सुन्नी वक्फ बोर्ड ने की एसडीएम की सराहना

यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड से जुड़ी एक कमेटी ने कहा कि कादलपुर गांव का दौरा करने के बाद कहा है कि धर्मस्थल की दीवार गिराने में एसडीएम दुर्गा की कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने गांव वालों को सिर्फ सही प्रक्रिया का पालन करने की सलाह दी थी. कमेटी ने दुर्गा की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को अतिक्रमण मुक्त अभियान चलाया था जिसकी वजह से भू और रेत माफियाओं ने उन्हें सस्पेंड करवा दिया.

एलआईयू की रिपोर्ट सरकार से अलग

आइएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल से जुड़े मामले में स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआइयू) की रिपोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के दावे और निलंबन की कार्रवाई पर और सवाल खड़े कर दिए हैं. खुफिया रिपोर्ट में कादलपुर गांव के निर्माणाधीन धार्मिक स्थल की दीवार ढहाए जाने के मौके पर दुर्गा के न होने की बात कही गई है. रिपोर्ट में किसी अधिकारी के नाम का जिक्र नहीं है. शासन को भेजी रिपोर्ट में गौतमबुद्ध नगर एलआइयू यूनिट के प्रभारी ने लिखा है कि दीवार ढहाए जाने के वक्त मौके पर एसडीएम, जेवर मौजूद थे जबकि दुर्गा शक्ति गौतमबुद्ध नगर में एसडीएम, सदर थीं.

पूर्व अनुमति नहीं ली

खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक 27 जुलाई को कादलपुर गांव में नया धार्मिक स्थल बनाया जा रहा था. इसकी सूचना मिलने पर एसडीएम, जेवर इलाके के पुलिस क्षेत्राधिकारी (डीएसपी) और थानाध्यक्ष के साथ अपराह्न एक बजे मौके पर पहुंचे. वहां उन्होंने उन्होंने करीब दस फुट ऊंची चहारदीवारी को ध्वस्त करा दिया. प्रशासन के अनुसार इस धार्मिक स्थल को बनवाने की नियमानुसार पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी.

एसडीएम को कर दिया निलंबित

एलआइयू ने यह रिपोर्ट डीआइजी, इंटेलीजेंस को सौंपी. वहां से इसे शाम पांच बजकर दस मिनट पर पुलिस महानिदेशक कार्यालय और गृह विभाग को भेज दिया गया. उसी दिन देर रात सरकार ने धार्मिक स्थल की दीवार गिराए जाने के आरोप में आइएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित कर दिया. उल्लेखनीय है कि यह धार्मिक स्थल ग्र्राम पंचायत की जमीन पर बने होने की जानकारी अब प्रकाश में आई है, जिसको लेकर पूर्व में इलाके के लेखपाल ने गलत रिपोर्ट दे दी थी. विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने खनन माफिया को राहत देने के लिए दुर्गा शक्ति के निलंबन का कदम उठाया.

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