क्रिस बेक 20 साल तक अमरीकी सेना में काम करते हुए दुश्मन से जुड़े रहस्यों को उजागर करते रहे, लेकिन अपने जीवन से जुड़े एक अहम रहस्य को उन्हें पोशीदा ही रखा.

ये रहस्य था कि वो वह बचपन से ही पुरुष शरीर में एक महिला थे.

विशेष अमरीकी सैन्य टुकड़ी नेवी सील्स के सदस्य के तौर पर जीवन कठिन होता है. इसके लिए दमदार ही नहीं बल्कि कभी-कभी हिंसक भी होना पड़ता है.

उन्होंने 2003 में इराक युद्ध के समय बसरा के पास शैत-अल-अरब समेत बहुत से गुप्त मिशनों में भाग लिया.

लेकिन, अमरीकी सेना से रिटायटर होने के लगभग साल भर बाद इस वर्ष फरवरी में उन्होंने अपनी लिंक्डइन प्रोफाइल पर सफेद ब्लाउज़ में एक मुस्कुराती हुई महिला की फोटो अपलोड की और लिखा, "आज मैं दुनिया को अपनी असली पहचान एक महिला के रूप में बताकर सभी झूठी पहचान से हमेशा के लिए पर्दा उठा रही हूं."

और इस तरह वह क्रिस से क्रिस्टीन बन गए.

क्या था डर?

यूएस नेवी सील को दुनिया के सबसे ख़तरनाक और कठिन सैन्य अभियानों पर भेजा जाता है. मई 2011 में पाकिस्तान में अल क़ायदा नेता ओसामा बिन लादेन को मारने वाली टीम 'सील टीम-6' की भी क्रिस्टीन बेक कभी सदस्य रही थीं.

नेवी सील के नियम निष्ठा, ईमानदारी और विश्वास को बनाए रखने की मांग करते हैं. ऐसे में क्रिस्टीन को डर था कि उनके कुछ साथी जवान ट्रांसजेंडर के रूप में उनकी पहचान जाहिर होने के बाद उन पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाएंगे.

वॉशिंगटन डीसी में जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय में मनोरोग विज्ञान की एक प्रोफेसर ऐनी स्पेकहार्ड के साथ अपने अनुभव साझा कर क्रिस्टीन ने साझा तौर पर एक किताब 'वॉरियर प्रिंसिसः ए यूएस नेवी सील्स जर्नी टू कमिंग आउट ट्रांसजेंडर' भी लिखी है.

जीवन का मकसद

एक 'महिला' जो अमरीकी फ़ौज में पुरुष बनी रही

इसमें उन्होंने अपनी दो शादियों का जिक्र किया जो नाकाम रही. साथ ही उन्होंने अपने बचपन के परिवेश के बारे में बताया जो धार्मिक और सामाजिक रूप से खासा रुढ़िवादी था.

कई बार उन्होंने महिलाओं के कपड़े भी खरीदे थे लेकिन बाद में उन्हें फेंक भी दिया.

क्रिस्टीन ने बीबीसी को बताया, ''कुछ लोगों के लिए यह स्वीकारना कठिन था, लेकिन अधिकतर लोगों का रूख सकारात्मक था. मैं निजी तौर पर, सेना में और अपने परिवार के साथ तीहरा जीवन जी रही थी."

वह कहती हैं, ''मुझे लगता है कि मैंने बहुत से लोगों को बचा लिया है, मुझे पूर्वाग्रह से ग्रस्त और पीड़ित लोगों के संदेश मिले हैं और मेरा काम अब उनके जीवन को सार्थक बनाना है."

"कुछ लोगों के लिए यह स्वीकारना कठिन था, लेकिन अधिकतर लोगों का रूख सकारात्मक था. मैं निजी तौर पर, सेना में और अपने परिवार के साथ तीहरा जीवन जी रही थी."

-क्रिस्टीन

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