-स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने ली 24 जिलों की समीक्षा बैठक

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य राज्य मंत्री शंखलाल मांझी की अगुवाई में जेई, एईएस पर समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़, देवीपाटन और फैजाबाद मंडल के ख्ब् जिलों के अधिकारियों ने पार्टिसिपेट किया। बैठक में जेई, एईएस को रोकने संबंधित सभी प्वाइंट पर चर्चा की गई। सबसे अधिक जोर शुद्ध जल पर दिया गया। क्योंकि दूषित पानी ही इंसेफेलाइटिस का मेन कारण बन रहा है।

प्रदेश सरकार मामले पर संजीदा

मंत्री ने कहा कि दावे चाहे जो किए जाएं पर सच यही है कि जेइ और एइएस को लेकर प्रदेश की सपा की सरकार सर्वाधिक संजीदा रहीं हैं। किसी रोग के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं। कारण और निवारण। दोनों पर सपा ने गंभीरता से काम किया है। रोकथाम के लिए रूटीन में सर्वाधिक प्रभावित और रोग के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील उम्र के बच्चों का टीकाकरण, इसके बाबत विशेष अभियान, इलाज की व्यवस्था, मरने वाले और विकलांग हुए बच्चों के परिजनों को मदद आदि काम इसके सबूत हैं। इस मौके पर माझी ने आयोजन और इसमें आने वाले सुझावों को सराहा। विशेषज्ञों ने अब तक जेइ और एइएस के बारे में जो काम किया है वह संतोषजनक है।

बस्ती को पड़ी फटकार

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में फ्राइडे को समीक्षा बैठक करते हुए स्वास्थ्य राज्य मंत्री शंखलाल मांझी ने सभी जिलों के सीएमओ से जेई, एईएस के बारे में जानकारी ली। बस्ती में लापरवाही बरतने पर उन्होंने जमकर फटकार लगाई। साथ ही सभी जिलों को निर्देशित करते हुए कहा कि इंसेफेलाइटिस को रोकने संबंधित किसी भी मामले में अगर लापरवाही बरती गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। बैठक में गोरखपुर कमिश्नर राकेश कुमार ओझा, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। केपी कुशवाहा समेत सभी ख्ब् जिलों के सीएमओ और कई अन्य विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।

80 फीसद प्रकोप सिर्फ गोरखपुर मंडल में ही क्यों?

मांझी ने कहा कि हमारे पास जो आंकड़े हैं उनके अनुसार इंसेफ्लाइटिस का सर्वाधिक 80 फीसद प्रकोप गोरखपुर मंडल में और क्म् फीसद बस्ती मंडल में हैं। जलजमाव जैसे कुछ भौगोलिक और अन्य वजहों के जरिए इसका जवाब दिया जाता है, फिर भी हम सबके सामने यह सवाल है कि आखिर ऐसा क्यों है। हमारे प्रयासों और समन्वय में कहां चूक है।

मीडिया से अनुरोध दिग्भ्रमित न करें

मांझी ने करीने से मीडिया को भी कटघरे में खड़ा किया। कहा-एक पार्टी जिसका लोगों को दिग्भ्रमित करने में कोई जोड़ नहीं है, आप सब भी उसमें हिस्सेदार हैं। लोकसभा चुनावों में यह दिखा। स्वाइन फ्लू में भी आपकी भूमिका कुछ ऐसी ही थी। देश में इस रोग से हजारों मौतें हुई। यहां तक कि गुजरात में भी बहुत लोग मरे। उप्र में सिर्फ ख्7 मौतें हुई, पर लगा कि मीडिया के पास उप्र में स्वाइन फ्लू के प्रकोप के अलावा और कोई खबर नहीं है। मौसम के कहर और किसानों की खुदकुशी के मामले में भी यहीं हो रहा है। मेरी बातों को अन्यथा न लें। पेशे के लिहाज से संवेदनशील बनें। लोगों में भ्रम फैलाने से बाज आएं।