानी मानते हैं)

भूपति भवन को निहारते, अपनी साइकिल पर बैठे रजित राम सिंह ने कहा, "हमार महारानी तो गरिमा जी ही हैं। और केउ नाहीं।"

सड़क पर आलू-मटर की चाट बेचने वाले दीपक गुप्त कहते हैं, " महाराज की पत्नी अमिता जी हैं। वे उनके साथ रहती हैं और हमारी नेता तो वही हैं।"

यहाँ से थोड़ी दूर रेलवे स्टेशन पर पहुंचिए तो मौजूदा विधायक गायत्री प्रजापति के प्रशंसक भी मिल जाते हैं। वो याद दिलाते हैं कि 'गांधी परिवार के गढ़ अमेठी में गायत्री जी की ही बदौलत सड़कें बनीं हैं।"

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(चाय पकौड़े की दुकान लगाने वाले दीपक गुप्त अमीता सिंह को अपनी महारानी मानते हैं)

लेकिन अमेठी में ज़्यादातर लोग इस बात पर शर्त लगा रहे हैं कि चुनाव का नतीजा किसे 'रानी' घोषित करेगा।

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