-हिंदी के पैसेज में बड़े और क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग हुआ था

-हिंदी भाषी स्टूडेंट्स को ही हिंदी समझ में नहीं आ रही थी

BAREILLY: यूपीएससी के एग्जाम में स्टूडेंट्स को सीसैट के प्रति इतनी नाराजगी नहीं है जितना हिंदी लैंग्वेज में पूछे क्वेश्चंस से। क्वेश्चंस का हिंदी में ट्रांसलेशन कुछ इस तरह से किया गया था जिसे समझने में स्टूडेंट्स के पसीने छूट गए। हिंदी भाषी स्टूडेंट्स को ही हिंदी समझ में नहीं आ रही थी। एक-एक क्वेश्चन को कई बार पढ़ना पड़ा। कई क्वेश्चंस को समझने के लिए उसे इंग्लिश में पढ़ना पढ़ा। स्टूडेंट्स का कहना है कि हिंदी में क्वेश्चंस ऐसे पूछे जाएं जो आम बोलचाल की भाषा में हो। ऐसे तो हिंदी भाषी स्टूडेंट्स अपने ही लैंग्वेज में मात खा जाएंगे।

ऐसी हिंदी से तौबा

स्टूडेंट्स ने बताया कि हिंदी में जो क्वेश्चंस पूछे गए थे सेंटेंस फॉर्म में नहीं थे। इंग्लिश क्वेश्चन का वर्ड टू वर्ड ट्रांसलेशन किया गया था, जिससे उन्हें वाक्य समझने में बड़ी परेशानी हुई। स्टूडेंट्स ने बताया कि ऐसी हिंदी से फायदा क्या जब इंग्लिश लैंग्वेज के क्वेश्चंस से ही सहारा लेना पड़े। सेकेंड पेपर के हिंदी के पैसेज तो इतने बड़े और इतनी क्लिष्ट शब्दों का इस्तेमाल किया गया था जिसे समझने में सबसे ज्यादा टाइम वेस्ट हुआ। स्टूडेंट्स ने बताया कि हिंदी के पैसेज में तो इंग्लिश का भी सहारा नहीं ले सकते। एक-एक पैसेज को हल करने में क्0 से क्भ् मिनट वेस्ट हो गए।

प्रोपोर्शन सेट नहीं होने से भी प्रॉब्लम

सीसैट वाले सेकेंड पेपर में हिंदी, इंग्लिश, रीजनिंग, मैथ्स और साइंस के क्00 क्वेश्चंस पूछ जाते हैं। स्टूडेंट्स के सामने सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह है कि इसमें यह पता नहीं होता कि किस टॉपिक को कितना वेटेज मिलेगा। इंग्लिश कॉम्प्रिहेंसन को इस बार हल नहीं करना था। उसमें से करीब क्7 क्वेश्चंस पूछे गए थे। वहीं डीसिजन मेकिंग के क्वेश्चंस तो ना के बराबर पूछे गए थे। मैथ्स के क्वेश्चंस भी स्टूडेंट्स को हार्ड लगे। जो सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड के साइंस के स्टूडेंट्स थे उनके लिए तो ज्यादा मुश्किल नहंीं था ,लेकिन हिंदी भाषी यूपी बोर्ड के स्टूडेंट्स के लिए मैथ्स के क्वेश्चंस काफी टफ थे।

करंट अफेयर के क्वेश्चंस भी कम

फ‌र्स्ट पेपर में करंट अफेयर, हिस्ट्री, जियोग्राफी और एनवायरमेंट से रिलेटेड क्वेश्चंस पूछे जाते हैं। स्टूडेंट्स हिस्ट्री और करंट अफेयर पर ज्यादा जोर देते हैं। लेकिन इस पेपर में करंट अफेयर के क्वेश्चंस ना के बराबर पूछे गए थे। हिस्ट्री के क्वेश्चंस भी इतने पुराने थे जिनके बारे में स्टूडेट्स कम ही जानते थे। स्टूडेंट्स का कहना था कि साउथ की हिस्ट्री के ज्यादा क्वेश्चंस पूछे गए।

सीसैट को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया

सीसैट पैटर्न को लेकर स्टूडेंट्स में मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। कई स्टूडेंट्स को सीसैट से परहेज नहीं है। वे बस हिंदी सरल मांगते हैं। उन्होंनें यहां तक कहा कि सीसैट से तो सारे कॉम्पिटीशन की तैयारी हो जाती है, क्योंकि हर कॉम्पिटीशन का पैटर्न ऐसा ही होता है। उन्होनें सीसैट को ईजी बताया। वहीं जो पुराने स्टूडेंट्स तैयारी करते आ रहे हैं उन्होंने बताया कि सीसैट लागू होने से सब्जेक्ट खत्म हो गया। उनके लिए मुश्किल हो गया है। वे अपने सब्जेक्ट में ही एग्जाम देते थे और अधिक मा‌र्क्स स्कोर करते थे। लेकिन इस नए पैटर्न का फायदा सीबीएसई व आईसीएसई जैसे इंग्लिश बोर्ड वाले स्टूडेंट्स को मिलेगा।

ब्8.फ्8 स्टूडेंट्स रहे अब्सेंट

यूपीएससी के एग्जाम में ब्8.फ्8 स्टूडेंट्स अब्सेंट रहे। इनमें से वे भी थे जो फ‌र्स्ट पेपर में अपीयर होने के बाद सेकेंड पेपर में अपीयर नहीं हुए। ख्0 सेंटर्स पर एग्जाम कंडक्ट कराया गया। जिनपर 9,7म्0 स्टूडेंट्स को एग्जाम देना था। लेकिन ब्,7म्क् स्टूडेंट्स ही एग्जाम देने आए। सेकेंड पेपर में यह संख्या घट कर ब्,7ख्ख् रह गई।