RANCHI: एक अप्रैल से रिम्स में लागू ख्भ्0 रुपए तक के सभी टेस्ट फ्री सिर्फ आईवाश है। क्योंकि मैनेजमेंट ने ब्ख् वैसे टेस्ट को लिस्ट से हटा दिया है, जिसे ख्भ्0 रुपए तक की जांच में सबसे ज्यादा डॉक्टर लिखते हैं। ऐसे में ख्भ् रुपए का शुगर टेस्ट कराने से लेकर ईसीजी के लिए भी मरीज को क्म् रुपए की पर्ची कटानी पड़ रही है। वहीं, इस लिस्ट में वैसे एक दर्जन टेस्ट भी शामिल हैं, जिसके लिए मरीजों को क्00-ख्भ्0 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं। गौरतलब हो कि रिम्स में ख्00 टेस्ट ऐसे होते हैं, जिस पर ख्भ्0 रुपए तक खर्च करना पड़ता है।

नहीं मिल रहा फ्री टेस्ट का लाभ

रिम्स में ख्भ्0 रुपए तक के टेस्ट फ्री किए जाने का लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है, वहीं लाभ लेने के लिए उनकी परेशानी जरूर बढ़ गई है। इतना ही नहीं, फ्री टेस्ट की अनुमति देने वाले डीएस के भी पसीने छूट रहे हैं। क्योंकि ब्ख् टेस्ट लिस्ट से हटाने का नोटिस रिम्स ने जारी कर दिया है। ऐसे में फ्री टेस्ट की अनुमति देने से पहले डीएस को हर बार लिस्ट चेक करनी पड़ रही है। वहीं मरीजों की जांच फ्री होने के बाद भी उन्हें पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। मरीजों को हो रही इस परेशानी को लेकर प्रबंधन गंभीर नहीं है।

जीबी मीटिंग में बनी थी सहमति

पिछले महीने रिम्स गवर्निग बॉडी की बैठक में मरीजों की ख्भ्0 रुपए तक जांच फ्री करने पर जीबी ने सहमति जताई थी। इसके बाद फाइल स्वास्थ्य विभाग के पास मंजूरी के लिए भेजी गई थी। ताकि ख्भ्0 रुपए तक का टेस्ट कराने के लिए मरीजों को लाइन में घंटों समय न बिताना पड़े। लेकिन यहां तो मरीजों की परेशानी कम होने की बजाय और बढ़ गई है।

कुछ जरूरी टेस्ट, जिनका लग रहा चार्ज

नाम चार्ज(रुपए में)

ब्लड शुगर आर ख्भ्

ब्लड शुगर पीपी फ्0

सीबीसी टेस्ट ख्0

कॉटेज एसी ख्भ्0

कॉटेज नन एसी क्भ्0

इसीजी क्म्

एफएनएसी फ्भ्

फ्रैक्चर ख्भ्

एफएसएच ख्00

एलएफटी ब्भ्

आरएफटी ब्0

वर्जन

डॉक्टर तो टेस्ट लिखकर भेज देते हैं। अब समझ में नहीं आता कि कौन सा टेस्ट फ्री होगा और कौन सा नहीं। ऐसे में हर मरीज की पर्ची मिलानी पड़ रही है। उसमें भी कुछ जांच फ्री की अनुमति देने को लेकर कन्फ्यूजन होता है।

डॉ। गोपाल श्रीवास्तव, डिप्टी सुपरिटेंडेंट, रिम्स

टेस्ट के लिए ख्भ्0 रुपए से कम की पर्ची काटने की जानकारी मुझे मिली थी, तो मैंने कैश काउंटर का इंस्पेक्शन किया है। स्टाफ्स को साफ निर्देश दिया गया है कि लिस्ट लेकर उसके हिसाब से ही पर्ची काटें। मरीजों को परेशानी न हो। इसके लिए हमलोग काम कर रहे हैं।

डॉ। बीएल शेरवाल, डायरेक्टर, रिम्स