- पटाखा जलाने से पहले रहे सर्तक, अपने बड़ों के साथ ही जलाए पटाखें

GORAKHPUR: दीपावली की खुशियां और रौनक हर जगह साफ नजर आने लगी है। मार्केट में जहां धनतेरस की खरीदारी के लिए लोगों का जमावड़ा लगा रहा, वहीं टाउनहॉल, जुबिली इंटर कॉलेज समेत कई इलाकों में सजी पटाखों की दुकानों पर जनसैलाब नजर आया। सेलिब्रेशन में जश्न तो बनता है, लेकिन यह एक लिमिट में हो तो बेहतर है। फेस्टिवल के दौरान हम कई बार इसके जश्न में ऐसे डूब जाते हैं कि ऐसे खतरनाक पटाखों को भी जला देते हैं, जो न सिर्फ एनवायर्नमेंट के लिए बल्कि उनको भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। एक्सप‌र्ट्स की मानें तो इन पटाखों से निकलने वाला धुंआ वातावरण में जहर घोल देता है, जिसका सीधा असर बॉडी पर पड़ता है। इसलिए जहां तक पॉसिबल हो कम से कम पटाखें फोड़ें। तेज आवाज वाले पटाखों को बचाने से बचे और खुद के साथ ही एनवायर्नमेंट को भी बचाएं।

बीमारियों को देते हैं दावत

जानकारों की मानें तो दीपावली के दौरान फोड़े जाने वाले इन पटाखों से कई गुना खतरा बना रहता है। इसके साथ ही यह बीमारियों को भी दावत देते हैं। इससे निकलने वाले हानिकारक पदार्थो बेहद हवाओं में मिल जाते हैं, तो काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ आलोक पांडेय के मुताबिक इसके असर से नाक, सांस की बीमारियों के साथ ही फेफड़ों में सूजन, दमा, बुखार आदि की शिकायत होने लगती है। दमा के पेशेंट्स में अटैक की संभावना बढ़ जाती है। इसमें बेचैनी, उल्टी, घबराहट, हाई बीपी, तनाव के साथ ही डिप्रेशन तक की प्रॉब्लम हो सकती है।

कान को भी नुकसान

तेज पटाखें आवाज से सिर्फ इंटर्नल नहीं, बल्कि बाहरी प्रॉब्लम भी हो सकती है। इससे जहां स्किन की प्रॉब्लम बढ़ती है, तो वहीं कान से सुनने की क्षमता भी कम हो सकती है। जानकारों की मानें तो मानक के अनुसार इन पटाखों की आवाज 40 से 50 डेसीबल होना चाहिए, लेकिन मार्केट में मौजूद ज्यादातर पटाखे इन मानकों को दरकिनार कर बनाए जा रहे हैं, तजो काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ। प्रभु नारायण के मुताबिक यह स्तर 55 डेसीबल से अधिक होने पर क्षमता प्रभावित होनी शुरू हो जाती है, जबकि ध्वनि का स्तर अधिक होने से कान पर असर डाल सकता है।

करीब से ना जलाएं पटाखें

नेत्र रोग विशेषज्ञ कमलेश शर्मा के अनुसार पटाखा जलाने से आखों में लाली, दर्द व लगातार आंखों से पानी गिरना, कम दिखाई देने की प्रॉब्लम भी हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि बच्चे की करीब से पटाखे जलाते हैं। इससे आखों की पुतली पर असर के साथ अंधापन होने की संभावना बढ़ जाती है। इस दशा में सभी को जागरुक होने की जरूरत है। दीपावली के दौरान तो पटाखों से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण में भी जहर घोल सकता है।