राजनीतिक दलों पर जमकर बरसे लोग, सभी को कठघरे में खड़ा किया

चुनावी वादों और इरादों पर निकाली भड़ास, कालाधन और लॉ एंड आर्डर को बनाया निशाना

ALLAHABAD: ठंड के मौसम में चाय की चुस्कियां तन बदन में स्फूर्ति और जोश भर देती हैं। जब तक चाय का प्याला खाली नहीं होता, दिमाग में नए विचार और जुबां पर अलबेले बोल फूटते रहते हैं। ऐसे में चुनाव का जिक्र छिड़ जाए तो क्या कहने। बैरहना के ग्रीन स्वीट हाउस पर ऐसी चुनावी चर्चा का लुत्फ आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने लिया।

चुनावी बयार में कोई भी नेता अपनी साफ-सुथरी छवि का डंका नहीं पीट सकता। जनता जनार्दन की निगाह में सभी एक थाली के चट्टे-बट्टे हैं। तभी रविवार को बैरहना के ग्रीन स्वीट हाउस पर चाय पर चुनावी चर्चा के दौरान लोगों ने कहा कि इहां कौनो दूध का धुला नाही बासबै पब्लिक को बेवकूफ बनावत हैं। चुनाव से पहले जौन वादा करत हैं, उ पूरा नाही होते। एक बार सरकार बनै के बाद पांच साल तक पब्लिक ओनकर मुंह ताकत रहत है।

कहां गायब होई गा 15 लाख रुपया

चर्चा की शुरुआत में एडवोकेट पंकज त्रिपाठी ने कहा कि ई बार चुनाव में भाजपा की सरकार बनै चाही। मोदी बहुत काम करेन हैं। पब्लिक भी ओनकर बात मानत बा। अपनी बात पर दम भरते हुए उन्होंने कहा कि युवा मतदाता भी उनको पसंद कर रहा है। कालेधन पर नकेल लगावे का जौन काम मोदी करेन, ऊ आज तक कौनो पार्टी नाही कर पाएस। मोदी की कैबिनेट में एक से बढ़कर मंत्री हैं, जउन इमानदारी से काम कर रहे हैं। ई बात पब्लिक के समझ मा भी आए रही है। एहकर परिणाम चुनाव में देखे के जरूर मिली। अभी वह अपनी बात पूरी नही कर पाए थे कि बीच में ही विकास तिवारी कूद पड़े। उन्होंने कहा कि मोदी चुनाव से पहले प्रत्येक खाते में पंद्रह लाख रुपए देवे की बात कहे रहेन। कहां गा ऊ वादा। उल्टा नोट बंदी कईके जनता का परेशान कई दिहिन। कौनो अमीर आदमी नोट बंदी से परेशान नाही हुआ। केवल गरीब-गुर्गा ही बैंक में लाइन लगाएन। विकास ने यही अपनी बात खत्म नही की। उन्होंने कहा कि मोदी के कैबिनेट में जरूर मंत्री अच्छे हैं लेकिन अधिकारियन पर कौनो लगाम नाही लगाई गए बा। उ सब आज भी आपन मनमानी करत हैन। ई बात मोदी का नही समझ में आवत। ढाई साल सरकार कै गुजर गा है और अभी इतना अउर बाकी है। अइसन मीठी-मीठी बात करत यहु समय गुजर जाई और जनता के भला न होई।

परिवारवाद को बढ़ावत हैं पार्टियां

सभी बोले तो अरविंद शुक्ला क्यों चुप रहते। उन्होंने सभी राजनीतिक पार्टियों को निशान पर ले लिया। बोले कि सपा की प्रदेश सरकार मा कानून व्यवस्था बहुत गड़बड़ है। सीएम अखिलेश भले ही विकास के बहुतै काम किए हों लेकिन बढ़ते अपराध से उनकी सरकार की छवि धूमिल हुई है। इतने में अश्रि्वनी दुबे ने कहा कि सपा मा तो परिवारवाद हावी बा। अपनै लोगन का टिकट देत हैन। कुर्सी के लिए बाप-बेटा में बैर होइगा। कारण साफ बा कि हमरे आदमी का टिकट काहे नाही देहेन। इतने में अरविंद ने बोले कि भाजपा मा भी तो नेतन के परिवार वालेन का टिकट बटत बा। राजनाथ के बेटवा का टिकट मिला की नाही। ऐसे ही दूसरे नेतन के परिवारीजन के भी टिकट बाटत हैन। विकास ने बीच में बात काटते हुए कहा कि बसपा की सरकार में लॉ एंड आर्डर बेहतर होता है। इस पर पंकज बोले कि कैसन बात करत हैं आप। बहनजी पर पइसा लेकर टिकट बांटे का आरोप ऐसन नाही लगा बा। इहै कारण है कि दूसरी पार्टियां इ मामले को लेकर खूब आरोप लगाए रही हैं। एहकर जवाब बहनजी के पास नाही है।

गरीबन की कौनो सरकार नाही

चर्चा के दौरान ही प्रकल्प विश्वकर्मा भी पहुंच गए। उन्होंने बात को बीच में ही लपक लिया। उन्होंने कहा कि कौनो पार्टी दूध की धुली नाही बा। हर जगह झोलम झोल है। कायदे से देखा जाए तो सभी पार्टी गरीबन के नाम पर सरकार बनावत है लेकिन बाद में उनही के भूल जात हैं। आशीष गुप्ता ने भी उनकी बात का समर्थन किया। उन्होंने बसपा, भाजपा, सपा और कांग्रेस पर जमकर अपनी भड़ास निकाली। कहा, नेतन लोग ऊपर से विकास की बात करत हैन लेकिन अंदरै-अंदर जातिगत समीकरण बैठावे में लगे हैं। उनका मालूम बा कि कौन सी सीट पर कौन सा कंडीडेट जीत सकत बा। इहां तक कि बहनजी तो गिनाए दिहिन कि कितने ब्राम्हण, ठाकुर और दलित मुस्लिम का टिकट दिहिन हैं।

वर्जन

युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है। यही कारण है कि अपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है। दो दिन पहिले हुई डॉ। बंसल की हत्या एहकर सीधा उदाहरण बा। अगर पुलिस-प्रशासन नाही जागा तो आने वाले दिनों में लोगन का घर में रहब दुश्वार होए जाई।

प्रकल्प विश्वकर्मा

जैसन समय बीतत बा, लोगन की सोच भी बदल रही है। जनता अब सोच-समझकर वोट दे रही है। उ दिन चला गएन जब नेता जी दरवाजा पर आएके मीठा बोल के वोट मांग लेत रहेन। अब तो हिसाब देके पड़ी। देख लिहो इ चुनाव में दूध का दूध और पानी का पानी होए जाइ।

पंकज त्रिपाठी

ई देखा, डॉक्टर अब हड़ताल पर चला गएन। आपन बात मनवावे के लिए उ मरीजन का देखब बंद कई दिहिन। जबकि बेचारी जनता के कौन सा कुसूर बा। अपराधियों को पकड़ने का काम तो पुलिस का है, जो वह ढंग से नहीं कर पा रही है।

अरविंद शुक्ला