मायावती के शासन काल में नोएडा और लखनऊ में पार्कों और स्मारकों का निर्माण कराया गया था जिसमें बड़े पैमाने पर घोटाले होने की बात कही गई थी.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सत्ता सँभालते ही पार्कों और स्मारकों में पत्थरों को लगाने में हुए घोटाले की जांच उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त से करने की सिफारिश की थी.

लोकायुक्त न्यायमूर्ति एन के मेहरोत्रा ने अपनी जांच रिपोर्ट में 1400 करोड़ रुपये के घोटले की पुष्टि करते हुए 19 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने की सिफ़ारिश मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से की थी.

लोकायुक्त ने मुख्यमंत्री को भेजी अपनी सिफारिश में कहा था, "जो चौदह अरब से ज़्यादा के खर्च पत्थरों पर किए गए हैं उसमें हुए भ्रष्टाचार के पैसे की वसूली की जानी चाहिए."

भ्रष्टाचार

मायावती सरकार ने लखनऊ और नोएडा में दलित महापुरुषों के नाम पर पांच स्मारक पार्क बनाने के लिए लगभग 4,300 करोड़ रुपये स्वीकृत किये थे. इसमें से लगभग 4200 करोड़ रुपए खर्च भी हुए.

लोकायुक्त ने अपनी जाँच में अनुमान लगाया कि इसमें से करीब एक तिहाई रकम भ्रष्टाचार में चली गई.

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इस निर्माण कार्य में इस्तेमाल किए गए गुलाबी पत्थरों की सप्लाई मिर्जापुर से की गई जबकि इनकी आपूर्ति राजस्थान से दिखाकर ढुलाई के नाम पर भी पैसा लिया गया.

लोकायुक्त ने अपनी जांच में साफ़ तौर पर उल्लेख किया है कि पत्थरों को तराशने के लिए लखनऊ में मशीनें मंगाई गईं इसके बावजूद इन पत्थरों के तराशने में हुए खर्च में कोई कमी नहीं आई. बल्कि भुगतान तय रकम से दस गुने दाम पर ही किया जाता रहा.

जांच रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि पार्कों और स्मारकों के निर्माण में शामिल एजेंसियों ने कई तरह के मानकों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन भी किया है.

काफ़ी देर से आदेश

गौरतलब है कि अखिलेश यादव की सरकार ने इस घोटाले में दोषी पाए गए 19 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने का आदेश काफी देर से दिया है, जबकि लोकायुक्त ने अपनी जांच रिपोर्ट काफी पहले मुख्यमंत्री को सौंप दी थी.

हालांकि इन 19 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज हो जाने से कानूनी कार्रवाई करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

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