इंटरव्यू के जरिए हुई भर्तियों पर भी रहेगी निगाह

पूर्व में प्रतियोगियों ने सीधी भर्ती पर लगाए थे कई आरोप

ALLAHABAD: यूपी लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) इलाहाबाद की सीबीआई जांच शुरु होते ही आयोग की कार्यप्रणाली लगभग ठप पड़ चुकी है। आयोग में सीबीआई का दखल बढ़ने के बाद से अफसर और कर्मचारी दोनो के पसीने छूट रहे हैं। सभी इस बात को लेकर आशंकित हैं कि न जाने कब कौन सीबीआई जांच के लपेटे में आ जाये? शुरुआती चरण में सीबीआई का पूरा जोर बड़ी और आयोग की रेगुलर होने वाली परीक्षाओं पर है। लेकिन जानकारों की माने तो आयोग के जरिए हुए डायरेक्ट रिक्रुटमेंट (सीधी भर्ती) भी जांच के दायरे में आयेंगे।

31 जनवरी से शुरु हुई है जांच

गौरतलब है कि सीबीआई ने बीते 31 जनवरी से ही आयोग में अपनी जांच शुरु कर दी थी। अब जब जांच प्रक्रिया के कुल 11 दिन बीत चुके हैं तो इलाहाबाद के प्रतियोगी भी जांच को लेकर कयास लगा रहे हैं। इलाहाबाद में सीबीआई की टीम एसपी राजीव रंजन के नेतृत्व में डेरा डाले हुये है। टीम से मिलने वाले प्रतियोगियों का कहना है कि सीबीआई बड़ी परीक्षाओं में हुई धांधली के साक्ष्य तो जुटा ही रही है, साथ उसकी निगाह से आयोग में डायरेक्ट रिक्रुटमेंट के जरिए हुई भर्तियां भी नहीं बच पायेंगी।

तत्काल रोक लगाने की थी मांग

मालूम हो कि जितने सवाल आयोग की रेगुलर भर्तियों को लेकर हैं। उतने ही सवाल सीधी भर्ती को लेकर भी उठे हैं। प्रतियोगी शुरु से ही मांग करते चले आ रहे हैं कि कोई भी भर्ती सीधे इंटरव्यू के जरिए नहीं होनी चाहिये। क्योंकि, इससे भ्रष्टाचार के चांसेस कई गुना तक बढ़ जाते हैं। पूर्व में प्रतियोगियों ने अपने विरोध प्रदर्शनो के दौरान सुप्रीम कोर्ट और सरकार के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए यह मुद्दा जोरशोर से उठाया था कि बिना रिटेन एग्जाम के जरिए भर्तियों पर तत्काल रोक लगायी जाये। प्रतियोगियों ने आरोप लगाए थे कि सीधे इंटरव्यू के जरिए होने वाली भर्तियों में सीधे पैसा लेकर नियुक्तियां की जा रही है।

2012-17 के बीच भर्तियों की जांच

प्रतियोगियों के कड़े प्रतिरोध के बाद भी आयोग में सीधी भर्तियों का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा। आयोग ने कभी इस बात को एक्सेप्ट नहीं किया कि सीधी भर्तियां डायरेक्ट इंटरव्यू के जरिए नहीं की जायेंगी। उल्टे कई बार ऐसे मौके आए जब आयोग में बड़ी भर्ती, परीक्षा और परिणामों को लेकर भले ही पशोपेश की स्थिति रही हो और इन भर्तियों पर ग्रहण लगने जैसे हालात बने हों। लेकिन सीधी भर्तियों के साथ ऐसी कोई समस्या नहीं रही। बहरहाल, यह देखने वाली बात होगी कि डायरेक्टर इंटरव्यू के जरिए धड़ल्ले से की जाने वाली नियुक्तियों को लेकर क्या खुलासा होगा? बता दें कि सरकार ने अप्रैल 2012 से मार्च 2017 तक सीबीआई जांच के आदेश दिये हैं।