पेंटागन के एक प्रवक्ता के अनुसार इस विमान का परीक्षण हवाई के एक मिसाइल परीक्षण केंद्र से किया गया और ये 2,300 किलोमीटर दूर स्थित क्वाजालीन एटॉल तक आधे घंटे से भी कम समय में पहुँच गया। इस दूरी का अंदाज़ा इस बात से लगाइए कि भारत में श्रीनगर से बंगलौर शहर की दूरी लगभग इतनी ही है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि 'हाइपरसोनिक' इस गति को कहा जाता है जो ध्वनि की गति से पाँच गुना हो यानी जो एक घंटे में क़रीब 6000 किलोमीटर की दूरी तय कर सके। इस पैमाने से देखें तो अमरीका अब ज़रुरत पड़ने पर एक घंटे में दुनिया के किसी भी हिस्से में हमला कर सकता है।

वैसे ऐसा नहीं है कि वैज्ञानिक सिर्फ़ बम गिराने के लिए इस तरह के प्रयोग कर रहे हैं। ब्रिटेन में वैज्ञानिक एक ऐसे विमान के निर्माण में लगे हुए हैं जो 300 यात्रियों को लेकर 6000 किलोमीटर की गति से उड़ सकेगा।

महत्वाकांक्षी परियोजना

पेंटागन ने गुरुवार को इसका परीक्षण किया है। इसे 'एडवांस्ड हाइपरसोनिक वेपन ' (एएचडब्लू) का नाम दिया गया है। पेंटागन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, "हवाई से इसे रॉकेट के ज़रिए छोड़ा गया और प्रशांत महासागर में वायुमंडल के ऊपरी सतह से होते हुए दक्षिणपश्चिमी भाग में स्थित क्वाजालीन एटॉल में लक्ष्य तक पहुँचा."

कई जानकारियाँ अभी अमरीकी सेना ने ज़ाहिर नहीं की है, मसलन ये कि ये किस गति से उड़कर लक्ष्य तक पहुँचा और ये कि इसकी क्षमता कितनी दूरी तक पहुँचने की है।

इसी साल अगस्त में पेंटागन ने एक और सुपरसोनिक बम वाहक एचटीवी-2 का परिक्षण किया था लेकिन वो सफल नहीं हो सका था।

समाचार एजेंसी एएफ़पी का कहना है कि पेंटागन ने ये तो कहा है कि दूरी तय करने के मामले में एएचडब्लू की क्षमता एचटीवी-2 से कम है, लेकिन ये नहीं बताया गया है कि ये क्षमता वास्तव में कितनी है। इस बम वाहक का निर्माण अमरीकी सेना के 'प्रॉम्प्ट ग्लोबल स्ट्राइक' यानी त्वरित वैश्विक हमले की तैयारी का हिस्सा है।

पेंटागन ने इस परियोजना पर क़रीब 24 करोड़ डॉलर (क़रीब 1200 करोड़ रुपए) ख़र्च किए हैं। गुरुवार को जिस बम वाहक का परीक्षण किया गया उस पर 6.9 करोड़ डॉलर का ख़र्च आया है। समाचार एजेंसी एपी का कहना है कि अमरीकी सेना इस परियोजना से अलग भी ऐसा एक विमान बनाने का प्रयास कर रही है।

पहला प्रयोग नहीं

वैसे 'हाइपरसोनिक' बम वाहक अमरीका का पहला परीक्षण नहीं है। वह लंबे समय से इस तरह के परीक्षण में लगा हुआ है। वर्ष 2004 में अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने पायलटरहित हाइपरसोनिक विमान एक्स-43ए का सफल परीक्षण किया था।

नासा ने कहा है कि परीक्षण के दौरान 10 सेकेंड के लिए यह विमान 7700 किलोमीटर प्रति घंटा की गति पकड़ने में सफल रहा था। यानी ध्वनि की गति से क़रीब सात गुना। इससे पहले किसी भी विमान ने बिना रॉकेट के यानी सिर्फ़ इंजन के सहारे यह गति नहीं हासिल की थी।

यात्री विमान

ध्वनि की गति से उड़ने वाला यानी 'सुपरसोनिक' यात्री विमान कॉनकॉर्ड अब इतिहास बन चुका है। एयर फ़्रांस और ब्रिटिश एयरवेज़ इसे मिलकर उड़ाते थे लेकिन नवंबर 2006 के बाद से इसकी उड़ान बंद कर दी गई।

लेकिन अब ब्रिटेन के वैज्ञानिक एक यात्री विमान बनाने में लगे हुए हैं जो 'हाइपसोनिक' गति से यानी ध्वनि की गति से पाँच गुना रफ़्तार से उड़ान भर सकेगा।

वर्ष 2008 में जो जानकारी ब्रितानी अधिकारियों ने दी थी उसके मुताबिक़ ए-2 नाम के इस विमान पर दक्षिणी इंग्लैंड के ऑक्सफ़र्डशर में एक कंपनी काम कर रही है।

कुल 300 यात्रियों की क्षमता वाले इस विमान की गति लगभग 6,400 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। इसका मतलब ये है कि यूरोप के किसी भी हिस्से से ऑस्ट्रेलिया तक पहुँचने में इस विमान को पाँच घंटे से भी कम समय लगेगा।


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