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LUCKNOW : देवरिया के दागी बालिका गृह में बच्चों, किशोरियों को यातनाएं दी जाती थीं। देह व्यापार संबंधित मामले के अलावा उन्हें संचालक गिरिजा त्रिपाठी के घर, रिश्तेदारों के यहां काम में भी लगाया जाता था। इतना ही नहीं, बस्ती की रहने वाली किशोरी ने बाल गृह बालिका के संचालक गिरिजा त्रिपाठी और उनकी बेटी कंचनलता त्रिपाठी पर कई गंभीर आरोप लगाये हैं। उसका कहना है कि कुछ दिन पहले विदेशी नागरिक संस्था पर पहुंचे और बच्चों को मिठाई दी। इसके बाद संस्था के संचालक ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर तीन लड़कियों को स्पेन भेज दिया गया है। उसका कहना है कि तीन बच्चों के बाहर जाने की बात संस्था के संचालक ने बताई जबकि चार अन्य बच्चों को भी विदेश भेजे जाने की चर्चा है। इनमें सभी की उम्र दस वर्ष से कम हैं।

शादीशुदा लड़कियों को करती थी ब्लैकमेल
बालिका गृह में रहने वाली बस्ती की एक लड़की ने संचालिका पर गंभीर आरोप लगाये हैं। उसने बताया कि गिरिजा ने उसे भी बाहर जाने के लिए दबाव बनाया था। विरोध करने पर उसने कहा कि बाहर नहीं जाओगी तो तुम्हारे पति को मरवा दूंगी। पीडि़त नाबालिग का कहना था कि अधिकतर किशोरियों ने प्रेम विवाह किया है। बालिग होते ही वह अपने ससुराल चली जाएंगी, अगर बालिका गृह से देह व्यापार संबंधित बात सार्वजनिक होगी तो उनके पति साथ रखने से इनकार कर सकते हैं, इस बात का हमेशा किशोरियों को डर रहा और इसलिए वह गिरिजा की हर बात न चाहते हुए भी मानती रहीं और दलदल में फंसती चली गईं।

कई लड़कियां हो चुकी हैं शिकार

बस्ती जिले की रहने वाली नाबालिग लड़की ने दूसरे समुदाय के युवक से विवाह किया है। कोर्ट के आदेश पर 31 अगस्त 2017 को उसे बाल गृह बालिका में लाया गया। किशोरी का आरोप है कि यहां से लड़कियों की सप्लाई की जाती थी। बड़ी पार्टियों में शामिल होने के लिए खुद गिरिजा और उनकी बेटी उन्हें बाहर ले जाती थी। रात भर बाहर रहने के बाद अगले दिन सुबह सभी वापस आ जाती थीं। ऐसा नहीं करने पर कहती थीं कि गलत काम कर यहां आती हो, ऊपर से नौटंकी दिखाती हो। मारपीट के साथ उन्हें अक्सर गालियां दी जाती थीं। उसका आरोप है कि धंधा उसके आने के पहले से चल रहा था। कई लड़कियां इसकी शिकार हो चुकी हैं।

नाबालिगों से कराया जाता था घरेलू काम
बाल गृह बालिका से लापता बच्चियों के बारे में बस्ती की युवती ने सनसनीखेज पर्दाफाश किया है। उसका कहना है कि जो लड़कियां रिकार्ड से गायब हैं वह गिरिजा त्रिपाठी के विभिन्न संस्थानों, घर और रिश्तेदारों के घर पर मिल जाएंगी। उसका कहना है कि संचालक की छोटी बेटी के घर एक लड़की को भेजा गया है। जबकि, दो लड़कियों को दूसरी जगह काम पर भेजा गया है। इसी तरह कुछ लड़कियां रजला वृद्ध आश्रम से बरामद हुई हैं, उन्हें यहीं पर रहना चाहिए था। बाल गृह बालिका में बच्चों से काम भी कराया जाता था।

पुलिस ने तीन साल में भेजी सात सौ लड़कियां
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि स्थानीय अधिकारी इस संस्था को बंद कराने की बजाय प्रश्रय देने में लगे रहे। हैरत की बात यह है कि शासन द्वारा संस्था की मान्यता स्थगित होने के बाद भी पुलिस बरामद लड़कियों को इसी गृह में रखती रही। तीन साल में कुल 707 लड़कियों को पुलिस ने बालिका गृह के हवाले किया। बालिका गृह के दस्तावेज में काफी गड़बड़ी मिली है जिन्हें सील कर दिया गया है। मंगलवार को राजकीय बाल गृह पहुंच महिला थानाध्यक्ष के नेतृत्व में महिला कांस्टेबलों ने मुक्त कराई गई 20 लड़कियों के बयान दर्ज किये। अब बुधवार को उन्हें 164 का बयान दर्ज कराने के लिए न्यायालय में पेश किया जाएगा।

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