LUCKNOW: पिछले साल परिवहन निगम ने ताबड़तोड़ घोषणाएं कर यात्रियों को यूपी रोडवेज की बसों में सफर का लालच दिया। कभी बसों की स्पीड पर नजर रखने की बात कहीं गई तो महिलाओं की सुरक्षा के लिए बसों में कैमरे लगाए जाने की घोषणा की गई। लेकिन निगम की अधिकांश घोषणाएं हवा-हवाई रही। कुछ योजनाएं शुरू तो हुई लेकिन एक-एक कर उनका भी दम निकलता गया। कुछ योजनाओं पर आई नेक्स्ट ने जब जानकारी की तो यह हकीकत खुली।

- रखी जा सके बसों पर नजर

- एक मई को हुई कंट्रोल रूम की शुरुआत

- 13 अक्टूबर के बाद से बसों का डाटा नहीं तैयार किया गया है

परिवहन निगम ने बसों में नजर रखने के लिए एक मई से कंट्रोल रूम से बसों की स्पीड को नियंत्रित करने के लिए कंट्रोल रूम की स्थापना की। इस कंट्रोल रूम से यह भी पता चल सके कि कौन सी बस की लोकेशन कहां है और यात्री को जानकारी करते ही उसके बारे में बताया जा सके। लेकिन 13 अक्टूबर के बाद से बसों की लोकेशन के बारे में कोई जानकारी देने वाला नहीं है। इतना ही नहीं बसों की स्पीड पर अब नजर नहीं रखी जा रही है।

- यात्रियों को आवश्यकताओं का पता लग सके

- आठ जुलाई- बसों के औचक निरीक्षण प्रदेश के सभी आरएम और एआरएम को सूचित किया गया

- 25 सितम्बर के बाद से किसी भी ने भी औचक निरीक्षण की रिपोर्ट नहीं सौपी है

बसों में यात्रियों से बात करने और उनकी जरूरतों के बारे में जानने के लिए परिवहन निगम ने प्रदेश भर के सभी आरएम और एआरएम को निर्देश दिए कि वह एक दिन में एक बस का औचक निरीक्षण जरूर करेंगे। ऐसे में आरएम और एआरएम को निरीक्षण के दौरान रूट की फोटोग्राफ और चंद यात्रियों से की गई बातचीत का ब्यौरा मोबाइल के माध्यम से परिवहन निगम को भेजना था। लेकिन अब यह सब खत्म हो चुका है। कोई भी अधिकारी अब रूट पर चेकिंग के लिए नहीं जाता है और ना ही इसकी रिपोर्ट ही एमडी तक जाती है।

- सभी बसों में नहीं लग सके जीपीएस सिस्टम

- तीन फरवरी- सभी बसों में जीपीएस सिस्टम लगाने की तैयारी की गई

18 जुलाई तक यह काम पूरा होना था

परिवहन निगम के अधिकारियों ने बताया कि बसों पर नजर रखने के लिए वॉल्वो से लेकर साधारण बसों पर नजर रखने के लिए जीपीएस लगाने के लिए कहा गया था। लेकिन अब तक सभी बसों में जीपीएस लगाने का काम पूरा नहीं हो सका है।

आज तक नहीं आई स्कैनिया

- 12 मई को हुई थी सौ स्कैनिया बसों के आने घोषणा

- 12 सितम्बर तक आनी थी बसें

सीएम ने स्कैनिया बसों का उद्घाटन कर प्रदेश में सौ स्कैनिया बसों को जोड़ने का एलान किया था। इन बसों को नोएडा, गाजियाबाद, अलीगढ़ के साथ ही धार्मिक स्थलों के लिए चलाए जाने की योजना थी। लेकिन आज तक परिवहन निगम के बस बेड़े में मात्र तीन स्कैनिया ही शामिल हो सकी हैं। अन्य बसों के लिए परिवहन निगम आज भी राह तक रहा है।

सभी बसों में निर्भया फंड से लगने थे कैमरे

- 15 अप्रैल को सभी बसों में कैमरे लगाए जाने की घोषणा हुई

- 15 जुलाई तक सभी बसों में लग जाने थे कैमरे

दिल्ली में हुए रेप कांड के बाद परिवहन निगम की सभी बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने थे। इसको लेकर दिल्ली रूट की कुछ बसों में इसका ट्रायल भी किया गया जो कि सफल रहा। लेकिन ट्रायल के बाद दोबारा इन बसों में कैमरे लगने की नौबत नहीं आई। जिनमें ट्रायल हुआ था, वह कैमरे कहां है, इस बारे में भी किसी को कुछ पता नहीं है।

निगम की सबसे बड़ी प्राथमिकता है कि बसों का संचालन होता रहे। उसमें रुकावट नहीं आनी चाहिए। इसके अलावा योजनाएं तो बनी लेकिन जो प्राथमिकताएं पहले सामने आई, उन्हें पूरा किया गया। फिर जो कार्य चल रहे है, उनमें जो कमियां है, उन्हें दूर किया जाएगा। इसके अलावा जो योजनाएं बनी है, उसमें जिन अधिकारियों की जवाब देही है, उनसे स्पष्टीकरण भी लिया जाएगा।

के रविन्द्र नायक

एमडी परिवहन निगम