- सपा के गढ़ में सेंध लगाने की तैयारी में भाजपा और बसपा

- पिछले चुनाव में भाजपा और बसपा हार गयी थी 55 सीटें

- कई जगहों पर फ्रेंडली फाइट को तैयार हैं सपा और कांग्रेस

सपा की रार न कर दे बंटाधार
रार के बाद कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव में उतरी सपा के लिए हालात पिछले चुनाव जैसे नहीं है। तीसरे फेज में सपा का गढ़ माने जाने वाले इटावा, कन्नौज, औरैया, मैनपुरी, फर्रुखाबाद में भी मतदान होना है। साथ ही सीतापुर, लखनऊ, बाराबंकी और कानपुर में भी तमाम सीटें जीतने वाली सपा इस बार कांग्रेस के चेहरे के साथ अपने सियासी दांव आजमा रही है। दो दिन पहले इटावा में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा दिए गये भाषण से साफ है कि इन जिलों में सपा को अंदरुनी भितरघात का सामना भी करना पड़ सकता है। साथ ही सुर्खियों में बने रहने वाले सीतापुर और बाराबंकी में उसे भाजपा और बसपा से कड़ी चुनौती भी मिल सकती है। मुलायम की चुनाव में ना के बराबर मौजूदगी का नुकसान भी पार्टी को उठाना पड़ सकता है। चुनाव की बागडोर पूरी तरह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने संभाल रखी है लेकिन वह कानपुर के अलावा राहुल गांधी के साथ कहीं भी मंच साझा नहीं होने पर सवाल भी उठने लगे है। इसकी वजह कई जगहों पर सपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच फ्रेंडली फाइट मानी जा रही है।

भाजपा की राह नहीं आसान
सूबे में सरकार बनाने का दावा कर रही भाजपा का दम भी इसी फेज में पता चल जाएगा। पिछले चुनाव में 69 में से महज 5 सीटें जीतने वाली भाजपा के सामने पहली चुनौती असंतुष्टों को मनाना है। कई सीटों पर भाजपा के खिलाफ उसके अपने ही ताल ठोंक रहे हैं। केवल लखनऊ की सीटों की बात करें तो सरोजनीनगर, मलिहाबाद, कैंट, लखनऊ पश्चिम सीट पर भाजपा के नेता बगावत पर आमादा है। वहंी बसपा से आए बृजेश पाठक को भी भाजपाई दिल से स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। सीतापुर में भाजपा को बढ़त मिल सकती है लेकिन वहां भी संगठन की मजबूती सवालों के घेरे में है। बाराबंकी और कानपुर में भी सपा से सीटें छीन पाना आसान काम नहीं है। पार्टी का पूरा दारोमदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर है। इस अहम फेज में भी पार्टी कोई ऐसा चेहरा प्रोजेक्ट नहीं कर सकी जो सियासी समीकरणों को बदलने के लिए ठोस इरादे जताकर वोटर्स को अपने पाले में कर सके। वहीं सपा के गढ़ में कुछ सीटें हासिल कर पाना पार्टी की बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी हालांकि इसकी संभावना कम दिख रही है।

बसपा की तो बंद मुट्ठी
2007 में इन सीटों पर नीला परचम लहराने वाली बसपा इस बार मजबूती के साथ चुनाव मैदान में है। पिछले चुनाव में महज छह सीटें जीतने वाली बसपा इस बार मुस्लिम समुदाय को साथ लेकर सोशल इंजीनियरिंग के अपने पुराने फार्मूले पर चुनाव लड़ रही है। उसकी बड़ी समस्या चुनाव से पहले बड़े बसपा नेताओं का बागी होना, टिकट वितरण में धनउगाही और पिछली सरकार के दौरान हुए तमाम घोटाले है। यही वजह है कि बसपा अपने प्रचार में कानून-व्यवस्था और मुस्लिमों के बदतर हालात को मुद्दा बना रही है। साथ ही वह भाजपा से सीधा मुकाबला होने की बात कहकर सपा-कांग्रेस गठबंधन को नजरअंदाज करने की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी में बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी भी उसके लिए खतरे का सबब बन सकती है। चुनाव लड़ रहे ज्यादातर चेहरे नये हैं जिन्हें परखना बाकी है। बसपा को आस केवल उस अंडर करेंट से है जिसे सियासी पहलवान भी भांपने में हमेशा नाकाम रहे है। हालांकि उसके मजबूत होने से भाजपा को भी फायदा मिलने की संभावना है।


महिलाएं और युवा मतदाता करेंगे उलटफेर
तीसरे चरण में भी महिला और पहली बार वोट डालने वाले युवा मतदाता बड़ा उलटफेर कर सकते हैं। पहले दो फेज के चुनाव में महिलाओं ने जिस तरह आगे आकर मतदान किया है, उससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि किसी एक दल को इसका भरपूर फायदा मिल सकता है। करीब 4.10 लाख युवा मतदाता पहली बार वोट करने जा रहे हैं जो बड़ा उलटफेर करने का दम रखते है। इस चुनाव में जहां 12 फीसद (105भ्) महिला उम्मीदवार भी मैदान में हैं तो कई युवा चेहरे भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। साथ ही कई राजनेताओं के करीबी रिश्तेदार भी हैं। नीरज बोरा, अपर्णा यादव, डॉ। रीता बहुगुणा जोशी, अनुराग यादव, नितिन अग्रवाल, तनुज पुनिया, आशुतोष टंडन 'गोपाल' आदि उदाहरण हैं।


वीआईपी भी डालेंगे वोट
तीसरे फेज में कई वीवीआईपी भी वोट डालेंगे। सबकी नजरें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के इटावा जाकर वोट डालने पर रहेंगी। इसके अलावा डिंपल यादव के कन्नौज में मतदान करेंगी। राज्यपाल राम नाईक, राजनाथ सिंह, मायावती, सतीश चंद्र मिश्रा लखनऊ में वोट डालेंगे। अपर्णा यादव और उनके पति प्रतीक यादव के अलावा अनुराग यादव लखनऊ में मतदान करेंगे। इस फेहरिस्त में राजधानी के पूर्व सांसद लालजी टंडन भी शामिल हैं। शिवपाल सिंह यादव इटावा, नरेश अग्रवाल हरदोई, ह्रदय नारायण्ा दीक्षित उन्नाव में मतदान करेंगे।

इन जिलों में होना है मतदान
लखनऊ, उन्नाव, कानपुर, कानपुर देहात, हरदोई, बाराबंकी, इटावा, औरैया, सीतापुर, फर्रुखाबाद, कन्नौज व मैनपुरी।

फैक्ट फाइल

- 2.41 मतदाता अपने विधायक चुनेंगे

- 1.31 करोड़ पुरुष मतदाता

- 1.10 करोड़ महिला मतदाता

- 16671 पोलिंग सेंटर बनाए गये

- 25607 पोलिंग बूथों पर होगा मतदान

- 826 उम्मीदवार हैं चुनाव मैदान में

- 21 उम्मीदवारों के साथ इटावा सीट सबसे आगे

- 03 उम्मीदवार हैं केवल बाराबंकी की हैदरगढ़ सीट से

- 5 लाख मतदाताओं वाली सरोजनीनगर सीट पहले स्थान पर

- 2.72 लाख मतदाताओं के साथ सीसामऊ सीट सबसे नीचे

- 59.96 फीसद मतदान हुआ था पिछले चुनाव में

- 58.43 फीसद मतदान 2014 के चुनाव में हुआ था