इस बार भी शहरी मतदाता घरों से नहीं निकले वोट देने के लिए बाहर

शहर की सीटों को छोड़ नौ विधान सभाओं में वोटिंग परसेंटेज 55 के पार

ALLAHABAD: मतदान हमारा संवैधानिक अधिकार है। यह प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है। जब मतदान पर चर्चा होती है, तो पढ़े लिखे लिट्रेट और एलीट पर्सन कहे जाने वाले शहर के लोग कुछ इसी तरह की बातें करते हैं और स्पीच देते हैं। लेकिन जब मतदान करने का समय आता है, तो फिर सारे संवैधानिक अधिकार और कर्तव्य भूल जाते हैं। हर बार की तरह इस बार भी शहर के लोग वोटिंग करने में पीछे रह गए। एडमिनिस्ट्रेशन की लाख कोशिशों के बाद भी वोटर वोट डालने नहीं निकले।

सबसे बौद्धिक सीट का हाल बेहाल

इलाहाबाद की शहर उत्तरी विधानसभा सीट प्रदेश की सबसे बौद्धिक सीट मानी जाती है। यहां बड़ी संख्या में एलीट और लिट्रेट पर्सन रहते हैं। लेकिन यहां वोटिंग परसेंटेज आगे बढ़ती ही नहीं है। 2012 के विधानसभा चुनाव में शहर उत्तरी में 40.87 परसेंट वोटिंग हुई थी। उसे बढ़ाने के लिए इस बार एडमिनिस्ट्रेशन ने पूरा जोर लगाया। लोगों को जागरुक करने के साथ ही वोट डालने की अपील की। लेकिन फायदा नहीं हुआ। इस बार भी 50 परसेंट से कम यानी 43 परसेंट ही शहर उत्तरी में मतदान हुआ।

पश्चिमी में कम हो गई वोटिंग

शहर पश्चिमी में इस बार चुनावी समीकरण पूरी तरह से बदलने और माहौल को देखते हुए 60 परसेंट से अधिक वोटिंग की उम्मीद थी। एडमिनिस्ट्रेशन के साथ ही राजनीतिक दलों ने भी यही उम्मीद लगा रखी थी, लेकिन परिणाम चौंकाने वाला रहा। वोटिंग परसेंटेज बढ़ने को कौन कहे, 2012 की अपेक्षा 2017 में 4.74 परसेंट कम हो गया। 2012 में वोटिंग 51.74 परसेंट थी। इस बार 47 परसेंट ही वोटिंग हुई।

शहर दक्षिणी ने बचाई लाज

एडमिनिस्ट्रेशन के मतदाता जागरुकता अभियान की लाज शहर दक्षिणी के मतदाताओं ने रखी। इस बार पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा बहुत तो नहीं, लेकिन पांच प्रतिशत मतदान प्रतिशत बढ़ा। 2012 में शहर दक्षिणी में 45.04 परसेंट वोटिंग हुई थी। इस बार वोटिंग परसेंटेज 50 परसेंट पर पहुंचा।

शहर की तुलना में ग्रामीण इलाकों का वोटिंग परसेंटेज बेहतर रहा। लेकिन यहां भी करछना विधानसभा क्षेत्र को छोड़ अन्य आठ विधानसभा क्षेत्रों में पिछले बार की अपेक्षा वोटिंग परसेंटेज में एक से तीन परसेंट की कमी आई है।