पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में पैदा हुए और फिर 1970 के दशक में अमरीका जाने वाले 58 वर्षीय राजा लहरासिब ख़ान ने अपने ख़िलाफ़ लगाए गए 'आतंकवादियों को पैसा देने' के दो आरोपों में से एक को स्वीकार कर लिया है।

पाकिस्तान में सक्रिय चरमपंथी गुट हरकतुल जेहाद अल इस्लामी के प्रमुख इलियास कश्मीरी का नाम मुंबई धमाकों से सिलसिले में भी लिया गया था और अमरीकी अधिकारियों का मानना था उनके संबंध अल-क़ायदा नेताओं से काफ़ी गहरे थे। इलियास कश्मीरी पिछले साल जून में पाकिस्तान के वाना शहर के लमन गाँव में एक ड्रोन हमले में मारे गए थे।

राजा लहरासिब के वकील थॉमस डर्किन ने कहा, "अल क़ायदा का ज़िक्र आते ही लोग डर जाते हैं। ये मुश्किल मुकदमा था और ये समझौता (जुर्म मान लेना) न्यायसंगत है."

उनका ये भी कहना था कि राजा लहरासिब कश्मीर की आज़ादी के समर्थक हैं और जो पैसा उन्होंने भेजा वो कश्मीर की आज़ादी के अभियान के लिए था, न कि अल क़ायदा के लिए।

इलियास कश्मीरी से मिले

इस मामले की जाँच और मुकदमें में सुनवाई के बाद अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी एफ़बीआई ने एक बयान में कहा - "एक व्यक्ति जो एक कथित आतंकवादी नेता को मिल चुका था और जिसने ये जानने के बाद कि वह अल क़ायदा से संबंधित है, ख़ुद सैकड़ों डॉलर उस नेता को दिए, ने अपना जुर्म मान लिया है."

सरकारी वकील ने माना है कि टैक्सी ड्राइवर राजा लहरासिब से अमरीका की आंतरिक सुरक्षा को तत्काल कोई ख़तरा नहीं था। तीस मई को उन्हें सज़ा सुनाई जाएगी। उन्हें अधिक से अधिक 15 साल तक की जेल की सज़ा सुनाई जा सकती है। राजा लहरासिब ने माना कि वे 2005 के आसपास और फिर 2008 में इलियास कश्मीरी से मिले थे।

सरकार वकीलों के मुताबिक दूसरी मुलाकात के दौरान राजा लहरासिब के पास जानकारी थी कि कश्मीर के क्षेत्र में भारत सरकार के ख़िलाफ़ हमले करने के साथ-साथ अल क़ायदा के साथ भी काम कर रहे हैं।

न्यायालय में हुई सुनवाई के मुताबिक 2008 कि मुलाकात के दौरान कश्मीरी ने उन्हें ये भी बताया था कि ओसामा बिन लादेन ज़िंदा हैं, स्वस्थ हैं और हुक़्म दे रहे हैं।

इसके बाद कश्मीरी ने पहले भारत के ख़िलाफ़ हमलों के लिए लगभग 20 हज़ार रुपए, फिर लगभग 77 हज़ार रुपए भेजे जिसमें से 25 हज़ार रुपए कश्मीरी को देने का आदेश दिया।

फ़रवरी और मार्च में राजा लहरासिब से अमरीकी ख़ुफ़िया सेवा के अंडरकवर एजेंट मिले और हथियार-गोलाबारूद कश्मीर भेजने की पेशकश की ताकि अमरीकी हितों को नुक़सान पहुँचे। इसके बाद राजा लहरासिब को 1000 डॉलर दिए गए जिस पर उन्होंने ख़ुफ़िया एजेंट से वादा किया कि वे ये पैसा कश्मीरी तक पहुँचाएँगे।

मार्च 2010 में उनके पुत्र से ब्रितानी अधिकारियों को एक हवाई अड्डे पर जाँच के दौरान दस में से सात वही नोट मिले जो अंडरकवर एजेंट ने उन्हें दिए थे। इसके बाद राजा लहरासिब को गिरफ़्तार कर लिया गया था।

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