अमेरिकी केंद्रीय बैंक है फेडरल रिजर्व
अमेरिकी केन्द्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने 10 सालों में पहली बार ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इसके पूर्व 2006 में ब्याज दर बढ़ाई गई थी। फेड ने अपनी रिवर्स रेपो रेट 0.05 फीसदी से बढ़ाकर 0.25 फीसदी कर दी है। इसके बाद डो जोंस शेयर इंडेक्स में 100 अंकों की बढ़त हुई और व डॉलर भी और मजबूत हो गया।

क्यों बढ़ाई दरें
अमेरिकी अर्थव्यवस्था की हालत सुधार रही है। अब तक ब्याज दरें जीरो पर रखकर फेडरल रिजर्व इकोनॉमी को सहारा दे रहा था। अब अमेरिका में रोजगार के मौके बढ़े हैं और बेरोजगारी कम हुई है। इससे महंगाई बढ़ने की संभावना है। फेड का काम महंगाई पर लगाम लगाना है।

रुपया हो सकता है कमजोर होगा
अमेरिका के दरें बढ़ाने से रुपया कमजोर होगा और डॉलर मजबूत होगा। रुपए के कमजोर होने का असर हमारे इंपोर्ट पर पड़ेगा और इंपोर्ट महंगा होगा। रिजर्व बैंक पहले ही स्पष्ट कर चुका है वह रुपए को ज्यादा नहीं गिरने देगा। डॉलर मजबूत होने से क्रूड के दाम और गिरेंगे।

सोना होगा सस्ता
पिछले एक साल में अंतरराष्ट्रीय बाजर में सोने की कीमतें 10 फीसदी तक गिर चुकी हैं। दरें बढ़ने से सोने के भाव और गिरेंगे। भारत में सोने के भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार से तय होते हैं ऐसी हालत में सोना और सस्ता होगा।

शेयर बाजार में गिरावट के आसार
शेयर बाजार अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने के फैसले को पहले ही डिस्काउंट कर चुका है। जानकारों के मुताबिक दरें बढ़ने से बाजार में हल्की गिरावट की ही आशंका है। कुछ विदेशी निवेशक अमेरिका में बांड पर ज्यादा ब्याज दर मिलने से शेयर बाजार और बांड मार्केट में बिकवाली कर सकते हैं। इसके बाद बाजार में रिकवरी आ सकती है। जानकारों के मुताबिक अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ना वैश्विक स्थिति ठीक होने का संकेत है। इसे बाजार सकारात्मक तौर पर ले सकते हैं।

 

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