एकेटीयू से जुड़े कॉलेजेस में एडमिशन का टोटा

औंधे मुंह गिरी यूपीएसईई 2016 की काउंसिलिंग

रेवड़ी की तरह कालेजेस को मान्यता देने का भुगत रहे खामियाजा

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: पढ़ाई के नाम पर कॉलेजेस को रेवड़ी की तरह मान्यता देना अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी को भारी पड़ रहा है। प्रदेश के इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट एंड फार्मेसी बेस इंस्टीट्यूशंस में चल रही प्रवेश प्रक्रिया के दौरान एडमिशन के लिए स्टूडेंट खोजे नहीं मिल रहे हैं। इसके चलते उत्तर प्रदेश स्टेट इंट्रेंस एग्जाम (यूपीएसईई) की काउंसिलिंग फ‌र्स्ट राउंड में ही औंधे मुह गिर गई है।

फ‌र्स्ट राउंड में ही चित

गौरतलब है कि डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू) लखनऊ से जुड़े प्रदेशभर के कॉलेजेस में एडमिशन के लिए इन दिनो काउंसिलिंग का प्रॉसेस चल रहा है। यह काउंसिलिंग उत्तर प्रदेश स्टेट इंट्रेंस एग्जाम (यूपीएसईई) 2016 के तहत करवाई जा रही है। लेकिन फ‌र्स्ट राउंड की काउंसिलिंग समाप्त हो जाने के बाद सीट एलाटमेंट की जो सच्चाई सामने आई है, उसने प्रदेशभर में हायर एजुकेशन की पोल खोलकर रख दी है। कॉलेजेस में फ‌र्स्ट राउंड के बाद सीट एलाटमेंट की हालत बेहद खराब है। प्रदेश में कई सारे ऐसे कॉलेज हैं, जिनमें एक भी एडमिशन नहीं हो सके हैं। कुछ में इक्का दुक्का तो कुछ कॉलेजेस बड़ी मशक्कत के बाद दहाई का आंकड़ा पार कर सके हैं।

पहली बार नहीं हुआ है ऐसा

खास बात तो यह है कि गांव गांव और शहर शहर कुकुरमुत्ते की जगह उग आए कॉलेजेस में मुट्ठीभर ही ऐसे हैं, जिनकी हालत कुछ संतोषजनक कही जा सकती है। इनमें इलाहाबाद के भी कई नामी कॉलेज शामिल हैं। गौर करने वाली बात तो यह है कि यह हाल अभी फ‌र्स्ट राउंड में ही है। ऐसे में आगे काउंसिलिंग के किसी भी चरण से बहुत ज्यादा उम्मीद करना बेमानी होगी। वैसे ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब यूपीएसईई की काउंसिलिंग मुंह के बल गिरी है। इससे पहले के वर्षो में भी यही हाल रहा है। लास्ट इयर तकरीबन सत्तर फीसदी सीटें कई राउंड तक चली काउंसलिंग के बाद भी नहीं भर पाई थीं।

तमगा पाकर भी नौकरी के लाले

उस समय कॉलेजेस में प्रवेश की दयनीय हालत पर यूनिवर्सिटी ने भी गहरी चिंता प्रकट की थी और इसमें व्यापक स्तर पर सुधार के लिए ठोस उपाय किए जाने का दावा किया था। लेकिन अब जब दोबारा से प्रवेश प्रक्रिया शुरू हुई है तो सच यही है कि सारे दावे हवा हवाई साबित हुए हैं। जानकार कॉलेजेस में सीट न भर पाने की बड़ी वजह पढ़ाई का घटिया स्तर एवं संसाधन की भारी कमी को बता रहे हैं। जिससे इंजीनियर बनने का तमगा लेकर भी छात्र एक अदद नौकरी पाने के लिए दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर रहते हैं। साफ है कि अब कॅरियर को लेकर अवेयर छात्र कॉलेजेस के लोक लुभावन वादों के झांसे में आने से बच रहे हैं।

इलाहाबाद के कॉलेजेस में सीट एलाटमेंट की स्थिति

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अभय मेमोरियल ट्रस्ट ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन- 00

बीबीएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी- 44

छत्रपति शाहू जी महाराज कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी- 24

सीएसएम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस फैकेल्टी ऑफ मैनेजमेंट- 00

देव प्रयाग इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट- 01

देव प्रयाग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल स्टडीज- 15

यूइंग क्रिश्चियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी- 11

एचएमएफए मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी- 03

इनफिनिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी- 00

इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड रुरल टेक्नोलॉजी- 202

कृष्णापति इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी- 01

एलडीसी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल स्टडीज- 07

मल्टी मेमोरियल ट्रस्ट सीएसएम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस फैकेल्टी ऑफ बी फार्मेसी- 03

प्रयाग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट- 00

शंकर कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड कम्प्यूटर एप्लीकेशन- 00

शम्भूनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी- 98

शम्भूनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट- 01

शम्भूनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी- 16

युनाइटेड कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड रिसर्च- 526

युनाइटेड कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट- 30

युनाइटेड इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट- 53

यूनाइटेड इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी- 24

युनाइटेड इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी- 56