- किसी भी तरह के इंफेक्शन को हल्के में न लें

- इंफेक्शन होने पर डॉक्टर्स देते हैं लापरवाही न करने की एडवाइस

Meerut : वैसे तो अक्सर जरा सी लापरवाही करना बहुत भारी पड़ती है, लेकिन डॉक्टर्स ने अब इंफेक्शन के लिए भी मरीजों को अलर्ट करना शुरू कर दिया है। डॉक्टर्स का मानना है कि मामूली माना जाने वाला कोई भी इंफेक्शन हो किडनी फेल का बड़ा कारण बन सकता है। इसलिए डॉक्टर्स सिटी में इंफेक्शन के मरीजों को सख्त रूप से इलाज की सलाह दे रहे हैं, साथ ही अन्य को इंफेक्शन से बचने की सलाह दी जा रही है।

कैसे बन सकती है समस्या

डायबिटीज, डायरिया और ब्लड प्रेशर के मरीज भी किडनी फेलियर का शिकार बन सकते हैं। डॉक्टर्स का मानना है कि हर तरह के इंफेक्शन अधिकतर हमारी किडनी से ही होता है। डॉक्टर्स के अनुसार हमारे खून के जरिए कोई भी इंफेक्शन सीधे हमारे किडनी से संपर्क करता है। जिस कारण इंफेक्शन का असर सीधे किडनी पर पड़ता है। फिजिशयन डॉ। बीपी सिंह के अनुसार जरा सा इंफेक्शन की अनदेखी करना घातक सिद्ध हो सकता है।

यूरीन इंफेक्शन का रखें ध्यान

यूरीन से रिलेटेड हर तरह के इंफेक्शन किडनी पर बुरा असर डालते हैं। बॉडी में यूरिया और क्रियटिनीन दोनों तत्व ज्यादा बढ़ने की वजह से यूरीन के साथ बॉडी से बाहर नहीं निकल पाते हैं, जिसके कारण ब्लड की मात्रा बढ़ने लगती है। इसके कारण उल्टी आना, सिरदर्द व चक्कर आना, बॉडी में सूजन आना, लीवर में सूजन आना, बार-बार बेहोश होना, ब्लड प्रेशर का बढ़ना जैसी समस्याएं होने लगती हैं। फिजिशियन डॉ। तनुराज सिरोही के अनुसार यूरीन के इंफेक्शन का तुरंत इलाज कराना जरूरी है, क्योंकि यूरीन का संबंध सीधा हमारी किडनी से ही होता है।

कैसे होती है किडनी फेल

किडनी फेल दो तरह से होती है जिसे मेडिकल की भाषा में एक्यूड्रिनल फेलियर (एआरएफ) और क्रॉनिक एक्यूड्रिनल फेलियर (सीआरएफ) कहते हैं। डॉक्टर्स के अनुसार एआरएफ के पेशेंट को एंटीबायोटिक के सहारे से बचाया जा सकता है, लेकिन सीआरएफ के पेशेंट की किडनी को बचाया नहीं जा सकता है। साथ ही किडनी इरथ्रोपोयटिन नाम का हार्मोन भी बनाती है। सीआरएफ की हालत में किडनी इस हार्मोन को बनाना बंद कर देती है, जिससे बॉडी में खून की कमी होने लगती है और फिर हमारी किडनी खराब हो जाती है।

इन बीमारियों में है खतरा

शुगर, डायबटीज, हाईपर टेंशन, डायरिया, पॉलिस्ट्रीम किडनी, सेप्टीसिनीया और कोई भी इंफेक्शन। ये सभी बीमारियां किडनी फेलियर का कारण बन सकती हैं। इनमें सबसे ज्यादा खतरा शुगर, बीपी और इंफेक्शन में होता है।

क्या है इलाज में

ट्रीटमेंट की बात करें तो किडनी फेलियर का शिकार होने पर पेशेंट को डायलेसिस पर रखा जाता है। जिसमें हफ्ते में दो बार ब्-ब् घंटे डायलेसिस होती है। और इससे बॉडी में अधिक मात्रा में मौजूद यूरिया और क्रियटिनीन, पानी और सोडियम और पोटेशियम को निकाला जाता है।

ध्यान रखें इन बातों का

फिजिशयन डॉ। एके जैन के अनुसार कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।

-चालीस साल की उम्र के बाद रुटीन चेकअप कराना चाहिए। क्योंकि 90 प्रतिशत तक किडनी फेल होना अधिकतर लोगों को पता ही नहीं चलता है।

- किसी भी इंफेक्शन का शिकार होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करें।

-दवाएं तब तक लें जब तक इंफेक्शन पूरी तरह से खत्म न हो जाए।

-डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों को इन दोनों पर कंट्रोल रखना चाहिए। क्योंकि नॉर्मल से ज्यादा चाहे बीपी हो या शुगर खतरनाक साबित हो सकती है।

- तले-भुने चीजों से भी परहेज करना बेहद जरूरी है, अधिकतर तला भुना और जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, चिप्स आदि जैसी चीजों को खाने वाले के साथ इस तरह की समस्या आ सकती है।

- सुबह का ब्रेकफास्ट छोड़ना भी आपकी किडनी के लिए बेहद नुकसानदायक साबित हो सकता है।