- सुप्रीमकोर्ट के प्रतिबंध के बावजूद बसों में लगे हैं प्रेशर हॉर्न
- किस बजट से प्रबंधन ने बसों में लगवाया हॉर्न, बड़ा सवाल
BAREILLY:
परिवहन निगम की बसें शहर में हॉर्न से शोर मचा रही हैं। सुप्रीमकोर्ट के प्रतिबंध के बावजूद परिवहन निगम के अधिकारी बसों में प्रेशर हॉर्न लगवाए हुए हैं। जो न सिर्फ पॉल्यूशन का सबब बन रही हैं। बल्कि, राहगीरों के लिए जानलेवा हैं। फिर भी, इन आरटीओ एक्शन नहीं ले रहे हैं।
किस मद से खरीद रहे हॉर्न
परिवहन निगम की तकरीबन सभी बसों में प्रेशर हॉर्न लगे हुए हैं। ऐसे में, बड़ा सवाल है कि परिवहन निगम के अधिकारी किस मद से तेज आवाज वाले हॉर्न की खरीद कर रहे हैं। क्योंकि सुप्रीमकोर्ट से प्रतिबंध के चलते प्रेशर हॉर्न की खरीद का कोई बजट विभाग शो नहीं कर सकते हैं। ऐसे में, बड़े घालमेल की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।
80 मीटर होनी चाहिए रेंज
मोटर व्हीकल एक्ट में प्रावधान है कि किसी भी वाहन में हॉर्न लगता है, तो उसकी रेंज 80 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। यानि कि, हॉर्न बजाने पर उसकी आवाज निश्चित दूरी तक ही प्रभावी तौर पर सुनाई दे। अफसोस परिवहन निगम के अधिकारी नियम कायदों को ताक पर रखकर बसों में प्रेशर हॉर्न लगवा दिए हैं, जिनकी आवाज कई किमी। दूर तक जाती है।
कानफोड़ू है हॉर्न
बसों में लगा प्रशेर हॉर्न राहगीरों के लिए जान का खतरा बना हुआ है। परिवहन निगम बसों के ड्राइवर अचानक से तेज हॉर्न बजा देते हैं, जिससे आगे जा रहा यात्री चौंक जाता है। कई बार यह दुर्घटना की वजह भी बना है। बाइक या साइकिल से जा रहे राहगीर हॉर्न की तेज आवाज से चौंक कर अनियंत्रित हो गए, जिससे वह बस की चपेट में आ गए।
मन-मस्तिष्क कर रहा शून्य
प्रेशर वाला हॉर्न मतलब मन- मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ना स्वभाविक है। डॉक्टर्स का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति देर तक शोर-शराबा के बीच रहता है, तो आई क्यू क्षमता प्रभावित होती है। साथ ही कानों में झनझनाहट, कम सुनाई पड़ना, सिरदर्द, ब्लड प्रेशर का बढ़ना, चिड़चिड़ापन, थकावट महसूस होना। जैसी तमाम समस्याओं उत्पन्न हो जाती हैं। कई बार तो कान के पर्दे फटने का भी खतरा बन जाता है।
एरिया वाइज हॉर्न का स्टैंडर्ड
एरिया - डेसीबल
कॉमर्शियल - 65
रेजिडेंशियल - 55
साइलेंट - 50
इंडस्ट्रियल - 75
नोट - दिन के समय का मानक
ध्वनि प्रदूषण से नुकसान
- कानों में झन झनाहट।
- कम सुनाई पड़ना।
- सिर में दर्द बना रहना।
- ब्लड प्रेशर का बढ़ना।
- स्वभाव में चिड़चिड़ा पन आना।
- थकावट महसूस होना।
- आई क्यू की क्षमता प्रभावित होना।
उपाय
-व्हीकल्स में प्रेशर हार्न न लगाएं।
- बेवजह हॉर्न का यूज न करें।
- जहां तक हो सके भीड़ वाले जगह में जाने से बचे।
- हियरिंग चेकअप कराते रहे।
बरेली रीजन में आने वाले सभी डिपो में सादा हॉर्न दे दिए गए हैं। बसों में सादा हॉर्न लगाए जा रहे हैं। एक-दो बसों प्रेशर हॉर्न लगे हैं, तो उसे जल्द ही सादा हॉर्न से रिप्लेस कर लिया जाएगा।
आरबीएल शर्मा, एसएम, परिवहन निगम